आज हमें देखने को मिलता है कि राजनीति में धन और बल का तांडव हो रहा है, पॉवर, मसल पावर का तांडव हो रहा है। लगभग सभी राजनीतिक दल इस होड़ में लगे हंै। वे इसके लिये किसी भी हद तक जाने को तैयार हंै। इसका ताज़ातरीन उदाहरण दिल्ली की जनता के लिये बहुप्रतीक्षित सिगनेचर ब्रिज के उद्घाटन के मौके पर देखने को मिला। जिसमें उद्घाटन स्थल पर जमकर हंगामा किया गया और तमाम नियम कानून और मर्यादा को ताकपर रखकर नेतागण अपने दल बल के साथ न सिर्फ एक दूसरे से भिड़े अपितु धक्का-मुक्की भी की। जिससे दिल्ली की जनता ज़ार-ज़ार हुई है। लेकिन इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ा है। इसे आप सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन दौरान देख सकते हैं। जहाँ सिर्फ धन, सत्ता और बल का ही प्रभाव दिखता है।
जिसमें दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि देश के लोग तय करें उसे स्टेच्यू चाहिए या ब्रिज। साथ ही उन्होंने बीजेपी के हंगामें पर हैरानी जताई । उन्होंने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं देखा। बीजेपी ने उद्घाटन वाली जगह पर अफरातफरी मचा रखी थी। पुलिस भी मूकदर्शक बनी रही। क्या दिल्ली पुलिस का मुखिया होने के नाते उपराज्यपाल यह सुनिश्चित करेंगे कि सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन स्थल पर कानून और शांति व्यवस्था कायम रहे। सरकार लीगल विकल्पों को खोजेगी कि क्या पुलिस पर दिल्ली सरकार और उसके नुंमाइदों की सुरक्षा के लिए भरोसा किया जा सकता है: इनके साथ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ने ट्वीट कर कहा कि सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन से मायूस कुछ खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंच रहीं हैं। इन्होंने सुपारी उठा रखी थी कि केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में सिग्नेचर ब्रिज को पूरा नहीं होने देंगे।
दूसरी तरफ सांसद एवं दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी बिना आमंत्रण अपने दल बल के साथ उद्घाटन स्थल पर पहुंचकर अपना पुरज़ोर दम खम दिखाने का प्रयास किया। जिस दौरान वे यह भी भूल गये कि जिस पुलिस व्यवस्था पर वह सवाल खड़ा कर रहे हैं उसका संचालन तो उन्हीं के पार्टी के अन्तर्गत है। उनके बल का प्रयोग सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन पर उनके द्वारा दिये गये वक्तव्य से स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा कि मेरे साथ धक्का मुक्की करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान हो गई है। इस क्षेत्र के अतिरिक्त डीसीपी-1 कह रहे हैं कि कुछ आप कार्यकर्ता घायल हुये हैं। मैं उन्हें महज चार घण्टे में दिखाऊँगा कि पुलिस ने क्या किया है।
यहाँ पर सांसद अपने पद की गरिमा अपने दंभ के कारण खो गए क्योंकि पहले तो किसी सांसद को इस तरह के किसी आयोजन में जाना ही नहीं चाहिए और वहाँ जाकर इस तरह से हंगामा करना तो कतई शोभा नहीं देता है। फिर यह मामला तूल पकड़ता गया और दोनों ही पार्टियों कि तरफ से आरोप प्रत्यारोप का दौड़ आज तक जारी है। एक तरफ तिवारी कह रहे हैं कि जब तक ‘आपÓ के विधायक अमानतुल्लाह की जमानत रद्द नहीं हो जाती और उन्हें फिर से जेल नहीं भेजा जाता, तब तक वह चुप नहीं बैठेंगे। दूसरी तरफ मनोज तिवारी के तमाम मुद्दों पर सफाई देते हुए कहा कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उनके एक ट्वीट का जवाब देते हुए उन्हें सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन के मौके पर इनवाइट किया था। इस विवाद पर बोलते हुये विधायक अमानतुल्लाह ने कहा कि ये एक स्वभाविक प्रतिक्रिया थी। अगर वे मंच पर चढऩे में सफल हो जाते तो वे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ बदसलूकी कर सकते थे। उनपर हमला कर सकते थे।
दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने सिग्नेचर ब्रिज उद्घाटन पर हिंसा में कथित तौर पर संलिप्त रहने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के खिलाफ अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को पुलिस शिकायत दर्ज कराने का निर्देश दिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) मनोज परीदा को लिखी अपनी टिप्पणी में जैन ने कहा है कि समारोह में सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को भयभीत करने के लिए तिवारी और उनके सहयोगी हुड़दंग मचाने में शामिल थे।
इसके साथ ही अपने पार्टी के समर्थन में दिल्ली से आप सांसद संजय सिंह ने भी पुलिस आयुक्त को चि_ी लिखकर मनोज तिवारी के खिलाफ केस दर्ज करने की माँग की है। उन्होंने पुलिस आयुक्त से सवाल पूछा कि ऐसा क्या कारण है कि पुलिस अभी तक इस मामले पर चुप है। सिंह ने चि_ी में कहा कि यह एक गंभीर मसला है कि मुख्यमंत्री के आयोजन में मंच पर बोतलें फेंकी गई। घटना के 48 घंटे बाद भी मामले में पुलिस ने कोई कारवाई नहीं की है। वह भी तब जब मनोज तिवारी खुलेआम पुलिस अधिकारियों को देख लेने की धमकी दे रहे हैं।
बीजेपी के पूर्व विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने मनोज तिवारी को धक्का देने और अपशब्द कहने के लिये अमानतुल्लाह खान की निन्दा की है। शिला दीक्षित, पूर्व मुख्यमंत्री, दिल्ली ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने इसकी नींब रखी थी। इसका आइडिया और डिजाइन हमारी सरकार ने तैयार किया था। मैं बहुत खुश हूँ कि सिग्नेचर ब्रिज हमारा सपना था, जो पूरा हो गया। इसको लेकर भले ही श्रेय लेने की होड़ हो, लेकिन सच ये है कि इसे बनाने में इनका कोई योगदान नहीं है।
इस विवाद से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि अगर आप राजनीति करना चाहते हैं तो बिना धन बल के नहीं कर सकते हैं। वजह स्पष्ट है कि आप के खिलाफ कोई भी कार्रवाई हो सकती है। एक बात तो सिरे से ही गायब हो गई कि दशकों में बने सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में लगी लागत क्या थी। शायद जनता का पैसा था हज़म हो गया।
इस मामले में कुछ आम लोगों से बात करने की कोशिश की तो लोगों ने बताया कि सांसद और प्रदेश अध्यक्ष के नाते मनोज तिवारी को महज वहाँ बिना बुलाये जाना ही नहीं चाहिए। जब वे दल बल के साथ गये यह बहुत ही निंदनीय है। क्योंकि हम अपने किसी सांसद को इस तरह की ओछी हरकत देखना पसंद नहीं करते। अंत में हम ये कहना चाहते हैं कि राजनीति में वही सामर्थ्यवानों का है। वजह स्पष्ट है ‘समरथ के नही दोष गोसाईं।’