नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी। जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाने और निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की मंजूरी लेने को भी कहा है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 7 दिसंबर की सुनवाई में इस संसद भवन के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी, हालांकि, यह निर्देश दिया था कि कोई निर्माण नहीं होगा। इससे पहले पांच नवंबर को सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
आज सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में पेपरवर्क को सही ठहराया और कहा कि जमीन का डीडीए की तरफ से लैंड यूज बदलना सही है। अदालत ने पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिशों को भी बरकरार रखा और निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखने की बात कही। निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाने और निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की भी मंजूरी लेने को भी सर्वोच्च अदालत ने कहा है।
लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया था। सरकार की ओर से भी आश्वासन दिया गया था कि लंबित याचिकाओं पर फैसला आने से पहले वहां पर निर्माण या विध्वंस का कोई कार्य नहीं होगा।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 20 हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट से पैसों से बर्बादी नहीं होगी। इससे सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी, जो फिलहाल मंत्रालयों के किराए पर खर्च हो रहे हैं।