एक ही तथ्य के कितने भिन्न और विरोधी रूप हो सकते है , इस बात को सहज सियासत में समझना मुश्किल है। ऐसा ही हाल देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना को लेकर देखा जा सकता है। दिल्ली में कोरोना का भंयकर रूप लोगों को डरा है । हर रोज कोरोना के मामले तेजी से बढ रहे है। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर कोरोना पीडितों को इलाज कम परेशानी ज्यादा मिल रही है, तब जाकर उनका उपचार हो रहा है। दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लचर –पचर और घोर लापरवाही को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कडी प्रक्रिया व्यक्त की थी । उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में भयावह स्थिति को देखते हुये, दिल्ली सरकार को सहयोग करने का वादा किया और जांच का दायरा बढाने के अहम दिशा –निर्देश दिये है। ऐसे में मौजूदा हालात को देखते हुये साफ देखा जा सकता है, कि कोरोना नामक महामारी में सिर्फ कोरोना पीडितों का ही इलाज अगर सही तरीके से करती और केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार आपसी तालमेल के साथ काम करती तो आज ये कोरोना का भयानक रूप सामने ना आता , पर सियासत में बीमारी –महामारी का कोई लेना –देना नहीं है। महामारी- बीमारी में लोग मर-खप रहे है। बस सियासत सुरक्षित है। इस समय दिल्ली में कोरोना की बिगडती स्थिति महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद तीसरे स्थान पर है । भर्ती मरीजों के परिजनों को काफी अमानवीय स्थितियों से गुजरना पड रहा है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों ने तहलका संवाददाता को बताया कि सियासतदांनों की कोरोना को लेकर कोई जो भी तैयारी चल रही है । उससे उनको कुछ लेना –देना नहीं है। बस वे सिर्फ अपने परिजनों का सही इलाज चाहते है।क्योंकि डाक्टरों और पेरामेडिकल कर्मियों की अस्पतालों में कमी मरीजों के लिये चिंता की बात है। सामाजिक कार्यकर्ता श्याम सुन्दर कद का कहना है, कि शुरूआती दौर में दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच जो कोरोना को लेकर तनातनी चली है । उससे सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी का हुआ है। तो कोरोना और गैर कोरोना पीडितों को ,किसी को सही समय पर इलाज ना मिल सका । कोरोना को रोकने में जो ऊर्जा लगनी चाहिये थी । वो सियासी आरोपबाजी में लगती रही । जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पड रहा है।
नोएडा निवासी राजकुमार , अभिषेक और गुरूग्राम निवासी पीयूष ने बताया कि सरकारों को ये स्पष्ट करना चाहिये । कि दिल्ली एनसीआर के लोगों का भी इलाज दिल्ली सरकार के कोविड -19 के अस्पतालों में होगा, क्योंकि जिस प्रकार गत दिनों जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा था, कि दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के ही कोरोना पीडितों का इलाज होगा । ऐसे में अन्य राज्यों के साथ – साथ एनसीआर वालों में जो इलाज को लेकर अनिश्चिता पनपी थी । वो आज तक दूर ना हो सकी । सबसे चौकाने वाली बात आज ये सामने आयी है कि सरकारों के बीच कोरोना से निपटने को लेकर जो भी वार्तालाप और दिशानिर्देश जारी हुये हो पर हकीकत में अभी तक लोगों को चिकित्सीय सुविधा ना मिल सकी । पीयूष ने बताया कि उनको परिजनों से साथ वैसा ही अमानवीय व्यवहार हुआ है जो पिछले दिनों से होता आ रहा है। ऐसे में सरकार को ठोस कदम उठाने का जरूरत है।