प्रति,
मा. महामहिम राष्ट्रपति जी,
भारत,
राष्ट्रपती भवन, नई दिल्ली
विषय- भारत सरकार संवैधानिक संस्थाओंने बनाए कानून को ना मानने से यह देश लोगतंत्र की तरफ से हुकूमतंत्र की तरफ जाने की संभावना है। देश हुकूमतंत्र की तरफ ना जाए इसलिए प्रार्थना पत्र दे रहा हूं। नरेंद्र मोदी सरकार लोकपाल लोकायुक्त कानून का पालन नहीं कर रही है इसलिए मैं 30 जनवरी 2019 को अनशन शुरू कर रहा हूँ।
महोदय,
मैंने मेरा जीवन समाज और देश की सेवा के लिए उम्र के 25 साल में समर्पित किया है। जीवन के 81 साल की उम्र में सिर्फ समाज और देश के लिए निष्काम भाव से कार्य करते आया हूँ। मेरा देश मुझे प्राण से भी प्रिय होने के कारण और नरेंद्र मोदी सरकार लोगतंत्र को बाधित विचारों को लेकर चल रही है। इसलिए आपको पत्र लिख रहा हूँ। देश में बढते भ्रष्टाचार को रोकथाम लगे इसलिए लोकपाल, लोकायुक्त कानून 17 दिसंबर 2013 को राज्यसभा में और 18 दिसंबर 2013 को लोकसभा में पारित हो गया। 01 जनवरी 2014 को राष्ट्रपतीजी के हस्ताक्षर हुए है और 16 जनवरी 2014 को गॅझेट भी निकाला गया है। संसद में बने कानून का अमल करना सरकार की जिम्मेदारी है। कानून के आधार से देश चलता है। लोकपाल लोकायुक्त कानून दिसंबर 2013 को बनाने के बाद 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदीजी सरकार सत्ता में आई। नरेंद्र मोदी सरकारने कानून का अमल करना था। लेकिन इस सरकार को सत्ता में आकर पांच साल (जनवरी 2014 से जनवरी 2019) का समय बीत गया है। अभी तक कानून का अमल नहीं हो रहा है।
लोकपाल, लोकायुक्त कानून लोकसभा, राज्यसभा इन संवैधानिक संस्थाने बनाया कानून है। लोकपाल नियुक्ती करके लोगतंत्र में संसद में बने कानून का पालन सरकारने करना सरकार का कर्तव्य है। नरेंद्र मोदी सरकार लोकपाल लोकायुक्त कानून का पालन नहीं कर रही है। इसलिए हमारे देश की सर्वोच्च न्यायालय जो संवैधानिक संस्था है। उस सर्वोच्च न्यायालयने लोकपाल नियुक्ती करने के लिए सरकार को कई बार फटकार लगाई है। लेकिन यह सरकार सर्वोच्च न्यायालय का भी नहीं मान रही है। राष्ट्रपतीजी यह भी संवैधानिक संस्था है। उन्होंने इस कानून पर हस्ताक्षर कर के कानून का पालन करने की मुहर लगाई है। नरेंद्र मोदी सरकार उनका भी नहीं मान रही है।
1966 में हमारे देश में स्वच्छ शासन, स्वच्छ प्रशासन निर्माण हो इसलिए प्रशासनिक सुधार आयोग की स्थापना हुई थी। और उस आयोग ने स्वच्छ शासन, स्वच्छ प्रशासन निर्माण हो इसलिए केंद्र में लोकपाल हों और राज्योंमें लोकायुक्त हों यह शिफारिश की थी। प्रशासनिक सुधार आयोग यह भी संवैधानिक संस्था है। लोकसभा, राज्यसभा, सर्वोच्च न्यायालय और प्रशासनिक सुधार आयोग इन सभी संवैधानिक संस्था को यह सरकार पालन नहीं कर रही है। यह हमारे लोगतंत्र को बहुत बडा खतरा लगता है। संवैधानिक संस्था का सरकार पालन नहीं करने से हमारा देश लोगतंत्र से हुकूमतंत्र के तरफ जाने की संभावना है। ऐसा हमे लगता है। इसलिए मैं 30 जनवरी 2019 को अनशन कर रहा हूँ।
मेरा किसी पक्ष, पार्टी से कोई सम्बन्ध नहीं है। गांव, समाज और देश सेवा करने का जीवन में व्रत लिया है। लोकपाल लोकायुक्त कानून का पालन ना करने से मेरी वैयक्तिक कोई हानी नहीं होगी। लेकिन संवैधानिक संस्था का सरकार पालन नहीं कर रही हैं। यह लोगतंत्र की हानी जरूर होगी। इसकी मुझे चिन्ता लगती है। सरकारने संवैधानिक संस्थाओ को नही मानना देश लोगतंत्र से हुकूमतंत्र की तरफ जाने की संभवना है। सुधार हो इसलिए प्रार्थना पत्र भेज रहा हूँ। 30 जनवरी 2019 को मै अनशन कर रहा हूं ।