अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद से भारत में पढऩे वाले विद्यार्थियों में एक डर है। लेकिन इन विद्यार्थियों की तरफ़ शासन-प्रशासन के साथ-साथ विश्वविद्यालयों के प्रशासन का पूरा ध्यान है, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो। दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में पढऩे वाले विद्यार्थियों से बातचीत करके वहाँ के प्रोफेसर्स और शिक्षाधिकारियों ने सुरक्षा और हर सम्भव मदद देने की बात कही है। प्रोफेसर्स और व्यवस्थापकों ने ‘तहलका’ से कहा कि अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े को लेकर स्थिति नाज़ुक़ ज़रूर है; लेकिन अफ़ग़ानिस्तानी विद्यार्थियों को भयभीत होने की ज़रूरत नहीं है।
विदेश मामलों के जानकार और डीयू में प्रोफेसर डॉ. अमित सिंह ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े को लेकर दुनिया भर में संशय के बादल मँडरा रहे हैं। क्योंकि तालिबान का अभी तक का इतिहास हिंसा का रहा है।
डीयू के कई कॉलेजों में पढऩे वाले अफ़ग़ानिस्तान विद्यार्थियों के अन्दर एक भय घर कर गया है कि वे अपने देश कैसे जा सकेंगे? उन्हें इससे बड़ा डर इस बात का है कि न जाने उनके परिजन कहाँ, किस स्थिति में होंगे? उनकी सुरक्षा को लेकर भी वे चिन्तित हैं। इसके अलावा जो अफ़ग़ानिस्तानी विद्यार्थी पिछले दिनों अपने देश गये थे, आगे की पढ़ाई के लिए उनकी वापसी का भी कोई भरोसा नहीं है; क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में हालात ठीक नहीं हैं। डीयू के प्रोफेसर डॉ. अमित सिंह का कहना है कि भारत एक शान्ति प्रिय और भाईचारे वाला देश है। ऐसे में भारत देश अपना दायित्व बख़ूबी निभा रहा है। अफ़ग़ानिस्तानी विद्यार्थियों की हर सम्भव मदद की जा रही है।
डीयू के वाइस चांसलर प्रो. पी.सी. जोशी ने अफ़ग़ानिस्तानी विद्यार्थियों से बातचीत करके उन्हें हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाया है, ताकि वे अपनी सुरक्षा को लेकर तनाव में न रहें।
बताते चलें अफ़ग़ानिस्तानियों पर तालिबान के ज़ुल्म को लेकर डीयू के विद्यार्थियों ने अपनी और परिजनों की सुरक्षा के लिए अपने वीजा में एक्सटेंशन, इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (आईसीसीआर) स्कॉलरशिप, हालात सामान्य होने तक हॉस्टल में रहने देने और आर्थिक समस्याओं की माँग डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर और फॉरेन रजिस्ट्री ऑफिस के समक्ष रखी है। डीयू के डिप्टी डीन फॉरेन स्टूडेंट्स प्रो. अमरजीव लोचन का कहना है कि डीयू में क़रीब 160 अफ़ग़ानिस्तान विद्यार्थी हैं, जिनमें से 40 अपने देश अफ़ग़ानिस्तान में हैं। बाक़ी जो छात्र यहाँ पर हैं, उनका पूरा ख़याल रखा जा रहा है।
जेएनयू के प्रो. विकास कुमार का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में जो भी चल रहा है कि उसकी आँच दिल्ली में पढऩे वाले छात्रों पर हरगिज़ नहीं आएगी; क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहाँ पूरी दुनिया से विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल करने आते हैं। भारत में सभी विदेशी विद्यार्थियों को न केवल पूरी सुरक्षा मिलती है, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए जो भी सम्भव होता है, किया जाता है।
जेएनयू के छात्र कुमार पंकज का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान की घटना अंतर्राष्ट्रीय साज़िश का हिस्सा है, ताकि पूरी दुनिया में एक भय का माहौल बनाया जा सके। रहा सवाल भारत में पढऩे वाले छात्रों का, तो यहाँ न उनकी पढ़ाई ख़राब होगी और न उन्हें कोई परेशानी होने दी जाएगी। जेएनयू के छात्र रोहित सिंह का कहना है कि मौज़ूदा हालात को देखते हुए अफ़ग़ानिस्तान के विद्यार्थियों को भारत छोडक़र अभी कहीं नहीं जाना चाहिए। क्योंकि यहाँ उनकी सुरक्षा और बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने की समुचित व्यवस्था भारत सरकार कर रही है।