तेलंगाना में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने सिर्फ अपनी भावी विजय का शंखनाद किया है। उन्हें भरोसा है कि वे पहले की तुलना में ज़्यादा वोट से जीतंगे। भारी जीत के बाद से राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होंगे और उनके पुत्र और पुत्री तेलंगाना में सुशासन कायम रखेंगे। जिन्हें वे लगातार प्रशिक्षित करते रहे हैं भाजपा और कांग्रेस इस चुनाव में टीआरएस का मज़बूत मुकाबला करेगें। जबकि नायडु की टीडीपी कांग्रेस के साथ मैदान में उतरेगी। राजनीति के कांग्रेस के स्कूल से निकले केसीआर कांग्रेस और भाजपा दोनों की रणनीति बहुत बढिय़ा जानते समझते हैं। उन्होंने इस महीने के शुरू में ही ‘मदर ऑफ ऑल रैल्ी’ का भव्य आयोजन किसा। इसमें भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि उनके राज्य में कहीं सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई है। उन्होंने हैदराबाद को और भी सुविधासंपन्न बनाने की बात कही और राज्य में अपनी सरकार द्वारा समाज के सभी वर्गों के लिए किए गए तमाम काम गिनाए। उन्होंने कहा कि जनता का उन्हें प्रेम मिला है इसलिए वे फिर जीतेंगे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को उन्होंने ‘बफून’ भी बताया। जिस पर कांग्रेस ने उन्हें अंहकारी कहा। केसीआर के इस फैसले से राज्य में भाजपा की भी हवा सरकी हुई है। पिछली विधानसभा में उनके पांच विधायक थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तेलंगाना में अगली सरकार भाजपा की बनवाने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को मैदान में सक्रिय कर दिया है।
केसीआर की खासियत यह है कि वे अच्छे लेखक भी हैं। खुद को कभी वे वामपंथी कहते थे फिर वे कांग्रेस में और भाजपा के करीब पहुंचे। अब वे अपनी पार्टी के जोर से तेलंगाना में सरकार बनाने में जुटे हैं। राज्य पाल ने उनका और मंत्रिमंडल का इस्तीफा मंजूर कर लिया है और उन्हें केयरटेकर मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त कर दिया है।