खेलों की दुनिया भी विवादों से अलग नहीं है। चाहे ओलंपिक खेल हों या क्रिकेट कुछ न कुछ होता ही रहता है। आजकल चल रहे विश्व कप क्रिकेट मुकाबलों में भीऐसा ही वाकया सामने आया है। भारतीय विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में जो दस्ताने पहने थे। उन पर ‘बलिदानÓ का बैज लगाथा। कैमरे में यह निशान पकड़ में आ गया। इसके उपरांत यह मामला तूल पकड़ गया। आईसीसी ने इसे गंभीरता से लिया। धोनी को ये दस्ताने न पहनने कीहिदायत दी। शुरू में बीसीसीआई ने धोनी के हक में तर्क रखने की कोशिश की, इसे राष्ट्रवाद, देशप्रेम और सेना से जोडऩे का भी प्रयास किया लेकिन आईसीसी इसेमानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। आईसीसी का कहना था कि विश्व कप के नियमों का उल्लंघन सहन नहीं किया जा सकता।
इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उछाला गया। वे लोग जिन्हें शायद न तो क्रिकेट की समझ है और न ज्ञान है आईसीसी के नियमों पर वे सबसे ज़्यादा भड़काऊटिप्पणियां कर रहे थे। इतना ही नहीं कुछ ऐसे पूर्व और मौजूदा खिलाडी भी इस मामले को तूल दे रहे थे। जिन्होंने आईसीसी के नियम नहीं पढ़े या जाने थे। लेकिनइन बातों से उत्तेजित हुए बिना बीसीसीआई ने धोनी से उस बैज को हटा देने को कहा। इस प्रकार धोनी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले दूसरे मैच में दस्तानों पर वहबैज नहीं लगाया।
क्रिकेट के इतिहास में यह पहला अवसर नहीं है जब इस प्रकार का विवाद सामने आया है। 2014 में भारत-इंग्लैंड शृंखला के तीसरे मैच के दौरान मोइन अली नेगेंदबाजी करते वक्त जो ‘रिस्ट बैंडÓ पहन रखा था उस पर ‘गाजा बचाओÓ और ‘फिलिस्तीन को मुक्त करोÓ लिखा था। इस पर मैच रैफरी ने मोइन को चेतावनीदी। रेफरी ने यह कहा कि कोई भी खिलाड़ी मैदान से बाहर अपने किसी प्रकार के विचार रखने के लिए स्वतंत्र है लेकिन मैदान पर यह सब नहीं चल सकता। उससमय आईसीसी ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीतिक, धार्मिक या नस्ली गतिविधियों से जुड़े संदेशों का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जासकती।
2017 में भी ऐसा ही एक मामला इमरान ताहिर के साथ हुआ था। दक्षिण अफ्रीकी इस गेंदबाज ने श्रीलंका के खिलाफ टी-20 मैच में विकेट लेने के बाद अपनी जर्सीऊपर कर ली। जर्सी के नीचे पाकिस्तानी धार्मिक उपदेशक की तस्वीर लगी थी। इसी कारण आईसीसी ने ताहिर को फटकार लगाई थी।
यह नियम केवल आईसीसी ही नहीं बनाती बल्कि सभी खेल संगठन ऐसा करते हैं। इसका कारण बस इतना ही है कि मैदान में किसी भी प्रकार के राजनीतिक, धार्मिक या नस्ली गतिविधि को रोका जा सके। इसके साथ ही राजनीति को खेल से दूर रखा जा सके।
इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि महेंद्र सिंह धोनी एक वरिष्ठ खिलाडी हैं। कई सालों से हर स्तर पर क्रिकेट खेल चुके हैं। क्या उन्हें यह अहसासनहीं था कि आईसीसी के नियम उन्हें ‘बलिदानÓ का बैज लगाने की इज़ाजत नहीं देते। कानून की जानकारी न होना कोई बहाना नहीं होता। इसी प्रकार आईसीसी केनियमों की जानकारी न होना कोई बहाना नहीं बन सकता। इस बात को कुछ लोग राष्ट्रवाद से जोड़ कर देख रहे हैं। असल में राष्ट्रवाद से इसका कुछ लेना देना नहींहै। मैदान के अंदर वहां के नियमों का पालन करना अनिवार्य है। नियमों का मानना ही खेल भावना का परिचायक है। आईसीसी के नियमों में स्पष्ट है कि दस्तानों परकेवल उन्हें बनाने वाली उद्यौगिक इकाई का लोगो हो सकता है। वह भी पूरी इज़ाजत लेने के बाद। इस मामले में धोनी के पास इसके दस्ताने पर केवल दस्तानों केउत्पादक ‘एसजीÓ का ‘लोगोÓ लगाने की इज़ाजत थी।
आईसीसी की नियमों की पुस्तिका में साफ लिखा है कि क्रिकेट की ‘किटÓ और उसकी ‘वर्दीÓ (खेलने के कपडे) खेलने का सामान पर राष्ट्रीय ‘लोगोÓ, व्यवसायिकलोगो, इवेंट का लोगो, उत्पादक का लोगो, खिलाडी के बैट का लोगो, ‘चैरिटी का लोगो,Ó गैर व्यवसायिक लोगो जो कि नियमों के तहत हो, और कोई लोगो नहींलगाया जा सकता। इसके साथ ही यदि किसी मैच अधिकारी को पता चल जाए कि किसी खिलाडी के कपड़ों या सामान पर ऐसा चिन्ह है जो नियमों के खिलाफ है तोवह मैच अधिकारी ऐसे खिलाडी को मैदान में आने से भी रोक सकता है।
जो लोग धोनी के दस्तनों पर ‘लोगोÓ लगाने को उचित ठहरा रहे हैं उनकी दलील है कि हमेें अपनी सेनाओ का मान-सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा पाकिस्तानको भी इस माध्यम से संदेश दिया जाना चाहिए। बाकि हर व्यक्ति की कुछ अपनी राय और पसंद भी होती है। धोनी विशेष बल के मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं, उन्होंनेअपनी योग्यता से यह प्रतीक हासिल किया है। इसे छीना नहीं जा सकता। पर प्रश्न यह है कि क्या यहां मैदान में भारतीय सेना या विशेष बल क्रिकेट खेल रहे हैं? नहींयह टीम पूरे राष्ट्र की टीम है जिसमें समाज के हर तबके के खिलाड़ी है। सभी सैनिक नहीं है। देश में अपनी सेनाओं का सम्मान तो सभी करते हैं पर हमारे देश केभीतर जो कुछ पाकिस्तान कर रहा है उसका विरोध देश की टीम विदेशी धरती पर क्रिकेट खेलते समय करे यह सही नहीं। चाहे कितना भी विरोध हो पर खेल केनियमों और खेल भावनाू9 को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए। यदि ऐसा करने की इजाज़त दे दी जाए तो हमारे विरोधी भी सैन्य वर्दी पहन कर मैदान में आ जाएगेतो क्रिकेट कहां जाएगा।
प्रसिद्ध लेखक जार्ज ऑरवेल ने अपने एक लेख द स्पोर्टिग स्प्रिट यानी खेल भावना में लिया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल युद्ध केसमान है। इसमें से झलकती है पूरेदेश के लोगों की परछाई। भारत और पाकिस्तान के बीच के मुकाबले हमेशा ही तनावपूर्ण होते हैं। पर यह तनाव केवल मैच के दौरान मैदान तक ही रहता है। मैचके बाद मैदान के बाहर टीमें सदा दोस्ती के साथ रही। ध्यान रहे कि जब 1971 की जग लड़ी जा रही थी तो सुनील गावस्कर और जहीर अब्बास ने आस्ट्रेलिया में विश्वएकादशा की टीम के लिए इकट्ठे बल्लेबाजी की थी। इसके अलावा 1999 में जब भारत और पाकिस्तान दोनों इंग्लैंड में विश्व कप खेल रहे थे उस समय कारगिल मेंलड़ाई चल रही थी। पर दोनों टीमों में कोई तनाव नहीं था। इस तरह खेल और जंग दो अलग चीज़ें हैं और खेल को इनसे मुक्त रखना ही समझदारी है।
क्रिस गेल को भी इजाज़त नहीं
आईसीसी ने सिर्फ महेंद्रसिंह धोनी के ‘बलिदान बैज़Ó वाले विकटकीपिंग दस्तानों के पहनने का अनुरोध खारिज नहीं कियाबल्कि वेस्टइंडीज के तूफानी बल्लेबाजक्रिस गेल पर ‘यूनिवर्स बॉसÓ लोगो के इस्तेमाल की अनुमति देन से भी इनकार कर दिया।
इन दोनों ही मामलों में उपकरण नियमों के उल्लंघन का हवाला दिया गया। खुद को ‘यूनिवर्स बॉसÓ कहने वाले क्रिस गेल ने आईसीसी से अपने बल्ले पर इसकेइस्तेमाल की अनुमति देने का अनुरोध किया था। उन्हें सूचित कर दिया गया है कि वे किसी भी निजी संदेश लिए किसी भी कपड़े या खेल उपकरण का इस्तेमाल नहींकर सकते।
सूत्रों के अनुसार आईसीसी धोनी के लिए अपवाद नहीं बना सकती थी क्योंकि किसी भी व्यक्तिगत संदेश को उपकरण पर लगाने की अनुमति नहीं दी जाती।आईसीसी ने सिर्फ महेंद्रसिंह धोनी के ‘बलिदान बैज़Ó वाले विकटकीपिंग दस्तानों के पहनने का अनुरोध खारिज नहीं किया बल्कि वेस्टइंडीज के तूफानी बल्लेबाजक्रिस गेल पर ‘यूनिवर्स बॉसÓ लोगो के इस्तेमाल की अनुमति देन से भी इनकार कर दिया।
इन दोनों ही मामलों में उपकरण नियमों के उल्लंघन का हवाला दिया गया। खुद को ‘यूनिवर्स बॉसÓ कहने वाले क्रिस गेल ने आईसीसी से अपने बल्ले पर इसकेइस्तेमाल की अनुमति देने का अनुरोध किया था। उन्हें सूचित कर दिया गया है कि वे किसी भी निजी संदेश लिए किसी भी कपड़े या खेल उपकरण का इस्तेमाल नहींकर सकते।
सूत्रों के अनुसार आईसीसी धोनी के लिए अपवाद नहीं बना सकती थी क्योंकि किसी भी व्यक्तिगत संदेश को उपकरण पर लगाने की अनुमति नहीं दी जाती।