शैलेंद्र कुमार ‘इंसान’
दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ़्त है। कई बार शोर हुआ मुफ़्त बिजली सुविधा बन्द होगी। अब शोर हो रहा है दिल्ली सरकार ने बिजली महँगी कर दी। हालाँकि यह पूरा सच नहीं है। यह तो सच है कि दिल्ली में बिजली महँगी हुई है, परन्तु किसकी वजह से यह प्रश्न है? केंद्र शासित देश की इस राजधानी में केंद्र सरकार तथा उसके प्रतिनिधि उपराज्यपाल की मंशा पर सब चलता है। अर्थात् इनकी मंशा पर ही बिजली कम्पनियों ने बिजली के दाम बढ़ाये हैं। दिल्ली सरकार की भी इसमें सहमति है, परन्तु वह सीधे-सीधे मोहरा बनायी जा रही है। यह ठीक नहीं।
बिजली के दाम बढऩे का दोष केंद्र सरकार तथा उसके प्रतिनिधि उपराज्यपाल पर भी उतना ही है, जितना दिल्ली सरकार पर। प्रचार हुआ कि दिल्ली में 10 प्रतिशत बिजली महँगी हुई। यह भी सच नहीं है। सच यह है कि बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड को 9.42 प्रतिशत, बीएसईएस राजधानी पॉवर लिमिटेड को 6.39 प्रतिशत तथा नई दिल्ली नगर पालिका परिषद् को दो प्रतिशत क़ीमतें बढ़ाने की अनुमति मिली है।
परन्तु इससे बड़ा मुद्दा यह है कि अगले साल से पूरे देश में बिजली महँगी होगी। केंद्र सरकार ने एक प्रस्ताव बना रखा है, जिसके अनुसार 10 किलोवॉट या इससे अधिक बिजली की खपत करने वाले व्यापारिक तथा औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए 1 अप्रैल, 2014 से टीओडी अर्थात् टाइम ऑफ डे टैरिफ सिस्टम लागू होगा। यही व्यवस्था 1 अप्रैल, 2025 से कृषि क्षेत्र को छोडक़र अन्य सभी उपभोक्ताओं के लिए लागू हो जाएगी। यह सब विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 में बदलाव करके केंद्र सरकार कर रही है। इसके लिए सरकार स्मार्ट मीटर लगवाएगी, जिसकी क़ीमतें अलग से वसूल की जा सकती हैं। ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि नये टैरिफ सिस्टम के लिए स्मार्ट मीटर लगवाना आवश्यक होगा।
मंत्रालय ने पिछले दिनों कहा था कि जिन उपभोक्ताओं के यहाँ स्मार्ट मीटर लगे हुए हैं, उन पर पहले चरण से ही टीओडी सिस्टम लागू हो जाएगा। अधिकतर राज्य सरकारें पहले ही स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के तहत बड़े व्यावसायिक केंद्रों तथा औद्योगिक क्षेत्रों में पहले ही टीओडी टैरिफ प्लान लागू कर चुकी हैं। ये टैरिफ सिस्टम के लागू होने के बाद बढ़ी हुई बिजली दरें एक महीने पहले ही बिजली कम्पनियाँ अपनी वेबसाइट पर सभी उपभोक्ताओं को बताएँगी।
इस नये डीओडी टैरिफ सिस्टम से दिन तथा रात की बिजली दरें अलग-अलग होंगी। दिन के मुक़ाबले रात को बिजली की दरें महँगी होंगी। केंद्र सरकार ने तय किया है कि दिन में बिजली दरें कम वसूल की जाएँगी, जबकि रात में अधिक बिजली दरें लागू होंगी।
इस टैरिफ सिस्टम के तहत अब बिजली उपभोक्ताओं को दिन और रात की बिजली के लिए अलग-अलग बिल चुकाने होंगे। नयी व्यवस्था में दिन के आठ घंटे के लिए बिजली दरें सामान्य दरों के मुक़ाबले अधिकतम 20 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं, जबकि रात के 16 घंटे की बिजली लगभग 11.55 प्रतिशत से 18.90 प्रतिशत तक महँगी होगी। अगर मान लें कि दिन के आठ घंटे के लिए 20 प्रतिशत बिजली दरें कम हुईं, जबकि रात के लिए 16 घंटे 10 प्रतिशत दरें बढ़ीं, तो सामान्य रूप से उपभोक्ताओं को न लाभ हुआ तथा न हानि। परन्तु देखा यह जाना चाहिए कि रात में बिजली खपत घरों में अधिक होती है। इसलिए आम उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ पड़ेगा। वहीं औद्योगिक तथा व्यापारिक क्षेत्र दिन में अधिक बिजली की खपत करते हैं, तो उन्हें फ़ायदा हो सकता है। परन्तु दिन में 20 प्रतिशत दरें कम करने की गारंटी नहीं है।
बिजली दरें पाँच प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं। परन्तु रात के 16 घंटे के लिए बिजली दरें 10 प्रतिशत बढऩी लगभग तय हैं। इस आधार पर अभी से फ़ायदे तथा नुक़सान के बारे में सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। अधिकतर अनुमान यही है कि लोगों की जेब बिजली कम्पनियाँ ढीली करेंगी। बिजली दरें बढ़ाने के पीछे केंद्र सरकार का तर्क यह है कि दिन में बिजली के अतिरिक्त सस्ती पडऩे वाली सौर ऊर्जा से भी बिजली उपभोक्ताओं को मिलती है। इसलिए दिन में बिजली सस्ती दी जाएगी। वहीं रात में कोयला तथा गैस से बनी बिजली मिलती है, इसलिए महँगी मिलेगी।
प्रश्न यह है कि क्या सरकार ने बिजली दरें बढ़ाने के लिए नया बहाना ढूँढ लिया है? क्योंकि बिजली तो पहले भी ऐसे ही बनती रही है। सौर ऊर्जा की खोज से पहले तो कोयला, पानी तथा गैस से ही बिजली बनती थी। सरकार का कहना है कि टीओडी सिस्टम लागू होने से उपभोक्ता खपत के अनुसार अपना टैरिफ मैनेज करने के प्रति जागरूक होंगे तथा ख़ुद ही बिजली का बिल घटा सकेंगे। सरकार का तर्क है कि उपभोक्ता कपड़ा धोने, पानी मोटर चलाने, खाना बनाने तथा अन्य कई कार्य करने के लिए दिन में अधिक बिजली का इस्तेमाल करने लगेंगे, जिससे उनकी बिजली बचेगी तथा जेब पर बोझ भी कम पड़ेगा।
टीओडी का सबसे बड़ा मक़सद ग्रेड सिस्टम पर अधिक बिजली आपूर्ति की आवश्यकता के दौरान लोड कम करना है। इससे उपभोक्ताओं में भी अधिक खपत वाले समय में बिजली बचाने की आदत पड़ेगी। जिस आठ घंटे के लिए सरकार बिजली बिल कम कर रही है, उन आठ घंटों में अधिकतर लोग बाहर होते हैं, क्योंकि ये आठ घंटे ड्यूटी के होते हैं। परन्तु प्रश्न ये हैं कि इस दौरान कौन अपना खाना बनाएगा? कौन मोटर चलाएगा? कौन अपनी वाशिंग मशीन चलाएगा? कौन कपड़ों पर प्रेस करेगा? कौन कूलर, पंखा, एसी अथवा हीटर चलाएगा? बिजली की अधिक खपत तो बाक़ी के 16 घंटे में ही होगी, जो शाम से सुबह 8-9 बजे तक का समय है। प्रश्न यह भी है कि सरकार वो कौन से आठ घंटे तय करेगी, जिसमें बिजली दरें कम होंगी? अगर सरकार सुबह 10:00 बजे से आगे के आठ घंटे बिजली बिल घटाती है, तो शाम को छ: बजे तक ही यह समय होगा। इस समय में घर में कौन रहता है? अगर घरेलू महिलाएँ घर में रहती भी हैं, तो क्या वे अपने पति और बच्चों के घर से जाने के बाद खाना बनाएँगी? क्या वे उनके जाने बाद ही पानी का इस्तेमाल करेंगी? घर के काम लगी महिलाएँ शायद ही बहुत पंखा, एसी, कूलर चलाएँगी? इसका अर्थ है कि सरकार उपभोक्ताओं को मूर्ख समझती है। इसलिए वह महँगाई के जाल में उन्हें लपेट रही है। इसलिए सरकार का यह दावा उचित नहीं लगता कि इससे बिजली उपभोक्ताओं को फ़ायदा होगा।
सरकार का कहना है कि उसका प्रयास वर्ष 2070 तक 100 प्रतिशत सौर ऊर्जा में बदलने का है। प्रयास अच्छा है। हालाँकि यह इतना आसान नहीं है; शायद सम्भव भी नहीं। जानकार मान रहे हैं कि सरकार के इस क़दम से सरकार उपभोक्ताओं से एक देकर चार लेने की योजना बना चुकी है। सरकार की यह व्यापारिक लाभ की सोच इस दिन तथा रात की उलझन में छिपी है। 65 से 75 प्रतिशत बिजली तो रात में ही खपत होती है। इसलिए दिन में बिजली सस्ती होने से अधिकतम 10-12 प्रतिशत उपभोक्ताओं को मामूली फ़ायदा होगा, वहीं 88-90 प्रतिशत उपभोक्ताओं को यह सौदा महँगा पड़ेगा। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी का कहना है कि केंद्र सरकार के कुप्रबंधन और कोयला ब्लॉकों की बढ़ती दरों के कारण ही दिल्ली में बिजली दरें बढ़ी हैं। भारत में कोयला खदानों की कोई कमी नहीं है, फिर कोयले की क़ीमत क्यों बढ़ रही है? बिजली उत्पादक कम्पनियाँ ऊँची दरों पर कोयला ख़रीदने को मजबूर क्यों हैं?
आम आदमी पार्टी इस नयी बिजली दर का कड़ा विरोध कर रही है। बिजली दरें बढ़ाने के केंद्र सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह तथा अन्य नेता नयी बिजली पॉलिसी को ख़तरनाक बताकर इसका विरोध कर रहे हैं। सांसद संजय सिंह का कहना है कि केंद्र अधिकांश दिन के वक़्त बिजली थोड़ी सस्ती करके रात के वक़्त 20 प्रतिशत बिजली दरें बढ़ाने जा रही है, जो आम लोगों के लिए बहुत ही भारी साबित होगा। केंद्र सरकार की यह नीति जन विरोधी है।
केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव के अनुसार, घरेलू खपत के लिए रात की बिजली दरों में 18.59 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। प्राइवेट तथा सरकारी संस्थानों में बिजली 17.62 प्रतिशत महँगी होगी। अस्थायी कनेक्शन वालों को 18.90 प्रतिशत महँगी बिजली मिलेगी। भारी उद्योगों को 16.25 प्रतिशत, लिफ्ट इरिगेशन के लिए 16.26 प्रतिशत तथा अन्य कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को 11.55 प्रतिशत महँगी बिजली ख़रीदनी होगी। देखने वाली बात यह है कि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के लोग बिजली दरें बढऩे पर दिल्ली सरकार पर हमलावर हैं तथा यह प्रचार कर रहे हैं कि दिल्ली सरकार 200 यूनिट मुफ़्त बिजली का झाँसा लेकर दिल्ली वालों को लूट रही है, जबकि सच इसके विपरीत है। कौन लूट रहा है? सब जानते हैं।