देश की राजधानी नई दिल्ली में जहाँ की आबादी तकरीबन दो करोड़ है। साथ ही यहाँ पर रोज़ाना आवाजाही करने वालों की तादाद भी लाखों में है। घूमने के लिहाज़से या फिर इलाज के लिए भी बड़ी तादाद में लोग यहाँ परिवार के साथ आते हैं। आँकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में रोज़ाना औसतन 80 लोग लापता होते हैं। इस साल सितंबर तक करीब 18,000 से अधिक लोगों के गुमशुदा होने की शिकायतें दर्ज करायी गयी हैं। इनमें ज़्यादातर बच्चे, बजुर्ग, महिलाएँ और बच्चियाँ हैं। गुमशुदा लोगों को अपनों से मिलाने के लिए दिल्ली पुलिस एक अनूठा अभियान इसी साल दिसंबर से शुरू करने जा रही है। इस अभियान के ज़रिये रेलवे स्टेशनों, मेट्रो स्टेशनों, बाज़ारों, बस अड्डों, मॉल आदि जगहों पर लापता लोगों का विवरण तस्वीरों के साथ स्क्रीन पर बार-बार दिखाया जाएगा। सम्बन्धित एजेंसियों से सम्पर्क साधने के लिए टेलीफोन नम्बर भी दिये जाएँगे। इसके अलावा गुमशुदा लोगों का विवरण एप के ज़रिये भी निरन्तर अपडेट किया जाएगा। दिल्ली में साल 2018 में 23,862 लापता लोगों की शिकायत विभिन्न थानों में दर्ज करायी गयी थी; जिनमें 15,344 अब भी लापता हैं।
पुलिस के मिसिंग पर्सन एप के ज़रिये आम लोगों को भी सतर्क रहने की ज़रूरत है। क्योंकि इससे बच्चों के साथ मानव तस्करी की गतिविधियों को रोकने में कामयाबी मिल सकती है। िफलहाल पायलट प्रोजेक्ट तौर पर रेलवे और मेट्रो स्टेशनों तथा मॉल्स में इसकी स्क्रीन दिखायी जाएगी और अगर अनुकूल प्रतिक्रियाएँ मिलीं, तो आगे इसका विस्तार किया जा सकता है। इससे आपकी सतर्कता भी बच्चा-चोर गिरोहों को पकड़वाने में मददगार साबित हो सकती है। चूँकि मानव तस्कर अमूमन ट्रेनों या बसों के ज़रिये ही आवाजाही करते हैं; ऐसे में इन जगहों पर नज़र रखने से बच्चा चोर और मानव तस्करी करने वाले गिरोहों पर शिकंजा कसा जा सकता है।
एप के ज़रिये कैसे करें शिकायत
गुमशुदा लोगों की शिकायत दर्ज कराने लिए थाने जाना ज़रूरी नहीं है। अपने स्मार्ट फोन में आपको मिसिंग पर्सन एप डानलोड करना होगा। इसके बाद आपको शिकायत दर्ज कराने के स्टेप फॉलो करने होंगे और मामला दिल्ली पुलिस के हवाले हो जाएगा। दिल्ली पुलिस मामले को संज्ञान में लेकर गुमशुदा व्यक्ति का फोटो और परिचय स्क्रीन पर अपडेट कर की जाँच शुरू कर देगी।
‘बजरंगी भाईजान’ देख कर्नाटक ने अपनाया था मिस्ड पर्सन एप
कर्नाटक की पुलिस ने पहले से ही ‘मिस्ड पर्सन’ एप के ज़रिये गुमशुदा लोगों की तलाश में मदद ली जा रही है। यहाँ पर इस एप के ज़रिये अपनों को ढूँढने में मदद मिली है, साथ ही शिकायत दर्ज कराने में सहूलियत हुई है।
गौर करने वाली बात यह है कि कर्नाटक पुलिस को यह आइडिया फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ देखने के बाद आया। यहाँ के पुलिस अधिकारी कुछ ऐसा करना चाहते थे, जिससे कि पुलिस लापता लोगों को उनके परिवार वालों से मिला सके। जैसा कि फिल्म में दिखाया गया कि किस तरह से पाकिस्तान की गूँगी, बहरी बच्ची अपने परिजनों से बिछड़ जाने के बाद कैसी-कैसी दुश्वारियों से जूझी और उसे किस तरह वीडियो वायरल करके उसके परिजनों से मिलाया गया। पुलिस चाहती है कि किसी भी परिजन को इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।