विपक्ष के विरोध के बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया। सर्वोच्च अदालत में एक जनहित याचिका दायर कर लोकसभा सचिवालय और सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करें।
यह याचिका वकील सीआर जया सुकिन ने दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि याचिका में कहा गया है कि उद्घाटन समारोह से राष्ट्रपति को बाहर कर भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। याचिका में कहा गया है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन राज्यसभा और लोक राज्य सभा शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। याचिका में आगे कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग है। ऐसे में राष्ट्रपति को शिलान्यास समारोह से क्यों दूर रखा गया? यह फैसला कदाचार है।
याद रहे देश के 19 से ज्यादा विपक्षी दल, जिनमें प्रमुख पार्टी कांग्रेस भी शामिल है, नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की बात कह चुके हैं। उनकी मांग है कि इसका उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं जो वीर सावरकर का जयंती का दिन है।
विपक्षी दलों का तर्क है कि नए संसद भवन के उद्घाटन का सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मिलना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति न केवल राष्ट्राध्यक्ष होते हैं, बल्कि वह संसद का अभिन्न अंग भी हैं क्योंकि वही संसद सत्र आहूत करते हैं, उसका अवसान करते हैं और साल के पहले सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित भी करते हैं।