देश में महंगाई ने नया रेकॉर्ड बना दिया है और जनता को जोर का झटका दिया है। थोक महंगाई दर मार्च के आंकड़ों में पिछले आठ साल में सबसे ज्यादा हो गयी है। मार्च में देश का थोक मूल्य सूचकांक बढ़कर 7.39 फीसदी पर पहुँच गया जो फरवरी के थोक मूल्य सूचकांक 4.17 फीसदी के दोगुने से कुछ ही कम है।
हाल के महीनों में महंगाई ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। कोरोना काल के बीच महंगाई की बढ़ती दर लोगों को बहुत चुभ रही है। भाजपा ने सत्ता में आने से पहले कहा था कि उसका पहला कम महंगाई कम करके आम आदमी को राहत देने का होगा लेकिन, लेकिन हुआ उससे बिलकुल उलट है और आज महंगाई थोक दर पिछले आठ साल में सबसे ऊंचे स्तर पर जा पहुँची है।
मोदी सरकार ने गुरूवार को जो आंकड़े जारी किये हैं उनके मुताबिक महंगाई बढ़ने का कारण ईंधन और बिजली की कीमतों में तेज़ी होना बताया गया है। आंकड़ों के मुताबिक मार्च में थोक महंगाई में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है और मैन्युफैक्चर्ड उत्पाद की कीमतों में उछाल भी इसका एक बड़ा कारण है। डब्ल्यूपीआई का इतना हाई लेवल इससे पहले अक्टूबर 2012 में रहा था, जब मुद्रास्फीति 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति इसी साल फरवरी में 4.17 फीसदी और एक साल पहले (मार्च 2020 में ) महज 0.42 फीसदी पर रही थी। डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में अब तीसरे महीने बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मुद्रास्फीति की वार्षिक दर मार्च 2020 के मुकाबले मार्च 2021 में 7.39 प्रतिशत रही।
जानकारों का कहना है कि रुपये में गिरावट का असर भी महंगाई के रूप में देखने को मिल रहा है। उनके मुताबिक मुद्रास्फीति अगले दो महीने तक बढ़ेगी और अपने चरम पर प्रमुख मुद्रास्फीति 11-11.5 प्रतिशत और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 8-8.5 प्रतिशत पर रह सकती है। कच्चे तेल और धातु की बढ़ती कीमतों के चलते थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति मार्च में आठ साल के उच्चतम स्तर 7.39 फीसदी पर पहुंच गई। मार्च 2021 में कच्चे तेल की कीमतों में ऊपरी स्तर से गिरावट देखने को मिली, लेकिन इस कारण अप्रैल 2021 में भी मुद्रास्फीति के बढ़ने का अनुमान है।