भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद गुरुदास दासगुप्ता का निधन हो गया है। वे ८३ वर्ष के थे। पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखने वाले दासगुप्ता तीन बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा के सदस्य रहे। वे क्रिकेट के भी शौक़ीन थे और बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के सदस्य रहे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक दासगुप्ता पिछले कुछ महीने से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे। दासगुप्ता का जन्म ३ नवंबर, १९३६ को हुआ था। उनका निधन पश्चिम बंगाल में कोलकाता स्थित उनके निवास पर सुबह ६ बजे के करीब हुआ। सेहत ठीक न होने के कारण उन्होंने पार्टी के सभी पद छोड़ दिए थे हालांकि वे अभी भी भाकपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्य थे। उनके परिवार में पत्नी और बेटी हैं।
वामपंथी राजनीति के दिग्गज नेताओं में शुमार गुरुदास दासगुप्ता का देश की राजनीति में भी बड़ा दखल रहा। वे देश के बड़े नेताओं में गिने जाते थे। साल १९८५ वे पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद १९८८ में उन्हें दोबारा राज्यसभा के लिए चुना गया। दासगुप्ता खुलकर अपनी बात रखने के लिए जाने जाते थे।
इसके बाद १९९४ में वे लगातार तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए। तीन बार राज्यसभा सदस्य रहने के बाद २००४ में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता।
इस दौरान वह वित्त समिति और पब्लिक अंडरटेकिंग समिति के सदस्य रहे। साल २००९ के लोकसभा चुनावों में वे फिर मैदान में उतरे और फिर जीत हासिल की।
साल २००९ में जीत के बाद वे लोकसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) संसदीय दल के नेता चुने गए। वह कई संसदीय समितियों से भी जुड़े रहे।
संगीत और क्रिकेट भी दासगुप्ता को बहुत प्रिय था। वे बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के सदस्य भी रहे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक दासगुप्ता पिछले कुछ महीने से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे। दासगुप्ता का जन्म ३ नवंबर, १९३६ को हुआ था। उनका निधन पश्चिम बंगाल में कोलकाता स्थित उनके निवास पर सुबह ६ बजे के करीब हुआ। सेहत ठीक न होने के कारण उन्होंने पार्टी के सभी पद छोड़ दिए थे हालांकि वे अभी भी भाकपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्य थे। उनके परिवार में पत्नी और बेटी हैं।
वामपंथी राजनीति के दिग्गज नेताओं में शुमार गुरुदास दासगुप्ता का देश की राजनीति में भी बड़ा दखल रहा। वे देश के बड़े नेताओं में गिने जाते थे। साल १९८५ वे पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद १९८८ में उन्हें दोबारा राज्यसभा के लिए चुना गया। दासगुप्ता खुलकर अपनी बात रखने के लिए जाने जाते थे।
इसके बाद १९९४ में वे लगातार तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए। तीन बार राज्यसभा सदस्य रहने के बाद २००४ में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता।
इस दौरान वह वित्त समिति और पब्लिक अंडरटेकिंग समिति के सदस्य रहे। साल २००९ के लोकसभा चुनावों में वे फिर मैदान में उतरे और फिर जीत हासिल की।
साल २००९ में जीत के बाद वे लोकसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) संसदीय दल के नेता चुने गए। वह कई संसदीय समितियों से भी जुड़े रहे।
संगीत और क्रिकेट भी दासगुप्ता को बहुत प्रिय था। वे बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के सदस्य भी रहे।