जम्मू कश्मीर में एक बार फिर उबाल है। भाजपा के समर्थन वापस लेने के करीब एक महीने बाद शुक्रवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चेताया है कि यदि नई दिल्ली ने उनकी पार्टी पीडीपी को तोड़ने की कोशिश की तो नब्बे के दशक जैसे हालात पैदा हो जायेंगे और कश्मीर में कई सलाहुद्दीन पैदा होने का रास्ता खुल जाएगा। उधर पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने महबूबा के ब्यान पर टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा कि ”मैं यहाँ सब को याद दिलाना चाहता हूँ कि पीडीपी के टूटने से एक भी मिलिटेंट पैदा नहीं होगा। कश्मीर में लोग एक ऐसी पार्टी के ख़त्म होने का मातम नहीं मनाएंगे जिसका गठन दिल्ली में कश्मीर के वोट बाँटने के लिए किया गया”।
चर्चा है कि पीडीपी के करीब आधे विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और भाजपा जम्मू कश्मीर में अपनी सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है। कहा जा रहा है कि भाजपा २०१९ के लोक सभा चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर में एक हिन्दू मुख्यमंत्री बनाकर देश भर में वोटों का साम्प्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण करना चाहती है क्योंकि उसे लगता है कि केवल इसी तरीके से वह दुबारा सत्ता में आ सकती है।
अपनी पार्टी के अस्तित्व पर खतरे को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अब पूरी तरह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में आ जुटी हैं।
कुछ महीने पहले तक इन्हीं मुफ्ती ने कहा था कि मोदी ही एक मात्रा ऐसे नेता हैं जो कश्मीर की तकदीर बदल सकते हैं, हालांकि उस समय भी उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस तरह की बात कहने के हक़ में नहीं थे क्योंकि उन्हें लगता था भाजपा का एजेंडा खतरनाक है और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अब शुक्रवार (१३ जुलाई) को मुफ्ती ने कहा कि भाजपा (नई दिल्ली) ने पीडीपी को तोड़ने की कोशिश की तो कश्मीर में कई और सलाहुद्दीन पैदा होंगे और सूबे के हालात नब्बे के दशक जैसे हो जाएंगे।
महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 1987 के चुनाव में जब गड़बड़ हुई तो यासिन मलिक और हिजबुल मुजाहिद्दिन के प्रमुख सैय्यद सलाउद्दीन पैदा हुए थे। ”अगर इस बार भाजपा ने पीडीपी को तोड़ने की कोशिश की और कश्मीर के लोगों के हक पर डाका डाला तो हालात उससे भी ज्यादा खराब होंगे”।
पिछले कुछ समय से चर्चा है कि भाजपा अपने महासचिव राम माधव के जरिये पूर्व अलगाववादी और पिछली पीडीपी-भाजपा सरकार में मंत्री रहे सज्जाद गनी लोन को अपने पाले में लाने की गंभीर कोशिश कर रही है। यह माना जाता है कि भाजपा पीडीपी में टूट करवाकर लोन को कश्मीर में उसका सर्वेसर्वा बनाने की कोशिश कर रही है। वैसे राम माधव ने इस बात से कुछ दिन पहले ही इंकार किया था कि भाजपा की ऐसी कोइ मंशा है लेकिन कश्मीर में इस बात की बड़ी चर्चा है कि भाजपा जम्मू कश्मीर में अपनी सरकार बनवाकर देश में २०१९ के लोक सभा चुनाव के मद्देनजर एक सन्देश देकर इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहती है।
अभी तक पीडीपी के कम से कम पांच विधायक सार्वजनिक तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बयान दे चुके हैं। बागी नेता इमरान अंसारी ने दो दिन पहले ही अलग मोर्चा बनाने की बात कही थी। उन्होंने पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर ”दिल्ली को ब्लैकमेल करने” का आरोप भी लगाया था। हालांकि अब कहा जा रहा है कि भाजपा के निशाने पर कमसे काम १४ पीडीपी विधायक हैं।
पार्टी में पड़ रही फूट के बीच मुफ्ती ने भाजपा को अब सीधे तौर पर चेतावनी दे दी है। उनका कहना है कि अगर दिल्ली ने पीडीपी को तोड़ने की कोशिश की तो और सलाहुद्दीन पैदा होंगे। उन्होंने कहा, ”यदि दिल्ली ने साल 1987 की तरह लोगों से उनके मतदान का अधिकार छीना, यदि उसने बंटवारे की कोशिश की और उस समय की तरह हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो मुझे लगता है कि 1987 की तरह ही हिजबुल मुजाहिद्दीन के प्रमुख सैयद सलाहूद्दीन और यासिन मलिक पैदा होंगे।’
पिछले महीने 19 तारीख को भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था। तब से राज्य में राज्यपाल शासन लागू है। ८७ सदस्यीय जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सरकार बना सकने लायक आंकड़े किसी भी पार्टी के पास नहीं हैं। पीडीपी के २८, भाजपा के २५, कांग्रेस के १२ और एनसी के १५ विधायक हैं। पीपल्स कांफ्रेंस के दो विधायकों और लद्दाख के एक विधायक के समर्थन का भाजपा दावा करती रही है। सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 44 विधायकों के समर्थन की जरूरत रहेगी।
बगावत करने वाले विधायकों का आरोप रहा है कि पीडीपी ”फैमिली डेमोक्रेटिक पार्टी” बन गई है। बागी विधायकों में जावेद बेग, यासिर रेशी, अब्दुल मजीद, इमरान अंसारी, अबीद हुसैन अंसारी और मोहम्मद अब्बास वानी शामिल माने जाते हैं।