देश में जातिगत भेदभाव एक कलंक : मीरा कुमार

75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले और हर घर तिरंगा का जश्न धूमधाम से मनाने वाले अपने इस प्यारे से देश के लिए क्या दे पा रहे हैं, यह एक बड़ा सवाल हम सबके सामने है? यहाँ जाति-आधारित भेदभाव के मामले अभी भी नहीं थम रहे हैं। राजस्थान स्थित जालोर के सायला थाना क्षेत्र के सुराणा गांव में जिस प्रकार एक दलित लड़के इंद्र कुमार मेघवाल को सरस्वती विद्या मंदिर के संचालक और शिक्षक छैल सिंह ने उनके घड़े से पानी पीने मात्र पर इतना पीटा कि उसकी मौत हो गयी, इसका सबसे ताजा, शर्मिंदगी भरा और कड़ुवा उदाहरण है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता मीरा कुमार ने बड़े विडंबना भरे अंदाज में इस दिल दहला देने वाली घटना का जिक्र करते हुए ट्वीट करके लिखा है- ‘100 साल पहले मेरे पिता बाबू जगजीवन राम को भी स्कूल में ऊपरी कटोरी का पानी पीने से एक सवर्ण के जरिए रोका गया था। तब उनकी भी मानों मौत ही हो गई थी। वह एक चमत्कार था कि वह बच गए। अब एक 9 साल के दलित लड़के की इसी वजह से हत्या कर दी गई। आजादी के 75 साल बाद भी जातिवाद हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। यह एक कलंक है।’
21वीं सदी में भी दलितों के साथ भेदभाव के मुद्दे पर एक टीवी चैनल से बात करते हुए मीरा कुमार ने कहा, “जो कुछ हुआ है, वह बहुत ही भयावह है। 100 साल पहले इस वजह से मेरे पिता की जान पर बन पड़ी थी; लेकिन 100 साल बाद भी लड़के की इस वजह से जान चली जाए, यह बहुत खेदजनक है। मैंने एक बार अपने पिता बाबू जगजीवन राम से पूछा था कि आपने इस देश की आजादी के लिए लड़ाई क्यों लड़ी? आपने यह जोखिम क्यों उठाया? इस देश ने आपके और दलितों के लिए कुछ भी नहीं किया, सिर्फ अपमान सहना पड़ा, और अत्याचार सहे। तब उन्होंने ( बाबू जगजीवन राम ने) कहा था कि स्वतंत्र भारत बदल जाएगा। एक जातिविहीन समाज होगा। लेकिन यह अच्छा हुआ कि वे आज ऐसी घटनाओं को देखने के लिए जीवित नहीं हैं। देश को आजादी मिले 75 साल हो चुके हैं। लेकिन भारत इस मामले में नहीं बदला है। इसका मुझे बहुत दु:ख है।
यह पूछे जाने पर कि क्या आप अब भी मानती हैं कि आप अपनी उपलब्धियों से ज्यादा अपनी जाति के आधार पर पहचानी जाती हैं? मीरा कुमार ने कहा, “हाँ, मेरे पिता ने कई कठिनाइयों के बावजूद बहुत कुछ हासिल किया, लेकिन फिर भी उन्हें एक दलित नेता के रूप में आज तक जाना जाता है। मुझे न केवल भारत में, बल्कि लंदन में भी अपमान का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि मैं वहां (लंदन में) रहने के लिए घर ढूँढ रही थी। जो व्यक्ति हिंदू भी नहीं था, वह ईसाई था, जैकब। उसने मुझे अपना घर किराए पर देने की पेशकश की और मैंने कहा, क्या मैं शिफ्ट हो जाऊं? इस दौरान उन्होंने मुझसे आखिरी सवाल पूछा। क्या आप ब्राह्मण हैं? मैंने कहा- नहीं, मैं अनुसूचित जाति की हूं। क्या आपको कोई दिक्कत है? उसने नहीं जरूर कहा, पर मुझे घर भी नहीं दिया।’
मीरा कुमार ने आगे कहा, ‘मेरे पिता को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा था। मेरे पिता देश के उपप्रधानमंत्री थे, 1978 में। वे बनारस संपूर्णानंद की प्रतिमा का अनावरण करने गए थे। वहाँ उनका अपमान किया गया। वे उपप्रधानमंत्री थे, उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था; फिर भी उनके खिलाफ जाति आधारित अपमान का इस्तेमाल किया जाता था। उस वक्त भी उन्हें कहा गया कि “जगजीवन…. चले जाओ ..” और फिर संपूर्णानंद की मूर्ति को गंगा जल से धोया गया। चूँकि उनका मानना था कि बाबू जगजीवनराम ने मूर्ति को ‘अपवित्र’ कर दिया है।’
हम सभी देशवासी जब किसी त्योहार के आनंद लेने जाते हैं, तब उसमें मौजूद अन्य जाति-धर्म के लोग भी हमें बधाई देते हैं। लेकिन हम अपने ही लोगों के साथ अत्याचार करने से पीछे नहीं रहते। आज 75वा स्वतंत्र दिन मनाने वाले साथ ही हर घर तिरंगा का जश्न धूमधाम से मनाने वाले इस महान् भारत में राजस्थान के दलित लड़के इंद्रकुमार मेघवाल की हत्या की जाती है, वह भी महज पानी पीने पर, एक सिर्फ मीरा कुमार के लिए शर्मनाक नहीं है, बल्कि संपूर्ण मानवजाति के शर्मनाक कृत्य है।