सत्ता पक्ष के खिलाफ विपक्ष तो कोई मौका ही नहीं छोड़ते है। लेकिन आज देश में महंगाई के चलते हालात कुछ ऐसे होते जा रहे है कि आम जनमानस के साथ बाजार से जुड़े लोगों ने सरकार की नीतियों के विरोध आवाज बुलंद कर दी है।
गैस, डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने से विरोधी दल तो सड़कों पर ही है। साथ ही अब 1 अप्रैल से दवाओं के दाम बढ़ने से कुछ दवा व्यापारी सरकार की नीतियों के विरोध में हाथों में काली- पट्टी बांध कर विरोध जता सकते है। दवा व्यापारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि दवा की कीमतें तो वैसे ही बहुत बढ़ी हुई है। अगर अपैल से दवाओं के दाम में 10 प्रतिशत तक बढ़ाया गया तो गरीबों को दवाओं को खरीदना बहुत मुश्किल हो सकता है।क्योंकि कोरोना काल से अब तक गरीब और मध्यम वर्ग काम धंधा बहुत हल्का रहा है। ऐसे में सरकार को इस बारे में अपना फैसला बदलना होगा। अन्यथा गरीब को दवा ले पाना मुश्किल होगा।
दवा व्यापारियों का कहना है कि सरकार एक ओर तो अनेक औषधियों में डिस्काउंट दे रही है और जन औषधियों से सहित तमाम अनेकों नाम से दवा स्टोरों का खोल रही है। वहीं मेडिकल स्टोरों में मिल रही दवाओं के दाम बढ़ा रही है। इससे ड्रग-माफिया रातों-रात अरबों का लाभ ले जायेगा ।दवा व्यापारी दिलीप कुमार का कहना है कि देश में अगर कहीं कोई बड़ी कमाई है तो दवाई के कारोबार में है।
उन्होंने बताया कि जब से ये बात मीडिया में सामने आयी है कि दवाई के दामों में 10 प्रतिशत तक दाम बढ़ सकते है। तब से देश के कई बड़े दवा कारोबारियों ने दवाओं की जमाखोरी करना शुरू कर दी है।उन्होंने दवा व्यापारियों की ओर से सरकार को कुछ सुझाव दिये है। अगर दवा बाजार में 1 अप्रैल से बढ़े हुए दामों के साथ मरीजों को बेचते है। तो दवा के रैपर पर 1 अप्रैल 2022 की ही डेट हो अन्यथा पुरानी जमा की हुई दवाओं को नये दामों में बेचेगें। जो मरीजों के साथ अन्याय होगा।