दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो चुकी है। दिल्ली की सत्ता में काबिज़ आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग बजा रही हैं। सभी पाॢटयों की बयानबाज़ी पर गौर किया जाये, तो बातों और घातों की ही राजनीति नज़र आ रही है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि इस बार का चुनाव अपने आप में अनोखा होगा। क्योंकि आप पार्टी और भाजपा के बीच मुकाबले के तौर देखा जा रहा है। लेकिन कांग्रेस के अपने ही दावे हैं। वहीं हकीकत यह है कि दिल्ली के मतदाताओं का मिज़ाज कोई नहीं जानता। इस बार अधिकतर मतदाताओं का मिज़ाज कुछ उखड़ा-उखड़ा सा भी है। वहीं पाॢटयों की बात करें तो कांग्रेस जीत का दावा ठोकते हुए खोये हुए जनाधार को वापस पाने के लिए सेंध लगाने में लगी है।
एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि जब आम आदमी पार्टी जब दिल्ली में नहीं थी, तब सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होता रहा है। लेकिन 2014 और 2015 में आप के आने के बाद और आप की सरकार बनने के बाद दिल्ली की सियासत का मिज़ाज बदला है। यहाँ पर हर हाल में मूलभूत सुविधाएँ समाज के आिखरी नागरिक तक को मिलनी चाहिए। ऐसे में दिल्ली के चुनाव पूर्व ये अनुमान लगाना मुश्किल होगा कि सरकार किस पार्टी की बनेगी। इन्हीं तमाम मुद्दों पर ‘तहलका’ संवाददाता ने पड़ताल की।
मुद्दा यह भी है कि दिल्ली में आप पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल की जिस पर अभी तक सीधे तौर पर किसी घोटाले या फिर धोखाधड़ी का कोई आरोप नहीं लगा है। यानी उनकी छवि एक साफसुथरे मुख्यमंत्री की है। ऐसे में चुनाव के दौरान आरोपबाज़ी के जवाब देने के लिए वे और उनकी पार्टी तैयार हैं। उन्होंने दिल्ली में विकास भी किया है और कोई दाग भी अभी तक नहीं लगा, जिस पर आम आदमी पार्टी की सरकार की किरकिरी हुई हो। वहीं केजरीवाल मँझे हुए नेता की तरह राजनीति करने लगे हैं। क्योंकि जब अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तो उन्होंने देश की सियायत को भाँपते हुए तुरन्त इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे 370 हटाने के पक्ष में है। ऐसा ही उन्होंने राम मंदिर मामले में कहा कि अदालत के फैसले का वह स्वागत करते हैं। इन्हीं मामलों में अगर केजरीवाल की प्रतिक्रिया केन्द्र की भाजपा सरकार के विरोध में होती, तो वह ज़रूर चुनाव में भाजपा के लिए मुद्दा बनती; पर पिछली बयानबाज़ी से उन्होंने शायद सीख ली है। वहीं, दिल्ली में लोगों को उन्होंने तमाम सुविधाएँ मुफ्त में दे रखी हैं। चुनाव में मतदाताओं को मुफ्त में मिली ची•ों अगर वोट में तब्दील होती हैं, तो परिणाम फिर चौंकाने वाले होंगे। दिल्ली के लोगों का कहना है कि आंदोलन से निकली आप पार्टी को जनता ने बढ़ाया है और सरकार भी बनवायी; साथ ही दिल्ली में काम भी हुए हैं। ऐसे में एक मौका तो केजरीवाल के लिए और बनता है। इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के तौर उभरी आप पार्टी ने आम आदमी के लिए काम किया है। क्योंकि इससे पहले तक दिल्ली में जो भी सरकारें बनीं, किसी ने भी दिल्ली वालों को कोई भी सुविधा मुफ्त में नहीं दी। केजरीवाल सरकार ने तो पानी के साथ-साथ बिजली की सुविधा भी मुफ्त दी है। इसके साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर की हैं। यह अपने आप में अनोखी सरकार है। अब हाल यह है कि आप पार्टी पर घात लगाये बैठी विरोधी पार्टियों को कोई भी मुद्दा नहीं मिल पा रहा है। जिससे वे आप पार्टी की राजनीति को तितर-बितर कर सकें। पर ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
पिछली बार यमुनापार की 16 विधानसभा सीटों में से सिर्फ विश्वास नगर विधानसभा सीट पर ही भाजपा का खाता खुला था, जिसमें भाजपा के विधायक ओपी शर्मा ने जीत दर्ज की थी। किरन बेदी जैसी नेता भाजपा के टिकट पर चुनाव हार गयी थीं। कांग्रेस के डॉ. अशोक वालिया और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरविन्दर सिंह लवली जैसे दिग्गज चुनाव हार गये थे। दोनों कांग्रेस की दिल्ली सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
इधर, दिल्ली भाजपा के नेताओं का कहना है कि दिल्ली में पाँच साल में केजरीवाल सरकार ने काम कम, दाम •यादा खर्च किये हैं। जैसे पार्टी और अपने प्रचार-प्रसार के लिए पैसा बर्बाद किया है। केजरीवाल दिल्ली में विकास का ढिंढोरा पीट रहे हैं। चुनाव में लोगों को ठगने के लिए वह मुफ्त में बिजली और पानी दे रहे हैं। जनता केजरीवाल की बातों में आने वाली नहीं है। क्योंकि केजरीवाल की बातों और घातों को जनता समझ चुकी है। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि केजरीवाल शुद्ध हवा और पानी देने में नाकाम रहे हैं दिल्ली वाले केजरीवाल सरकार को कोस रहे हैं। आज बच्चे और बुजुर्ग बीमार हो रहे हैं। मनोज तिवारी का कहना है कि दिल्ली वालों को भरोसा है कि भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है, जो जनता के हित की सोचती है। अनधिकृत कॉलोनी को लेकर भाजपा की कोशिश रंग लायी है। अब दिल्ली वाले अपने मकान की पक्की रजिस्ट्री करा सकेंगे। जो अभी तक किसी पूर्व की सरकारों ने नहीं किया है।
इस बारे में हरियाणा कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष व बागी नेता अशोक तँवर का कहना है कि दिल्ली की सियासत मेें हरियाणा में हुए हाल में चुनाव का काफी असर देखने को मिलेगा। क्योंकि यमुनापार छोड़ तीन तरफ दिल्ली हरियाणा के बॉर्डर से टच है। अक्टूबर मेें जो चुनाव परिणाम सामने आये हैं। वो यह इशारा कर रहे हैं कि लोकसभा के चुनाव परिणाम अलग हैं और विधानसभा के चुनाव परिणाम अलग हैं। क्योंकि लोकसभा के चुनाव में दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा ने अपना कब्ज़ा बरकरार रखा है। ऐसे में भाजपा यह नहीं कह सकती कि वह दिल्ली विधानसभा सीटों पर अपना रुतबा दिखायेगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा चुनाव में आप पार्टी की 90 सीटों पर जमानत ज़ब्त हुई है और कांग्रेस पार्टी की 27 सीटों पर। भाजपा भी 75 से 40 सीटों में सिमट गयी है। भाजपा को लोकसभा चुनाव मेें 58 प्रतिशत वोट मिले थे, विधानसभा चुनाव में 36 प्रतिशत वोट मिले हैं। ऐसे में 22 प्रतिशत वोटों को गिरना भाजपा की साख और कामकाज पर सवालिया निशान लगाते है। तँवर का कहना है कि हरियाणा में हाल ही में जन्मी जेजेपी पार्टी, जिसके मुखिया को लोकसभा चुनाव में लगभग 5 प्रतिशत वोट मिले थे; मगर उसी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 16 प्रतिशत वोट हासिल कर 10 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनायी। ऐसा ही मामला दिल्ली में हो सकता है। क्योंकि दिल्ली की आप पार्टी की सरकार से और केन्द्र की भाजपा सरकार से जनता दु:खी है।
वहीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव जीतेन्द्र बघेल का कहना कि भाजपा की नीतियों की वजह से देश की आर्थिक-व्यवस्था चौपट हो रही है। युवा बेरोज़गार हो रहे हैं और फीस बढ़ोतरी से छात्रों और परिजनों पर वित्तीय बोझ बढ़ा है। व्यापारी परेशान हैं कल कारखाने बन्द हो रहे हैं। यही हाल आप पार्टी का है कि केजरीवाल साढ़े चार साल तक चुप रहे। भाजपा और आप पार्टी लड़ती रहीं, जिससे विकास कुछ नहीं हुआ। अब वोट पाने के लिए आप सरकार खैरात बाँट रही है। झूठे विज्ञाापन कर रही है कि दिल्ली वायु प्रदूषण कम हुआ है। जबकि सच्चाई यह है कि दिल्ली में प्रदूषण कम नहीं हुआ है। केजरीवाल नें ऑड-ईवन के नाम पर अपने वालंटियरों पर जमकर पैसा खर्च किया है। आम लोगों का पैसा बर्बाद किया है। दिल्ली में कांग्रेस के शासनकाल में जो विकास हुआ है, वह दिल्ली की जनता मान रही है।
जितेन्द्र बघेल ने बताया कि कांग्रेस पार्टी समय-समय पर दिल्ली में आप पार्टी और भाजपा की जनविरोधी नीतियों को उजागर करती रही है। क्योंकि आप पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पहले तो कुछ बोलते थे, पर अब वे जनता को गुमराह कर कुछ चीज़ों को खैरात में बाँट रहे हैं, ताकि वोट हासिल कर सकें। पर कांग्रेस, भाजपा और आप पार्टी को चुनाव में सफल नहीं होने देंगे।