‘दस्तखत’ से सुलझी टुकड़े-टुकड़े लाश की मर्डर-मिस्ट्री!

दिसंबर महीने की शुरुआत के दूसरे ही दिन, यानी 2 दिसंबर को मुम्बई में समुंदर किनारे एक सूटकेस में किसी शख्स के टुकड़े-टुकड़े शरीर के अंग मिले। लेकिन बरामद टुकड़ों से यह पता लगाया जाना मुुुश्किल था कि वह किस शख्स की छारीर है। क्योंकि उन टुकड़ों को जोडक़र किसी एक व्यक्ति का पूरा शरीर नहीं बनाया जा सकता था।  मुम्बई पुलिस के सामने इस बात का पता लगाने की •िाम्मेदारी थी कि आिखर मारा गया शख्स कौन है? किसने उस शख्स की हत्या की?  क्या वजह थी कि एक इंसान के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर सूटकेस में बंद कर फेंक दिये गये? आखिर क्या वजह थी कि उस शख्स के प्राइवेट पार्ट को काट दिया गया?  पुलिस ने अपना काम स्क्रैच से शुरू किया। आखिर में मुम्बई पुलिस की क्राइम ब्रांच इस बात का पता लगाने में सफल रही कि टुकड़ों-टुकड़ों में बरामद लाश मुम्बई के उपनगर वाकोला में रहने वाले 54 वर्षीय म्यूजिशियन बेनेट रेबेलो की है और इसमें सबसे •यादा झटका देने वाली बात थी वह कि उनकी  हत्या उनकी ही एडेप्टेड बेटी ने की थी अपने प्रेमी के साथ मिलकर। इस मर्डर केस में क्राइम ब्रांच ने अभी तक तीसरी गिरफ्तारी की है। गिरफ्तार किये गये युवक को मुख्य अभियुक्त को मदद करने और उकसाने के आरोप में अरेस्ट किया है। क्राइम ब्रांच यूनिट 5 ने घाटकोपर के असल्फा गाँव से 19 साल के अलीम मियाँ चौस को अरेस्ट किया है। अलीम मियाँ पर मुख्य अभियुक्त आराध्य उर्फ रिया पाटिल का दोस्त है और अपराध में उसके पिता की छारीर को टुकड़ों में काटने की टिप देने, शरीर को काटने के लिए चाकू मुहैया करवाने, शरीर को ठिकाने लगाने और सबूत मिटाने के आरोप हैं। क्राइम ब्रांच के डीसीपी शाहजी ने कहा कि अलीम मियाँ मेन आरोपी का विश्वासपात्र है और बहुत करीबी है। बता दें कि म्यूजिशियन बेनेट रेबेलो की 26 नवंबर को हत्या कर दी थी और फिर दो दिन बाद उसकी शरीर को कई टुकड़ों में काट कर बैग में भाग करके अलग अलग ठिकानों पर फेंकदिया गया था; लेकिन 2 दिसंबर के दिन बेनेट रेबेलो की शरीर से भरा एक बैग माहिम दरगाह के पीछे से बरामद हुआ था। दूसरा सूटकेस पुलिस को 13 दिसंबर को दादर में मिला। क्राइम ब्रांच से जुड़े ऑफिसर्स का कहना है कि इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाना आसान नहीं था; लेकिन एक सिग्नेचर ने काम आसान कर दिया। इस ऑफिसर ने तहलका को बताया कि मृतक बेनेट रेबेलो की छारीर के टुकड़ों को कुछ कपड़ों में लपेटा गया था। इस में एक शर्ट था, जिसकी बदलौत इन्वेस्टीगेशन टीम कुर्ला के एक टेलर तक पहुँची। टेलर ने यह कुबूल कर लिया कि यह शर्ट उसी ने बनायी है। ऑफिसर ने कहा कि हमने टेलर की दुकान से बरामद सैकड़ों डायरियाँ के हज़ारों पेज खंगाले।

क्राइम ब्रांच को एक पेज में ठीक वैसा ही कपड़ा मिला, जो छारीर के शर्ट से मेल खाता था। टेलर से उस शख्स का एड्रेस लेकर क्राइम ब्रांच की टीम उस शख्स को उठा लायी और इन्वेस्टीगेशन शुरू की। इन्वेस्टीगेशन के दौरान शख्स के हावभाव से क्राइम ब्रांच के ऑफिसर्स को यकीन हो गया था कि उन्होंने सिर कटी लाश मर्डर मिस्ट्री सुलझा ली है और कातिल उनके सामने है; लेकिन क्राइम ब्रांच के ऑफिसर्स को तब धक्का लगा जब उस शख्स ने अपने घर से ठीक वही कपड़े और उसी रंग की शर्ट उन्हें सौंपी। क्राइम ब्रांच को उस शख्स को छोडऩा पड़ा और फिर उनकी इन्वेस्टीगेशन उसी मोड़ पर आकर अटक गयी, जहाँ से शुरू हुई थी। इन्वेस्टीगेशन से जुड़े दूसरे ऑफिसर ने तहलका संवाददाता को बताया कि हमारी टेंशन और बढ़ गयी, लेकिन हमने केस को स्लोव करने की •िाद ठान ली थी। इस ऑफिसर ने बताया कि उनकी टीम फिर माहिम पुलिस स्टेशन पहुँची, जहाँ पर शरीर के साथ मिले कपड़े जमा थे। इस बार क्राइम ब्रांच के साथ वो टेलर भी था, जिसने उस शर्ट की सिलाई की थी। क्राइम ब्रांच ने टेलर से शरीर के साथ मिले शर्ट की पूरी नाप लेने को कहा और शर्ट का माप लेने के बाद फिर टेलर से बरामद सैकड़ों डायरियों के हज़ारों पन्नो खँगाले।

हज़ारों पन्ने (पेज) गहनता से खँगालने के बाद उन्हें एक पेज में ठीक वैसा ही माप मिला, जो शरीर के साथ मिले शर्ट से मेल खाता था, लेकिन प्रॉब्लम यहाँ भी थी, क्योंकि इस पेज में डिटेल्स तो थी; लेकिन कपड़े का टुकड़ा नहीं। दूसरे ऑफिसर ने कहा कि पता नहीं क्यों हमें ऐसा इनटूशन हो रहा था कि यह पन्ना (पेज) ही मर्डर मिस्ट्री को सुलझाएगा। इस पेज के आिखरी में एक सिग्नेचर किया हुआ था, जिस से बेनेट नाम समझ आ रहा था। इसके बाद क्राइम ब्रांच के दो युवा कांस्टेबल को फेसबुक और सोशल मीडिया पर बेनेट नाम खँगालने को कहा गया। कांस्टेबल के मुताबिक, फेसबुक और सोशल मीडिया पर हज़ारों बेनेट मिले। फेसबुक पर बेनेट की प्रोफाइल खँगालते वक्त क्राइम ब्रांच टीम को एक प्रोफाइल में पुलिस के बारे में कुछ लिखा हुआ दिखा और उस लेख के आिखरी में सिग्नेचर भी किया हुआ था। बतौर इंस्पेक्टर जब हमनें फेसबुक प्रोफाइल वाले सिग्नेचर को टेलर की बुक के पेज से मिले सिग्नेचर से मिलाया तो वो मैच हो गया। पूरी टीम खुश हो गयी और फिर बेनेट रोबेलो मर्डर मिस्ट्री की कडिय़ाँ मिलती चली गयीं। गौरतलब हो कि क्राइम ब्रांच यूनिट 5 ने बेनेट रेबेलो के मर्डर में उसकी अडॉप्टेड (गोद) ली बेटी आराध्य उर्फ रिया पाटिल और उसके 16 साल के लवर को अरेस्ट किया है, अलीम मियाँ तीसरा आरोपी है। क्राइम ब्रांच ऑफिसर ने कहा कि इस केस में और गिरफ्तारियाँ हो सकती हैं। क्राइम ब्रांच से जुड़े लोग दावा कर रहे हैं कि बेनेट की हत्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन एक इंस्पेक्टर के मुताबिक, बेनेट की प्रॉपर्टी और घर को हड़पना मुख्य कारण है; जबकि दूसरा ऑफिसर हत्या के पीछे प्रॉपर्टी एंगल के अलावा बेनेट के उसकी एडोप्टेड बेटी और इस केस में मुख्य आरोपी रिया पाटिल के साथ जबरन शारारिक सम्बन्ध बनाना भी है बता रहे हैं। इंस्पेक्टर ने तहलका संवाददाता से कहा कि रिया ने अपने बयान में इस बात की कबूली दी है।  पुलिस सूत्रों कि मानें तो आने वाले दिनों में मजिस्ट्रेट के सामने आराध्य उर्फ रिया पाटिल का बयान रजिस्टर किया जा सकता है।

आखिर क्यों होती हैं रूह कँपा देनी वाली वारदात

मुम्बई में एक हफ्ते के अंदर दो ऐसी वारदात पेश आयीं, जिनसे मुम्बई सहित देश को स्तब्ध कर दिया। दोनों वारदात हत्या से जुड़ी थीं और अलग-अलग एरिया में हुई थीं। दोनों के कारण भी एक दूसरे से जुदा थे। लेकिन इन वारदात में एक बाद कॉमन थी, वो थी वारदात को अंजाम देने की मोडस ऑपरेंडी। दोनों ही वारदात में हत्या करने के बाद डेड शरीर के टुकड़े-टुकड़े किये गये थे। वैसे ऐसी हैवानियत के कई केस हैं, जिनसे मुम्बई पहले भी दहल चुकी है।

पहली वारदात दिसंबर के पहले हफ्ते यानी 2 दिसंबर को सामने आयी। मुम्बई के माहिम दरगाह के पीछे समंदर से पुलिस को एक सूटकेस से अनजान आदमी की बॉडी के तीन पाट्र्स बरामद हुए थे। पुलिसिया तफ्तीश में इस बात का खुलासा हुआ था कि जिस शख्स की हत्या करने के बाद टुकड़े-टुकड़े किये गये हैं, वह 52 साल का म्यूजिशियन बेनेट रेबेलो है; जो मुम्बा के वकोला एरिया का रहने वाला है। इस मर्डर मिस्ट्री में बड़ा खुलासा तब हुआ जब मुम्बई क्राइम ब्रांच यूनिट 5 ने मृतक की एडॉप्ट की बेटी आराध्य उर्फ रिया पाटिल और उसके 16 साल के प्रेमी को अरेस्ट किया।  तहलका संवाददाता से बात करते हुए क्राइम ब्रांच से जुड़े इंस्पेक्टर ने दावा किया कि आरोपी रिया ने इस बात की कुबूली दी है कि बेनेट उसके साथ रेप करता था और जब यह बाद उसके नालाबिक प्रेमी को पता चली, तो उन्होंने बेनेट को रास्ते की प्लानिंग की। बता दें कि हत्या करने के बाद रिया और उसके प्रेमी ने बेनेट रेबेलो की लाश के कई टुकड़े कर दिये और फिर सूटकेस में भरकर अलग-अलग ठिकाने पर फेंक दिये थे। यह बात अलग है कि क्राइम ब्रांच को बेनेट की लाश के साथ मिले एक शर्ट ने उनकी करतूत सामने ला दी। वैसे पुलिस का यह भी दावा है कि इस हत्ये के पीछे बेनेट की प्रॉपर्टी हथियाना भी एक मोटिव हो सकता है। इंस्पेक्टर ने कहा कि मर्डर करने के बाद जिस तरह से बॉडी को काटा गया इससे समझ आता है कि आरोपियों की मेंटल कंडीशन ठीक नहीं थी ,बदला लेने की भावना ने उन्हें पागल बना दिया था; लेकिन हमारे पास इनका आरोप सिद्ध करने के लिए पुख्ता सबूत हैं।  वहीं दूसरी और बॉम्बे हाई-कोर्ट में कई संगीन मामलों में पैरवी कर रहे क्रिमिनल लॉयर श्रेयांश मिठारे का कहना है कि ऐसे मामलों में आरोपी मेंटल डिस्टर्ब होता है और वो वारदात को तब तक अंजाम देता है जब तक कि वो पूरी भड़ास नहीं उतार लेता। एडवोकेट मिठारे का तर्क  है कि ऐसे केसेस में पुलिस अक्सर मोटिव साबित नहीं कर पाती। सरकमस्टान्सेस एविडेंस, सपोर्टिव विटनेस, लास्ट सीन-टुगेदर साबित करना पुलिस के लिए आसान नहीं होते, जिस वजह से आरोपी को लिबर्टी मिलती है। ऐसे अपराधों को अंजाम देने वालों की मनोदशा को जानने के लिए तहलका ने मनोविज्ञानिकों से बात की।

मनो-वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे जघन्य अपराधों को वो लोग ही अंजाम दे सकतें हैं, जो मानसिक बीमार हों और ऐसे लोगों को इस बात का इल्म नहीं होता कि वे क्या कर रहे हैं? मनोविज्ञानिक प्रीति उपाधयाय ने कहा कि ऐसे लोगों के दिमाग में कोई एक बात बार-बार हैमर करती है, जो इन्हें अच्छी नहीं लगती; यह लोग अपनी बात दूसरों के सामने भी ज़ाहिर नहीं करते; लेकिन जब इनको मौका मिलता है तब यह लोग अपने अंदर बने ज्वालामुखी को पूरी तरह बहार निकाल देते हैं और फिर अपनी भड़ास तब तक नकालते हैं, जब तक वो पूरी नहीं होती।  दूसरी वारदात 8 दिसंबर को सामने आयी जब मुम्बई से सटे ठाणे •िाले के कल्याण रेलवे स्टेशन से एक सूटकेस में एक लडक़ी की बॉडी की सिर कटी लाश और कुछ टुकड़े बरामद किये थे। इन्वेस्टीगेशन के दौरान ठाणे क्राइम ब्रांच को पता चला कि टुकड़ा-टुकड़ा लाश 22 साल की प्रिंसी तिवारी की थी। ब्रांच ने इस जघन्य मर्डर को अंजाम देने वाले टिटवाला निवासी अरविन्द तिवारी को अरेस्ट किया है। इन्वेस्टीगेशन में इस बात का खुलासा हुआ कि अरविन्द तिवारी कोई और नहीं, बल्कि मृतक प्रिंसी का पिता ही है और उसने ऑनर किलिंग के चलते अपनी बड़ी बेटी प्रिंसी टुकड़े-टुकड़े कर दिये थे। दरअसल, प्रिंसी तिवारी गैर धर्म के लडक़े के साथ रिलेशन में थी और यह बाद अरविंद तिवारी को अखरती थी। अरविंद ने बेटी प्रिंसी को इस बाबत कई बार समझाया; लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ। समाज में बदनामी के डर से अरविन्द तिवारी ने अपनी बेटी प्रिन्सी की न सिर्फ हत्या कि बल्कि उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिये। मनोविज्ञानिकों का मानना है कि समाज में अपनी इ•ज़त बचाने के लिए बेटी की हत्या करना ऑनर किलिंग कहा जाता है और अपनी इ•ज़त बचाने के लिए ऐसे लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। प्रीती का तर्क है कि इन लोगों के शरीर केमिकल इनबैलेंस हो गये होते हैं, जिन्हें बैलेंस करने के लिए मैडिटेशन, कॉउन्सिलिंग, थेरिपी की ज़रूरत होती है। वहीं पुलिस का मानना है कि ऐसे केस रेयररेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आते हैं और ऐसे केसों में आरोपी को जल्द सज़ा मिल जाती है और कड़ी सज़ा मिलती है। एडवोकेट मिठारे का भी मानते हैं कि ऐसी केसों में आरोपी को सख्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। मिठारे का कहना है कि रेयररेस्ट ऑफ रेयर केस में डेथ पेनलिटी हो सकती है; लेकिन प्रॉसिक्यूशन के लिए बहुत मुश्किल होता है यह साबित करना कि केस इस श्रेणी में आता है।  बता दें कि साल 2008 में मुम्बई के मलाड में टीवी एग्जीक्यूटिव नीरज ग्रोवर का सनसनीखेज मर्डर था। इस सनसनीखेज मर्डर में मुम्बई क्राइम ब्रांच ने नीरज ग्रोवर की साथी कन्नड़ िफल्मों की स्मॉल टाइम एक्ट्रेस मारिया सुसाइराज और उसके मंगतेर नेवल ऑफिसर इमाइल जेरोम मैथयू को अरेस्ट किया था।

नीरज की हत्या करने के बाद दोनों ने सम्बन्ध भी बनाये और फिर दोनों ने मिलकर नीरज ग्रोवर की लाश के 300 टुकड़े कर दिये थे। इतना ही नहीं सबूत मिटाने के लिए दोनों ने लाश के टुकड़ों को मुम्बई से दूर जंगल में आग के हवाले कर दिया था। पुलिस ने दावा किया था कि यह रेयररेस्ट ऑफ रेयर केस है; लेकिन कोर्ट में पुलिस का दावा धरा रह गया। मर्डर करने के जुर्म में कोर्ट ने जेरोम को 10 साल और सबूत मिटाने के जुर्म में 3 साल की सज़ा सुनायी, जबकि मरिया सुसाइराज को सिर्फ सुबूत मिटाने के आरोप में 3 साल की सज़ा सुनायी। जेल की सलाखें मरिया सुसाइराज को •यादा वक्त तक नहीं रख सकी और 2 जुलाई 2011 को मरिया सुसाइराज जेल से बाहर आ गयी।  जेल से छूटने के बाद मरिया सुसाइराज ने चीटिंग और धोखाधड़ी का धन्धा शुरू कर दी। मुम्बई, ठाणे और बड़ौदा में मरिया सुसाइराज के िखलाफ करोड़ों रुपये की चीटिंग करने की एफआईआर दर्ज हैं। इनमें एक मामला बड़ोदरा और बाकी के छ: मामले ठाणे और मुम्बई में दर्ज हैं। मरिया सुसाइराज का नाम पुलिस फाइल में मोस्ट वांटेड लिस्ट में दर्ज है। एडवोकेट मिठारे पुलिस पर सवाल उठाते हैं कि इतना सनसनीखेज मर्डर केस रेयररेस्ट ऑफ रेयर होना चाहिए था; लेकिन पुलिस इसमें फेल रही, अन्यथा कातिलों को उम्र कैद ज़रूर होती।