दिल्ली में बंदरों से तंग आकर, दिल्ली मेट्रो ने तो लंगूरों को लगा दिया है। ताकि वो बंदरों को रोक सकें। इस पहल से बंदरों के आतंक से कुछ तो राहत मेट्रो में यात्रा करने वालों को मिली है। लेकिन अन्य सार्वजनिक स्थानों में व सरकारी ऑफिस के बाहर के बंदरों के आतंक से कैसे निजात मिलेगी।
दिल्ली के नामी –गिरामी माँलों के बाहर सब्जी मंडियों में बंदरों का आतंक इस कदर है। वहां पर तो लाखों रुपये खर्च कर सिक्योरिटी गार्डो तक को लगाया जा रहा है। ताकि वे बंदरों को रोक सकें। बताते चलें दिल्ली में बंदरों का आतंक इस कदर है कि अब, तो ये रिहायशी इलाकों में भी जमकर उत्पात मचा रहे है। स्थानीय लोगों का कहना है कि, कोरोना काल के पहले दिल्ली में कुछ ही इलाकों में बंदरों का कहर देखा जाता था। लेकिन कुछ ही महीनों पहले से बंदरों का कहर –आतंक बनकर उभरा है।
दिल्ली के संसद मार्ग पर तो बंदर कहर इस कदर है कि आने-जाने वाले राहगीरों तक को दिक्कत है। उनके हाथ में पाँलीथीन हो या अन्य खाने का सामान हो तो बंदर कर छीन ले जाते है। इस बारे में आईएमए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ अनिल बंसल का कहना है कि बंदर के शहरों में आने का कारण ये है कि एक तो जंगल दिन व दिन कम होते जा रहे है। वहीं लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण लोग बंदरों को खुद फल खिलाते है जिसके कारण दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास पहाड़ियों के आस-पास बंदर झुण्ड के झुण्ड बैठे देखे जाते है। डॉ अनिल बंसल का कहना है कि अगर बंदर काट ले तो उसे नजरअंदाज ना करें। बल्कि रैबीज का इंजेक्शन लगवाये। ताकि इन्फेक्शन ना फैल सकें।