देश में अब विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए एक ही एजेंसी और एक ही परीक्षा होगी। इसके लिए 19 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) के गठन को मंज़ूरी दे दी गयी। कागज़ों पर ऐसे प्रस्ताव तो बहुत अच्छे होते हैं साथ ही आदर्शवादी भी लगते हैं; लेकिन क्या देश में पर्याप्त नौकरियों के अवसर हैं? क्या इससे बेरोज़गारों को उनकी योग्यता के मुताबिक अवसर की भरपाई हो सकेगी? ऐसे कई बड़े सवाल हैं।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल रेलवे, बैंक और एसएससी के तहत केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए 2.5 से 3 करोड़ तक आवेदन आते हैं। हर साल केंद्र में करीब 1.25 लाख लोगों की भर्ती की जाती है।
25 साल से कम उम्र के युवाओं की बेरोज़गारी दर 32.5 फीसदी तक पहुँच चुकी है। केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नौकरियों के मौके उत्पन्न करना एक चुनौती है। मध्य प्रदेश जैसे राज्य ने घोषणा कर दी है कि वहाँ पर नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया-अब मध्य प्रदेश के संसाधन में यहाँ के लोगों का पहला अधिकार होगा। सभी सरकारी नौकरियाँ केवल मध्य प्रदेश के बच्चों के लिए आरक्षित होंगी। हमारा उद्देश्य राज्य के विकास में स्थानीय प्रतिभाओं को शामिल करना है।
उधर, हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने घोषणा की है कि सरकार स्थानीय युवाओं के लिए निजी क्षेत्र में नौकरियों को आरक्षित करने का प्रयास करेगी। अब चूँकि निजी क्षेत्र में महामारी के कारण मंदी का दबाव है, इसलिए चिकित्सीय संकट से उबरने के बाद सरकारी के साथ निजी क्षेत्र में नौकरियों के लिए दबाव बढ़ जाएगा। तेज़ी से बढ़ती माँग के साथ रोज़गार उपलब्ध नहीं होने से बड़े विकट हालात बनते जा रहे हैं।
बहु-प्रचारित राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) की नियुक्ति के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति के साथ भर्ती प्रक्रिया को कारगर बनाने और कई चरणों में होने वाली परीक्षाओं पर कहीं ज़्यादा सुधार की ज़रूरत है। हम सभी इससे वािकफ हैं कि कई परीक्षणों के माध्यम से नौकरी हासिल करने में बहुत लंबा समय बर्बाद होता है। इससे उम्मीदवारों का समय जाया होने के साथ ही संसाधन का नुकसान भी होता है।
एनआरए उम्मीदवारों के समय और संसाधन दोनों को बचाएगा। एनआरए के परिणामस्वरूप प्रत्येक ज़िले में परीक्षा केंद्र की सुविधा होगी साथ ही बार-बार भरे जाने वाले फॉर्म शुल्क का बोझ भी कम होगा। सबकी सुविधाओं के हिसाब से एक जैसा पाठ्यक्रम होगा, जो शहरी और ग्रामीण युवाओं के बीच के भेदभाव को खत्म कर देगा। वर्तमान में सरकारी नौकरियों की आस वाले उम्मीदवारों को विभिन्न पदों के लिए कई भर्ती एजेंसियों द्वारा आयोजित अलग-अलग परीक्षाओं के लिए फॉर्म भरने के साथ ही बार-बार परीक्षाएँ देनी पड़ती हैं। उम्मीदवारों को कई भर्ती के लिए फीस का भी भुगतान करना पड़ता है।
इतना ही नहीं, एजेंसियों और विभिन्न
परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए लंबा सफर भी तय करना पड़ता है। सरकार की ओर से कहा गया है कि हर साल लगभग 1.25 लाख सरकारी नौकरियों का विज्ञापन किया जाता है, जिसके लिए 2.5 करोड़ से ज़्यादा उम्मीदवार विभिन्न
परीक्षाओं में उपस्थित होते हैं। एनआरए अब रेलवे, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), बैंकों के समूह-बी और समूह सी (गैर-तकनीकी) पदों के लिए समान पात्रता परीक्षा (सीईटी) कराएगी। एनआरए सरकारी और गैर-राजपत्रित पदों पर भर्ती के लिए प्रस्तावित सीईटी का मकसद हर साल वज्ञापित सरकारी नौकरियों में चयन के लिए विभिन्न भर्ती एजेंसियों द्वारा आयोजित कई परीक्षाओं को एक ही बार में ऑनलाइन आयोजित किये जाने के रूप में बदलना है। इसमें सारी व्यवस्थाएँ डिजिटल मोड में होंगी।
मुख्य विशेषताएँ
कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट साल में दो बार आयोजित किया जाएगा।
विभिन्न स्तरों पर रिक्त पदों की भर्ती के लिए स्नातक स्तर, 12वीं पास और 10वीं पास वालों के लिए अलग-अलग सीईटी होंगे।
सीईटी 12 प्रमुख भारतीय भाषाओं में आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय में भर्ती के लिए परीक्षा के रूप में यह एक बड़ा बदलाव है।
अभी तक केंद्र सरकार की नौकरियों की भर्ती सिर्फ अंग्रेजी और हिन्दी में होती थी।
सीईटी के साथ शुरुआत में तीन एजेंसियाँ कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड और बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान अभ्यर्थी चुन सकेंगी। बाद में इसे चरणबद्ध तरीके से विस्तार दिया जाएगा।
सीईटी वर्तमान में प्रचलित शहरी पूर्वाग्रह को हटाने के लिए देशभर में 1,000 केंद्रों में आयोजित किया जाएगा।
देश के हर ज़िले में एक परीक्षा केंद्र होगा। 117 ज़िलों में परीक्षा के बुनियादी ढाँचे पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा।
सीईटी उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए तीन स्तर होंगे और इसका स्कोर तीन साल के लिए मान्य होगा।
ऊपरी आयु सीमा के अधीन सीईटी में उपस्थित होने के लिए उम्मीदवार द्वारा किये जाने वाले प्रयासों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। कोई कितनी बार भी परीक्षा दे सकेगा और सबसे ज़्यादा अंक वाली मेरिट के हिसाब से चुनाव होगा।
मौज़ूदा नियमों के अनुसार, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आयु में छूट का प्रावधान भी लागू होगा।
अभ्यर्थियों के लिए फायदा
कई परीक्षाएँ न दे पाने से अभ्यर्थी बहुत-सी नौकरियों में खुद को आजमा नहीं पाते हैं, यह समस्या अब खत्म हो जाएगी। एकल परीक्षा शुल्क उन वित्तीय बोझ को कम करेगा जो विभिन्न परीक्षाओं में लगाये जाते हैं।
चूँकि परीक्षा हर ज़िले में आयोजित की जाएगी, इसलिए दावेदारों के लिए यात्रा और वहाँ पर ठहरने के खर्च में बचत होगी। अपने गृह ज़िले में परीक्षा होने से महिला उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों के लिए ज़्यादा-से-ज़्यादा आवेदन करने को प्रोत्साहन मिलेगा। आवेदकों को एक ही पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक है। परीक्षा की तारीखों के टकराव के बारे में चिंता करने की भी ज़रूरत नहीं रहेगी।
संस्थानों के लिए भी फायदेमंद
उम्मीदवारों की प्रारंभिक या स्क्रीनिंग परीक्षा आयोजित करने की परेशानी दूर हो जाएगी।
कई चरण में होने वाली भर्ती में कमी आ जाएगी।
परीक्षा पैटर्न में मानकीकरण को अपनाया जाएगा।
विभिन्न भर्ती एजेंसियों के लिए इसमें किये जाने वाले खर्च में कटौती होगी। इससे 600 करोड़ रुपये की बचत की उम्मीद है।
24/7 हेल्पलाइन सेवा की सुविधा
सरकार ने ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में उम्मीदवारों को ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली से परिचित कराने के लिए इसकी पहुँच और जागरूकता की सुविधा प्रदान करने की योजना बनायी है। ऐसी किसी भी तरह की शिकायत या जिज्ञासा के बारे में जानने के लिए 24ङ्ग7 हेल्पलाइन सेवा स्थापित की जाएगी।
राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सोसायटी होगी। इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के सचिव रैंक के अधिकारी करेंगे। इसमें रेल मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग, एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
उम्मीद है कि एनआरए एक अत्याधुनिक निकाय होगा जो केंद्र सरकार की भर्तियों के लिए एक अत्याधुनिक तकनीक और सर्वश्रेष्ठ विकृप साबित होगा।
एनआरए की आवश्यकता क्यों है?
जब यह अस्तित्व में आने के साथ एनआरए एक सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) आयोजित करेगा और सीईटी स्कोर के आधार पर एक उम्मीदवार संबंधित एजेंसी के साथ रिक्त पद होने पर आवेदन कर सकेगा। इसमें ग्रुप-बी और सी पदों के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट पहले किया जाएगा, साथ ही कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) व रेलवे भर्ती बोर्ड (एसएससी) और बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) भी इसी मेरिट के हिसाब से अभ्यर्थियों का चुनाव कर सेकेंगे।
परीक्षा तीन स्तरों स्नातक, 12वीं कक्षा और 10वीं पास उम्मीदवार के लिए आयोजित की जाएगी। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का पाठ्यक्रम सामान्य होगा। एक उम्मीदवार का सीईटी स्कोर सरकार में सभी नौकरियों के लिए परिणाम की घोषणा की तारीख से तीन साल की अवधि के लिए मान्य होगा। सामान्य प्रवेश परीक्षा तमाम स्थानीय भाषाओं में आयोजित की जाएगी। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में विभिन्न ज़िलों में एनआरए और परीक्षा केंद्र स्थापित करने के लिए 3 साल की अवधि को एनआरए के लिए 1517.57 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दे दी है। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उम्मीद जतायी है कि एनआरए स्थापित करने का निर्णय नौकरी चाहने वालों को एक सामान्य परीक्षा लेने और कई परीक्षाएँ देने में खर्च होने वाले खर्च और समय दोनों की बचत करेगा। वास्तव में यह प्रस्ताव प्रशंसनीय लगता है, लेकिन जो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है, वह है बेरोज़गारों की संख्या, साथ ही उनके योग्य रोज़गार की उपलब्धता। योग्य युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नौकरियों का सृजन होना भी तो ज़रूरी है।