देश में प्रदूषण के बढ़ते खतरे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न त्योहारों पर पटाखे चलाने को लेकर समय सीमा निर्धारित कर एक बड़ा फैसला किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने न तो पटाखे चलाने पर रोक लगाई है न बेचने पर, हाँ समय सीमा निर्धारित की है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि केंद्रीय और राज्य प्रदूषण बोर्ड त्यौहार के ७ दिन पहले से और सात दिन बाद तक वातावरण में पीएम (हवा में धुएं से प्रदूषण और शोर प्रदूषण) की क्या मात्रा रही, इसकी जांच करनी होगी।
दिवाली के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने शाम ८ बजे से लेकर १० बजे के बीच हे पटाखे चलाने की इजाजत दी है। इसी तरह नए साल और क्रिसमस आदि पर रात ११.५५ से १२.१५ के बीच ही पटाखे चलाये जा सकेंगे। अब ऑनलाइन पटाखे नहीं ख़रीदे जा सकेंगें। इसपर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने सुझाव दिया है की कम्युनिटी लेवल पर पठाखे चलाएं ताकि काम प्रदूषण हो।
तमिल नाडु में पटाखों का सबसे ज्यादा निर्माण होता है। इस व्यापार से लाखों लोग जुड़े हुए हैं। हालाँकि देश भर में पर्यावरण प्रेमी बढ़ते प्रदुषण से चिंतित थे और चाहते थे कि इसपर रोक लगाई जाये। हालाँकि कोर्ट ने बीच का रास्ता निकलते हुए पूर्ण प्रतिबन्ध न लगाकर समय सीमा निर्धारित कर दी है जिसका निश्चित ही बेहतर असर पड़ेगा।
सबसे बड़ा निर्देश केंद्रीय और राज्य प्रदूषण बोर्डों को दिया गया है। इसके मुताबिक त्यौहार के ७ दिन पहले से और सात दिन बाद तक वातावरण में पीएम (हवा में धुएं से प्रदूषण और शोर प्रदूषण) की क्या मात्रा रही, इसकी जांच उन्हें करनी होगी। इससे यह पता चल सकेगा की त्योहारों में पटख चलने का वातावरण पर क्या असर पड़ा। दिल्ली और देश के कुछ दूसरे शहरों में हवा में धुएं और शोर की मात्रा बढ़ने से लोगों की ज़िंदगी धीरे-धीरे नरक होती जा रही है।