कामचलाऊं शासन व्यवस्था में जो अफरी तफरी मचती है। उससे बाजार में कालाबाजारी जैसी घटनायें आम बात होने लगती है। देश में कोरोना का कहर जारी है। लोग इलाज कराने को भटक रहे है। इलाज नहीं मिल पा रहा है। बाजारों में एक सुनियोजित तरीकों से दवाईयों के गायब होने से मरीजों को ब्लैक में दवाईयां खरीदनी पड़ रही है।तहलका संवाददाता को मरीजों के परिजनों ने बताया कि देश में सरकार नाम की कोई बात ही नहीं दिख रही है। मेडिकल स्टोर में दवा की बिक्री दुकानदार औने-पौने दामों में कर रही है।
संजय बाजपेई ने बताया कि एक दौर वो था। जब भी मेडिकल स्टोर में जाते थे। तब मेडिकल स्टोर वाले दवा में 10 से 20 प्रतिशत का डिस्काउंट देते थे। लेकिन आज वो दौर है, कि वे दवा में जो एमआरपी रेट से ज्यादा रहे है। उनका कहना है कि कोरोना से रिलेटिट दवा ही नहीं बल्कि, कोई भी दवा लो उसमें दाम बढ़ा कर दी जा रही है। दवा खरीद रहे संतोष पाल ने बताया कि देश में कानून का भय नहीं दिखने से दवा व्यापारी अपनी मनमर्जी से दवा को बेचनें में लगे है।उन्होंने बताया कि कई मर्तबा ड्रग कंट्रोलर दिल्ली और भारत सरकार से भी कर चुके है। लेकिन दवा व्यापारियों की ड्रग विभाग में आपसी साठ-गांठ होने से छोटे से छोटा व्यापारी दवा के पैसा वसूलने में लगा है।
अर्चना दास ने बताया कि जब से कोरोना फैला है। तब से दवा वाले (मेडिकल वाले) ये सोचकर दवा को मंहगे दामों में बेंच रहे है। कि ये मौका है। जितना कमाना है। कमां लो। जिसके कारण गरीबों को मंहगी दवा खरीदने को वे –बस होना पड़ रहा है।