दूध, चीज, पनीर और दूसरे उत्पादों में पचपन-साठ फीसद नमूने गुणवता के मानकों पर इतने खराब निकले कि वे मानव उपयोग के लिए कतई उपमुक्त नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2016 में केंद्र सरकार को सलाह दी थी कि दूध उत्पादकों को जब मिलावट का दोषी पाया जाए तो उन्हें उम्रकैद की सजा दी जाए। इसके लिए भारतीय दंड संहिता ने आवश्यक सुधार भी किया जाए। इस सजा की शुरूआत हो तो हो सकता है कि मिलावट करने से लोग बचें।
यदि भारतीय दंड संहिता के तहत फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट में संशोधन कर दिया होता तो शायद पंजाब में 724 में से 434 नमूने गुणवत्ता जांच में फेल न पाए जाते। मिलावट करने के लिए दोषी पाए गए लोगों पर सिर्फ छह महीने की सजा का विधान है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और जस्टिस आर भानुमति ने यह सलाह दी थी कि यह उपयुक्त समय है जब केंद्र सरकार भारतीय दंड संहिता में और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट में कड़ी व्यवस्था करे जिससे धारा 272 (फूड एंड ) में संशोधन करके उम्रकैद की सजा मिलावट करने पर कर दें। बेंच ने 2013 की दिसंबर में अदालत के उस निर्देश को याद किया जिसके तहत केंद्र सरकार को ज़रूरी संशोधन भारतीय दंड संहिता में करने की सिफारिश की थी। जिससे अधिकतम सजा उत्तर प्रदेश, ओडिया और पश्चिम बंगाल में दी जा सके।
संशोधन जो सुप्रीम कोर्ट ने सुझाए
सुप्रीमकोर्ट का मानना था कि भारत में चूंकि परंपरगत तरीके से शिशुओं और बच्चों को दूध ही पिलाया जाता है इसलिए दूध और इसके उत्पादकों में मिलावट बहुत चिंता का विषय है और कड़े कानून बना कर मिलावट के खिलाफ जेहाद छेडऩा ज़रूरी है। मिलावटी दूध और मिलावटी दुध उत्पादकों से मानव जि़ंदगी खतरे में पड़ जाती है इसलिए भारत सरकार फूड सेफ्टी एंड स्टैंडडर््स एक्ट में 2006 में संशोधन करे और केंद्र सरकार भी राज्य में संशोधनों में उन प्रावधानों में कानूनी बदलाव करे।
हालांकि पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार मंत्री ब्रहम मोहिंदर ने जिला स्वास्थ्य अधिकारियों और एसिस्ेटेंट फूड कमिश्नरों को आदेश दिए है कि वे उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करें जो फूड सेफ्टी और स्टैंडर्डस एक्ट 2006 का पालन नहीं कर रहे है। हालांकि इससे ज्य़ादा मदद नहीं मिलती क्योंकि इसके तहत कुछ महीनों की कैद और कुछ ही जुर्माने की रकम है। इससे कोई भी व्यक्ति मिलावट कर सकता है और जुर्माना अदा कर और छह महीने की सजा काट कर वापस अपना काम करता रह सकता है।
चंडीगढ़ के पास खरड़ में सरकारी प्रयोगशाला मेें गुणवता की जांच के लिए भेजे गए तमाम नमूनों में दूध की मिलावट पाई गई। एक जमाने में पंजाब के हरीत क्रांति के बाद खेत क्रांति हुई थीं। आज पंजाब में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 1,035 एमएल प्रतिदिन है।
स्वस्थ पंजाब
मिलावट के इतनी तरह के नमूनों की असलियत की जानकारी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की ओर से छेड़े गए टैंड्ेस्ट (स्वस्थ) पंजाब से हुई है। फूड एंड ड्रग एडेमिनिस्ट्रेटशन और टैन्ड्रट पंजाब मिशन के निदेशक कहान सिंह पन्नू ने बातचीत में जानकारी दी कि यह अभियान समय पर छेड़ा गया क्योंकि प्रदेशों के नागरिकों का स्वास्थ्य प्रदेश सरकार के लिए बेहद ज़रूरी मसला है। पंजाब के लोग आमतौर पर स्वस्थ, फु र्तीले माने जाते हैं और वे कहते भी हैं कि उनका एक दिन पूरा नहीं होता जब तक देशी घी, दूध, पनीर, मक्खन और मट्ठा नहीं पी लेते। उनके भोजन में साग और मक्खन ज़रूर होता है जिसके साथ लस्सी होती है।
स्वास्थ विभाग और पुलिस की एक संयुक्त टीम ने पटियाला से 35 किलोमीटर दूर देवीगढ़ के पास रेहों गांव में एक कारखाने पर छापा मार कर मिलावटी दूध और दूसरे दूध उत्पाद ज़ब्त किए। हर उत्पाद को 50-50 किलो लिया गया। इस टीम ने सात हजार लीटर नकली दूध, घी जब्त किया। दूध बनाने के लिए 250 लीटर रसायन भी जब्त किया गया जिससे मिलावटी दूध बनता था। फिर बीस कुंतल चीज और बारह कुंतल घी भी फैक्टरी मेें मिला। स्वास्थ्य विभाग ने इस बड़े छापे के पहले भी इस फैक्टरी से दूध के नमूने लिए थे। फैक्टरी के मालिक अनिल कुमार सिंगला को गिरफ्तार किया गया। उन पर धारा 420 (धोखाधड़ी), 472 (नकली सील रखना) और 474 (जाली कागजात) के तहत मुकदमे दर्ज किए गए।
ये उत्पाद बड़े और नामी होटलों और मिठाई के दूकानों को सप्लाई किए जाते। आस पास के गांवों के डेरी किसानों ने पिछले दिनों अधिकारियों से भेंट की थी और उन्हें फैक्टरी में चल रहे गोलमाल की जानकारी दी। कमिश्नर केएस पन्नू ने एक प्रेस रिलीज मेें जानकारी दी कि ऐसी एक टीम ने मोगा जिले में विष्णु मिल्क सेंटर पर छापा मारा और एक कुंतल दूध के पाउडर को जब्त किया। इसके अलावा यहां से 15 किलो डिटर्जेंट पाउडर 128 किलो मिलावटी घी तीन सौ किलो पनीर जब्त किया गया। एक टीम ने संगरूर के भवानीगढ़ इलाके के हरकिशनपुरा गांव के एक डेरी फार्म पर छापा मारा। यहां से भी मिलावटी दूध और दूध के दूसरे उत्पाद जब्त किए। इसके अलावा विभिन्न अंदरूनी क्षेत्रों से भी दूध और दूध उत्पादों के नमूने लिए गए और टैंकर चिजिंग सेंटर, क्रीम और दूध जब्त किए।
जीरो टॉलरेंस
मिलावटी दूध और दूध के दूसरे तमाम उत्पादों की पड़ताल का सिलसिला इन दिनों पंजाब में खासा प्रभावी है। पंजाब के फूड एंड ड्रग एडमिनिटट्रेटन केएस पन्नू ने फैसला लिया है कि पंजाब में आहार में मिलावट के गोरखधंधा का पर्दाफाश जल्द से जल्द कर लेंगे। पूरे राज्य में आहार की गुणवत्ता दुरूस्त की जाएगी। किसी भी हालात में आहार में किसी भी तरह की मिलावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि राज्य में जो भी लोग आहार की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करते पकड़े जाएंगे उन्हें कई तरह के कानून तोडऩे के तहत भी सजा बर्दाश्त करनी होगी। खास तौर पर नकली दूध और दूध के उत्पादों में मिलावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों से अपील भी की कि वे पंजाब में आहार में किसी भी तरह की मिलावट के केंद्रों पर बिना डर कार्रवाई करें और इस समाजिक बुराई पर काबू पाएं। उन्होंने जनता से भी अपील की कि वे आगे आएं और सरकार को मिलावट के नमूने भी दें।
दूध में मिलावट की कैसे जांच करें?
पंजाब की सरकारी डेरी कोआपरेटिव मिल्क फेड दूध और दूध उत्पाद वेरका नाम से बेचता है। इसने नेशनल डेरी रिसर्च ईस्टीच्यूट (एनडीआरआई) की ओर से विकसित स्ट्रिप बेस्ड तकनीक हासिल की है जिससे दूध में मिलावट का पता लगाया जा सकता है। इस तकनीक से स्करोज, ग्लूकोज और हाईड्रोजन पेरोक्साइड भूट्रिलाइजर, डिटरजेंट, माल्टो डक्स्ट्रीन और यूरिया की भी दूध में मौजूदगी की जानकारी हो जाती है।
मिल्कफेड के प्रबंध निदेशक मनजीत सिंह बराड़ ने बताया कि पंजाब में स्ट्रिप बेस्ड तकनीक को गांव गांव में उपलब्ध कराया जाएगा जिससे वे दूध में मिलावट का पता लगा सकें और शासन को खबर दे सकें।