राजनीति में कोई किसी का न स्थायी दोस्त होता है और न ही स्थायी दुश्मन। अगर किसी का कोई दोस्त होता है, तो वह स्वार्थ ही होता है, जिस पर राजनीति टिकी होती है। आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक सदस्यों में से एक कुमार विश्वास का न जाने क्यों किस बात को लेकर आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल से विश्वास टूट गया है कि अब अचानक वह संघर्ष के दिनों की बातों को याद करके दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाने लगे हैं? यह आरोप भी ऐसे-वैसे नहीं, बल्कि बहुत संगीन हैं।
कुमार विश्वास का कहना है कि अरविंद केजरीवाल अपने स्वार्थों के चलते पंजाब को देश से अलग करने की गंदी राजनीति मन में पाले हुए हैं और वह पूरी तरह से ख़ालिस्तान के समर्थक हैं। कुमार विश्वास का कहना है कि केजरीवाल ने ऐसा उनसे सात साल पहले ख़ुद कहा था। हालाँकि यहाँ सवाल यह उठता है कि अगर केजरीवाल सात साल पहले कुमार विश्वास से देश तोडऩे की बात कह रहे थे, तब विश्वास ने केजरीवाल का विरोध करते हुए यह बात देश को क्यों नहीं बतायी? क्या तब कुमार विश्वास के मन में भी कोई लालच था? या फिर अब वह केजरीवाल की प्रसिद्धि को पचा नहीं पा रहे हैं?
कुमार विश्वास के कथित आरोप को लेकर देश की राजनीति में भूचाल आ गया है। क्योंकि विश्वास ने केजरीवाल पर यह आरोप उस समय पर लगाया, जब पंजाब में चार दिन बाद विधानसभा के लिए मतदान होना था। कुमार विश्वास के द्वारा लगाये गये आरोप पर जनता कितना विश्वास करती है, यह तो 10 मार्च को चुनाव परिणाम सामने आने पर ही पता चलेगा। लेकिन आगामी महीने में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनावों पर इसका असर पड़ सकता है। क्योंकि भाजपा दिल्ली में केजरीवाल को देशद्रोही बताकर उनके ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन और प्रचार करने लगी है। हालाँकि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोपों का खेल हर पार्टी करती रहती है। लेकिन साफ़ छवि का दावा करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पर पंजाब विधानसभा चुनाव और दिल्ली निगम चुनाव में इन आरोपों के बाद भाजपा और कांग्रेस के घेराव का क्या असर पड़ेगा? इस पर तहलका के समक्ष राजनीतिक लोगों और जानकारों ने अपनी-अपनी राय रखी।
दिल्ली की सियासत के जानकार राजकुमार सिंह का कहना है कि राजनीति में हिंसा, प्रलोभन और साज़िश आम बातें होती हैं। इस लिहाज़ से यह नहीं कहा जा सकता कि कब, किस नेता को, कौन-सी साज़िश के तहत आरोप लगाकर उसकी राजनीति को समाप्त करने का प्रयास कर दिया जाए। और किस नेता को प्रलोभन देकर कोई पार्टी अपने स्वार्थ सिद्ध करने का इंतज़ाम कर ले। मौज़ूदा समय में लोगों में प्रचलित होते केजरीवाल पर यह एक अलग तरह का राजनीतिक धब्बा लगाने का प्रयास माना जा सकता है।
जानकार और राजनीति की समझ रखने वाले तो समझ जाते हैं कि यह सब सियासी चालें हैं। लेकिन देश की भोली-भाली और राजनीतिक दाँव-पेच से अनजान जनता इन राजनीतिक पैंतरों को आसानी से नहीं समझ पाती। वह अमूमन मान लेती है कि लगाये गये आरोप सही हैं। इस समय दिल्ली में केजरीवाल पर पंजाब के टुकड़े और ख़ालिस्तान देश बनाने जैसी साज़िश करने के आरोप को लेकर जो हमला कांग्रेस और भाजपा ने किया है, उससे यह तो ज़ाहिर हो गया है कि आम आदमी पार्टी की साख पर इससे बड़ा बट्टा लगेगा।
आम आदमी पार्टी के नेता संजीव कुमार का कहना है कि कुमार विश्वास ने भाजपा के इशारे पर केजरीवाल पर तब आरोप लगाया है, जब पंजाब में आम आदमी पार्टी से भाजपा को ही नहीं, कांग्रेस को भी बड़ा ख़तरा दिख रहा था। यही नहीं, दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर भी भाजपा ख़तरा महसूस कर रही थी, उसे साफ़ मालूम है कि नगर निगम में भी आम आदमी पार्टी जीत रही है। उनका कहना है कि कुमार विश्वास तो कवि हैं। उन्होंने जो राजनीतिक बयान देकर जिस तरह दूसरी पार्टियों के सियासतदानों को साधा है, उसको देश की जनता जान गयी है। क्योंकि मुख्यमंत्री केजरीवाल पर आरोप लगाने के बाद केंद्र सरकार ने कुमार विश्वास को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी है। यह बात सिद्ध करती है कि कुमार विश्वास ने अपना रुतबा बढ़ाने और भाजपा के गिरते स्तर को फिर से मज़बूत करने का प्रयास किया है। बताते चलें कि कुमार विश्वास और केजरीवाल की एक समय में बहुत ही गहरी दोस्ती थी, जो सम्भवत: अन्ना आन्दोलन के दौरान दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और केजरीवाल के बहुत ख़ास मनीष सिसोदिया ने करायी थी। सन् 2013 में जब पहली बार आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा था और आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिलने के बावजूद कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने का मौक़ा मिला था, तब केजरीवाल का कुमार विश्वास पर अन्य सदस्यों की तुलना में अधिक विश्वास था। ऐसा कहा जाता है कि विश्वास पर केजरीवाल का अविश्वास पैदा करने के लिए पार्टी के कुछ लोग लगे थे, ताकि कुमार विश्वास का विश्वास केजरीवाल से टूटे और वे आगे बढ़ें; और ये लोग इसमें सफल भी हुए।
आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब आम आदमी पार्टी दिल्ली में मज़बूत होने लगी, तो रातों-रात वे लोग केजरीवाल के पास ज़्यादा दिखने लगे, जो पार्टी के गठन और अन्ना आन्दोलन के समय पर नहीं दिखते थे। ऐसे में कुमार विश्वास ने केजरीवाल को चेताया भी कि यह सब लोग स्वार्थी लोग हैं; इन सबसे बचना है। लेकिन केजरीवाल ने कुमार विश्वास पर विश्वास न करके अन्य लोगों को ज़्यादा महत्त्व दिया। इससे दोनों के बीच तल्ख़ी के साथ-साथ दूरियाँ बढऩे लगीं। हालत यह हो गयी कि पार्टी में कुमार विश्वास के विरोधियों ने सियासी लाभ भी लिया। कई बार तो दिल्ली में कुमार विश्वास के ख़िलाफ़ पोस्टरवार भी हुए हैं। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल को आतंकवादी कहना शुरू कर दिया है। कुमार विश्वास के आरोप का केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर क्या असर पड़ेगा? इसको लेकर एक पत्रकार ने बताया कि पंजाब विधानसभा चुनाव में अगर आम आदमी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो निश्चित तौर पर दिल्ली के नगर निगम चुनाव में इसका अच्छा असर पड़ेगा। अन्यथा पार्टी पर निगम चुनाव में तो विपरीत असर पड़ेगा ही, देश में हो रहे पार्टी के विस्तार पर भी ख़राब असर पड़ेगा। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी की मुफ़्त की राजनीति, जिसमें महिलाओं को मुफ़्त बस यात्रा, हर घर में 20 हज़ार लीटर महीने मुफ़्त पानी और 200 यूनिट मुफ़्त बिजली जैसी जो सुविधाएँ दी जा रही हैं, उसका काट न तो भाजपा के पास है और न ही कांग्रेस के पास है। इसका लाभ तो आम आदमी पार्टी को मिलेगा ही मिलेगा। लेकिन जिस अंदाज में राजनीति के बीच कूटनीति करके केजरीवाल को देशद्रोही के तौर पर विरोधी पार्टियाँ पेश कर रही हैं। अगर इन आरोपों का असर जनता पर पड़ता है, तो आम आदमी पार्टी को निगम चुनाव काफ़ी नुक़सान उठाना पड सकता है।
दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल देश की अखण्डता के लिए ख़तरा बन गये हैं। आम आदमी पार्टी की फंडिंग कहाँ से हो रही है? उसके बैंक खातों की जाँच होनी चाहिए। अनिल चौधरी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के मंत्रियों और अधिकांश विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इसकी भी जाँच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुमार विश्वास ने केजरीवाल के देश-विरोधी चेहरे को बेनक़ाब कर दिया है।
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल ने ख़ालिस्तानियों के साथ मिलकर देश को तोडऩे की साज़िश की है। जब दिल्ली में शाहीन बाग़ में सीएए को लेकर आन्दोलन चल रहा था और उससे पहले जब जेएनयू में देश के तोडऩे वाले नारे लगाये जा रहे थे, तब भी केजरीवाल उन्हीं के साथ खड़े थे। जनता केजरीवाल के कई चेहरे देख चुकी है। केजरीवाल की राजनीति ख़त्म है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के आम आदमी पार्टी संगठन के छात्र नेता राहुल कुमार कहते हैं कि आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाने वाले तो पहले से ही कई तरह के आरोप लगाते आ रहे हैं। क्योंकि आम आदमी पार्टी ने जनता से जो वादे किये थे, उनको पूरा किया है। राहुल कुमार का कहना है कि अगर कांग्रेस और भाजपा इस तरह के देशद्रोही वाले आरोप लगाते रहे, तो कोई भी विशेष असर नगर निगम के चुनावों पर नहीं पड़ेगा। लेकिन कुमार विश्वास, जो भाजपा और कांग्रेस को बढ़ाने के लिए पंजाब चुनाव से ठीक पहले वहाँ के और दिल्ली नगर निगम के चुनावों में आम आदमी पार्टी को हराने की मंशा से आरोप लगाते हैं, उनकी नीयत भी लोगों को समझनी चाहिए। हालाँकि आरोप इतना बड़ा है, तो इसका कुछ असर पड़ सकता है।
कांग्रेस के नेता अमरीष कुमार का कहना है कि आम आदमी पार्टी भाजपा की ही ‘बी’ पार्टी है। कांग्रेस का वोट पाकर और अन्ना आन्दोलन के माध्यम से कांग्रेस पर आरोप लगाकर चुनाव जीतने वाली आम आदमी पार्टी की डुगडुगी बज चुकी है। कांग्रेस ही दिल्ली के विकास के लिए जनता की पहली पसन्द है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की अगर सही तरीक़े से जाँच हो जाए, तो उनकी सरकार अब तक के इतिहास में सबसे बड़े घोटालेबाज़ी की सरकार निकलेगी।
बता दें देश तोडऩे और आतंकवादी वाले आरोप पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि मैं स्कूल-अस्पताल बनवाने वाला दुनिया का सबसे मासूम और अच्छा आतंकवादी हूँ। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के डर से सारी विरोधी पार्टियाँ मुझे आतंकवादी कह रही हैं। इसका जनता चुनाव में मुँहतोड़ जवाब देगी। लगे हाथों उन्होंने आतंकवादी के दो रूप भी बता डाले- बुरे आतंकवादी और अच्छे आतंकवादी। उन्होंने कहा मैं अच्छा आतंकवादी हूँ, जो जनता का काम करता है। इसीलिए सभी पार्टियाँ मुझसे डरी हुई हैं। जो भी हो, देखना यह होगा कि इस आरोप के बाद केजरीवाल बैकफुट पर जाते हैं, या उनका साम्राज्य देश के अन्य राज्यों में भी फैलेगा?