कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एक तरफ़ जहाँ देश के सभी लोग घरों में क़ैद हैं, वहीं जनसेवा से जुड़े सभी सरकारी, ग़ैर-सरकारी कर्मचारी, स्वयंसेवी संगठनों के लोग दिन-रात लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। ऐसे ही सेवा संस्थानों में से एक है डाक विभाग। बता दें कि लॉकडाउन के बावजूद डाक विभाग के सभी अधिकारी, कर्मचारी लोगों की सेवा में लगातार लगे हुए हैं। ऐसे में सरकार ने निर्णय लिया है कि अगर कोई डाककर्मी कोरोना वायरस की चपेट में आ जाता है, तो उसे 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने फ़ैसला किया है कि ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) सहित सभी डाक कर्मचारियों को ड्यूटी करते समय अगर कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाता है, तो उसे 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, ये दिशा-निर्देश जल्द प्रभावी हो जाएँगे और कोरोना वायरस का संकट ख़त्म होने तक के लिए लागू रहेंगे। गृह मंत्रालय की ज्ञापन संख्या 40-3/2020-डीएम-1 (ए) के पैरा –11 (iii) में इस बात को दोहराया गया है। इसमें कहा गया है कि ग्रामीण डाक सेवक सहित डाक कर्मचारी ग्राहकों को मेल डिलीवरी, डाक घर बचत बैंक, डाक जीवन बीमा देने, एईपीएस सुविधा के तहत किसी भी बैंक और किसी भी शाखा से ग्राहकों के दरवाज़े तक धन की निकासी को सरल बनाने के विभिन्न दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त डाक घर स्थानीय राज्य प्रशासन एवं पुलिस अधिकारियों के साथ सम्पर्क कर देश भर में कोविड-19 किट, फूड पैकेट, राशन एवं अनिवार्य दवाओं आदि पहुँचा रहे हें। इस प्रकार डाक घर विभागीय कर्तव्यों के साथ-साथ कोविड-19 के संकट के समय सामाजिक प्रयोजन की भी सेवा कर रहे हैं। यदि इस दौरान उन्हें संक्रमण होता है, तो उन्हें 10 लाख रुपये क्षतिपूर्ति के तहत दिये जाएँगे।