मजदूर संगठनों की उद्वार की देशव्यापी हड़ताल का व्यापक असर दिखा है। खासकर बैंक कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने से बैंकिंग सेवाओं पर इसका खासा असर पड़ा। इस हड़ताल का आह्वान दस केंद्रीय मजदूर संगठनों ने किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक कई जगह हड़ताल से जनजीवन पर असर पड़ा है। पटना में छात्रों से पुलिस की झड़प हो गई। अभी तक बंद में किसी हिंसा या गड़बड़ की कोइ खबर नहीं है। हड़ताल के कारण देश भर में कई जगह सार्वजनिक बैंकों की शाखाओं में नकदी जमा करने और निकालने जैसी गतिविधियां प्रभावित दिखीं।
हड़ताल की अपील को देखते हुए अधिकतर बैंकों ने अग्रिम रूप से अपने ग्राहकों को बता दिया था। बैंक कर्मचारियों के सगठनों एआईबीईए, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी और बैंक कर्मचारी सेना महासंघ ने हड़ताल का समर्थन करते हुए इसमें हिस्सा लिया।
इससे पहले देश के विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मंगलवार को ”भारत बंद” रखा था।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने दावा किया है कि उनकी हड़ताल सफल रही है। उनके मुताबिक बैंक कर्मचारियों की दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन किया।
वेंकटचलम के मुताबिक हड़ताल बैंक विलय, निजीकरण, शुल्क वृद्धि और वेतन से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर सरकार की नीतियों के विरोध में की गयी है। ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एंप्लॉयज एसोसिएशन (एआईआरबीईए) और ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन (एआईआरबीडब्ल्यूएफ) और कुछ बीमा यूनियनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है। बारिश के बावजूद कई जगह हड़ताल का असर रहा। शिमला में बर्फबारी के बीच सीटू ने केंद्र की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।
उधर आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की महासचिव अमरजीत कौर ने हड़ताल को सफल बताते हुए कहा कि राष्ट्रव्यापी हड़ताल में १० केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सदस्यों के साथ विभिन्न क्षेत्रीय महासंघ भी हिस्सा ले रहे हैं। केंद्रीय यूनियनों में एटक, इंटक, सीटू, एआईसीसीटीयू, सेवा, एलपीएफ समेत अन्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह हड़ताल महंगाई, सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में १०० प्रतिशत एफडीआई और ४४ श्रम कानूनों को संहिताबद्ध करने (श्रम संहिता) के खिलाफ की गयी है।