केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के िखलाफ 8 जनवरी को पूरे देश में बन्द रहा। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में युवा लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जामिया के बाद जेएनयू में जिस तरह की बर्बर कार्रवाई की गई, उसके विरोध में देश भर में युवाओं में उबाल आ गया है। इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच में पिछले दिनों दो युवतियों के पोस्टरों ने देश में हलचल पैदा कर खूब सुॢखयाँ बटोरी। पहला पोस्टर- सबसे •यादा चर्चित और विवादित रहा; यह पोस्टर देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई के गेटवे ऑफ इंडिया में 6 जनवरी को एक युवती का था, जिसमें लिखा था-‘फ्री कश्मीर’। जबकि दूसरा विरोध-प्रदर्शन का बैनर देश की राजधानी नई दिल्ली के लाजपत नगर इलाके का है, जहाँ पर 5 जनवरी को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह विधानसभा चुनाव के लिए कैंपेन करने निकले, तो उनको एक युवती ने घर की बालकनी पर ही इसे लटकाया था। यह अलग बात है कि मुम्बई में प्रदर्शन करने वाली युवती के िखलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है, जबकि लाजपत नगर के मामले में भाजपा कार्यकर्ताओं के उग्र रवैये के चलते मकान मालिक ने उसी रात को ही युवा वकील से घर करवा लिया जो अपने दोस्त के साथ रह रही थीं।
शाह को बैनर दिखाने वाली पेशे से वकील
देश के गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह लाजपत नगर कॉलोनी में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जागरूकता अभियान चलाने को निकले थे। इसी बीच महिला ने विरोध जताने को अपनी बालकनी में सीएए और एनआरसी के िखलाफ बैनर लटका रखा था। यह लडक़ी पेशे से वकील सूर्या राजप्पन है। राजप्पन पर हिंसक भीड़ ने घर में घुसकर हमला करने की कोशिश की थी। सूर्या का मानना है कि उसका विरोध आइडिया ऑफ इंडिया के लिए, जिसमें हम सब पले बढ़े हैं। वह कहती हैं कि अपने स्कूल के दिनों में 2020 के लिए जिस भारत की कल्पना की थी, वो ये नहीं है।
दिल्ली हाई कोर्ट में वकील 27 वर्षीय सूर्या कहती हैं, अगर मुझे लगता है कि सरकार कुछ गलत कर रही, तो यह मेरा संवैधानिक अधिकार है कि मैं उसका विरोध करूँ। सूर्या और उनकी दोस्त ने एक बेडशीट पर गुलाबी स्प्रे से पेंट करके बैनर तैयार किया था। हालाँकि इसके लिए उन्होंने बहुत मशक्कत नहीं की थी। यह विरोध अमित शाह के िखलाफ नहीं था, फिर भी उग्र भीड़ ने जिस तरह से बैनर फाड़ा, उसे कतई उचित नहीं ठहरा सकते। सूर्या का मानना है कि देश के हालात से वो नाउम्मीद होती जा रही थीं, पर अब विरोध प्रदर्शनों से एक उम्मीद जगी है।
महक कश्मीरी नहीं, मराठी लडक़ी
दूसरी युवती जो चर्चा में रही वह है- मुम्बई के गेटवे ऑफ इंडिया पर ‘फ्री कश्मीर’ का पोस्टर लहराने वाली महक मिर्जा प्रभु है। इंस्टाग्राम पर महक ने वीडियो के ज़रिये बताया- ‘गेटवे ऑफ इंडिया पर प्रदर्शन के दौरान एक पोस्टर उठाया था। यह पोस्टर वहीं पर पड़ा था। उसने इसे सिर्फ इसलिए उठाया था; क्योंकि मैं कश्मीर में इंटरनेट और मोबाइल सेवा बहाल किये जाने की बात का समर्थन करना चाह रही थी। महक ने स्पष्ट किया कि वह कश्मीरी नहीं, बल्कि मुम्बई की रहने वाली है। वह किसी गैंग का हिस्सा नहीं है।’
‘फ्री कश्मीर’ का पोस्टर गर्ल खुद बताती हैं कि वह मुम्बई में रहती हैं और लेखिका हैं। पोस्टर को गलत नज़रिये से देखा जा रहा है। मुम्बई में जेएनयू के छात्रों के समर्थन के साथ ही सीएए और एनआरसी के विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच बहुत से पोस्टर वहाँ पड़े थे, उन्हीं में से एक यह प्ले कार्ड था जिस पर फ्री कश्मीर लिखा था। महक प्रभु बताती हैं कि उनके प्लेकार्ड को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
1982 में जन्मी महक मूलत: मुम्बई की रहने वाली हैं। वे टेड टॉक जैसे प्लेटफॉर्म पर अपने विचार रख चुकी हैं। उनका वीडियो ‘अम्मी का मोबाइल फोन’ भी सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रहा था। महक ब्लॉग के ज़रिये सामाजिक मुद्दे उठाती रही हैं। स्टोरी टेलिंग का एक ऑनलाइन स्कूल भी चलाती हैं। यू-ट्यूब पर भी चर्चित हैं, जहाँ पर उनके वीडियो को लाखों लोग देख चुके हैं।