राजद्रोह कानून को लेकर विधि आयोग की रिपोर्ट पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि देशद्रोह मामलों पर आयोग की सिफारिशों से देश में बवाल बढ़ेगा। इस रिपोर्ट को बेहद दुखद बताते हुए उन्होंने कहा कि, ये काले दिवस का काला कानून हैं और बेहद दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उच्चतम न्यायालय ने बड़ा स्पष्ट कहा कि इसको हम स्थगित कर रहे है रोक रहे है क्योंकि हम समझते हैं कि पूर्णविचार करके सरकार या तो इसको हटा देगी या इतना कमजोर कर देगी की इसकी प्रताड़नाएं नागरिक को झेलनी नहीं पड़ेगी।
दिल्ली स्थित मुख्यालय में शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, “भाजपा राजद्रोह के कानून को भयानक और दर्दनाक बनाना चाहती है। जिससे की शासक और प्रजा की दूरी को बरकरार रखा जा सके साथ ही पक्षपात कर विपक्ष के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके।“
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि, “इसकी परिभाषा सरकार ने यह निकाली है कि बहुत ज्यादा खतरनाक, भयावह और दर्दनाक प्रस्तावित किया गया है। जिसमें की निचले दर्जे के दंड को 3 साल से बढ़ाकर 7 साल किया गया है। उच्चतम न्यायालय की कहावत की स्पिरिट को पूरी तरह से उल्लंघन किया गया है। 2014 के बाद जो आंकड़े दिखते है उसके अंतर्गत हर पहलु पर इसका दुर्रूपयोग हुआ हैं। इसका दुरुपयोग पक्षपात और सिर्फ विपक्ष के वर्गों के विरूद्ध हुआ हैं। साथ ही पत्रकारों के विरुद्ध इसका उपयोग किया गया है। इस सरकार ने यह घोषणा कर दी है कि उसकी मानसिकता कोलोनियल है और एक परोक्ष रूप से यह भी संदेश भेजा है कि अब चुनाव आ रहे है और हम गणतांत्रिक नींव पर नियंत्रित सरकारे अब आपके ऊपर निगरानी रखेंगी और अब आपके हर बोलने पर हम पर रोक लगाऐंगे।”
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देशद्रोह कानून पर लॉ कमीशन की रिपोर्ट का स्वागत करते हुए शुक्रवार को एक ट्वीट कर कहा कि, “राजद्रोह पर विधि आयोग की रिपोर्ट व्यापार परामर्श प्रक्रिया के चरणों में से एक हैं। रिपोर्ट में की गई सिफारिशें प्रेरक हैं और बाध्यकारी नहीं है। अंतत: सभी हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। ”
अर्जुन राम मेघवाल ने दूसरा ट्वीट कर कहा कि, “अब जबकि हमें रिपोर्ट मिल गई है, हम अन्य सभी हितधारकों के साथ परामर्श करेंगे ताकि हम जनहित में एक सूचित और तर्कपूर्ण निर्णय ले सकें। ”
आपको बता दें, विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने देशद्रोह कानून पर गुरुवार के दिन एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देशद्रोह कानून को कुछ बदलाव के साथ बरकरार रखा जाना चाहिए। उसको निरस्त करने से देश की अखंडता और सुरक्षा पर असर पड़ सकता हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, धारा 124 ए को इसके दुरुपयोग से रोकने के लिए कुछ कुछ सुरक्षा उपायों के साथ बरकरार रखा जाना चाहिए। साथ ही 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रितु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने एक कवरिंग लेटर लिख कर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कुछ सुझाव भी दिए हैं।
देशद्रोह कानून को सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में स्थगित कर राज्य सरकारों से कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से इस कानून को लेकर जांच पूरी होने तक इस प्रावधान के तहत सभी लंबित कार्यवाही में जांच जारी न रखें।