शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र सामना के एडिटोरियल में दिल्ली हिंसा के मद्देनजर केंद्र सरकार, विशेष रुप से गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। एडिटोरियल में पूछा गया है कि गृहमंत्री कहां परहैं ? साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायधीश मुरलीधर के ट्रांसफर को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है ! सामना कहता है कि सरकार ने दंगों के संदर्भ में न्यायालय द्वारा केंद्र व राज्य सरकार को आड़े हाथ लेने वाले न्यायालय के न्यायधीश का तबादला करके सत्य को ही मार डाला है ।
सामना लिखता है, देश की राजधानी में 38 लोग मारे गए उनमें पुलिसकर्मी भी हैं। केंद्र का आधा मंत्रिमंडल उस समय अहमदाबाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को को सिर्फ नमस्ते नमस्ते साहब! कहने के लिए गया था। केंद्रीय गृह मंत्री व उनके सहयोगी अहमदाबाद में थे। उसी समय गृह विभाग के एक गुप्तचर अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या दंगों में हो गई । लगभग 3 दिनों बाद प्रधानमंत्री ने शांति बनाए रखने का आह्वान किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल चौथे दिन अपने सहयोगी के साथ दिल्ली की सड़कों पर लोगों से चर्चा करते दिखे इससे क्या होगा ? जो होना था वह नुकसान पहले ही हो चुका है। सवाल यह है कि इस दौर में हमारे गृह मंत्री का दर्शन क्यों नहीं हुआ ? देश को मजबूत गृह मंत्री मिला है लेकिन दिखे नहीं इस पर हैरानी होती है। विधानसभा चुनाव में अमित शाह को वक्त मिला । उन्होने घर-घर जाकर प्रचार पत्रिका बांटे लेकिन जब पूरी दिल्ली हिंसा की आग में जल रही थी तब गृह मंत्री नहीं दिखाई नहीं दिए!
न्यायधीश मुरलीधर के तबादले पर सामना लिखता है , दिल्ली की कानून व्यवस्था स्पष्ट रूप से धराशाई हो गई है ।1984 के दंगों की तरह बैंकर हालत निर्माण ना हो इस तरह की टिप्पणी करने वाले और जनता के मन के आक्रोश को आवाज देने वाले न्यायधीश मुरलीधर का, जो कहते हैं कि सभी आम नागरिकों को सुरक्षा देने का वक्त आ गया है, का अगले 24 घंटों में तबादला हो जाता है। यह केंद्र और राज्य सरकार की न्यायालय में आलोचना करने का परिणाम है ।सरकार ने न्यायालय द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को मार दिया।न्यायाधीशों को भी सत्य बोलने की सजा मिलने लगी है ? न्यायमूर्ति मुरलीधर ने गलत क्या कहा उन्होंने सत्य कहा इतना ही है।राष्ट्रवाद का उन्माद और धर्मांधता की मदमस्ती यह दो प्रवृतियां देश को 300 वर्ष पीछे धकेल रहीहैं। भड़काऊ भाषण की राजनीति में निवेश बन गए हैं देश की अर्थव्यवस्था साफ तौर पर धराशाई हो रही है लेकिन भड़काऊ भाषण का निवेश और उसका बाजार जोरों से चल रहा है केंद्र के एक मंत्री अनुराग ठाकुर सांसद प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ मामला दर्ज करने आदेश अब दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया है। जिन्होंने यह आदेश दिया उस न्यायमूर्ति को सरकार ने सजा दे दी।
आज फिर वीर सावरकर का जिक्र करते हुए सामना कहता है, वीर सावरकर के गौरव के लिए जो लोग राजनीतिक नौटंकी कर रहे हैं वे देश के गौरव के बारे में सोचें ।राजधानी की हिंसा का धुआं देश का दम घोट रहा है ।उसमें देश के गृहमंत्री कहीं भी नहीं दिखाई देते यह चिंता करने जैसा मामला है ।