यह जबरदस्त कहानी है विश्व बंधुत्व की। आपसी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की यह एक मिसाल है जिसके चलते फुटबाल खेलने वाले 12 बच्चों और एक कोच को तंग दुर्गम कंदरा से बाहर निकालने में कामयाबी मिली। यह हौसला ही था बच्चों में जिसके चलते वे तकरीबन 20 दिन तक बिना पानी- भोजन के अंधेरे में रह सके।
जीवन की यह असली कहानी है जो थाइलैंड में घटित हुई। लगभग सांस रोक कर पूरी दुनिया ने टीवी चैनेलों पर उस जटिलता को भांपा जिसमें 11 से 16 साल के 12 बच्चे और एक कोच 23 जून से फंस हुए थे, अनजाने में। इन बच्चों को निकालने में जुटे थाई नौसेना की एसईएएल टीम के जवान और ब्रिटेन के विशेषज्ञ, अमेरिका की इंडो पेसिफिक कमांड के पैरा-रिस्क टीम के लोग, आस्टेऊलिया, चीन, जापान के भूगर्भ विशेषज्ञ और एक अमेरिकी करोड़पति एलन मस्क। इन सबके संयुक्त प्रयास से मिली सफलता।
उत्तरी थाईलैंड के चियांग रे की थाम लुआंग नांग नान गुफाओं में ये सभी बच्चे अपने कोच के साथ 23 जून को फुटबाल खेल की अपनी प्रैक्टिस के बाद लौटते हुए अंधेरे में खो गए। उसके बाद मानसून की हुई बारिश से गुफाओं में अंदर भी खासा पानी भर गया। गुफा के अंदर भी कई ऊंचे और निचले स्तर थे।ये बच्चे ऊँचाई की ओर ही ठिठके रहे। तकरीबन दो सप्ताह से भी ज़्यादा समय तक वहां फसे रहे। प्यास लगने पर ये गुफा में ऊपर पत्थरों से आते जल को पीते। लेकिन गुफा में निचली ऊबड़-खाबड़ तलहटी में कीचड वाला बारिश का पानी भरता जा रहा था। ऑक्सीजन भी घटती जा रही थी। बच्चों ने इंतजार किया राहत का, सहयोग का, हिम्मत नहीं छोड़ी । वे एक दूसरे का हौसला बंधाते रहे।
दो सप्ताह के निर्जन प्रवास, और तमाम मानसिक तनाव, शारीरिक कमजोरियों की देख-भाल के लिए सभी बच्चों को निकाल लिया गया। उन्हें फौरन एंबुलेसं से अस्पताल भिजवाया गया। जहां उनके तमाम परीक्षणों और उनके ‘नार्मलÓ होने पर अब उनके परिवारों में भेजा जाएगा।