कांग्रेस और अन्य कुछ विपक्षी दलों के जबरदस्त विरोध के बावजूद राज्य सभा में भी पास हुए तीन तलाक बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी और इसके साथ ही देश में तीन तलाक कानून १९ सितंबर, २०१८ से लागू हो गया है।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, २०१९ के कानून बन जाने से अब मौखिक, लिखित या किसी भी अन्य माध्यम से तीन तलाक देना कानूनन अपराध होगा। मंगलवार को राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास हुआ था, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।
कांग्रेस सहित विपक्ष के कुछ दलों ने इस बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजने की मांग की थी लेकिन राज्यसभा में इससे जुड़ा प्रस्ताव वोटिंग के बाद गिर गया था। प्रस्ताव के पक्ष में ८४ और विपक्ष में १०० वोट पड़े थे। इसके बाद कुछ दलों के सदस्यों ने वोटिंग के दौरान राज्यसभा में वॉकआउट किया था और बिल ८४ के मुकाबले ९९ वोटों से पास हो गया था।
गौरतलब है कि कानून में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। तीन तलाक क़ानून में अन्य प्रावधानों में मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आना, तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे, महिला अधिकार संरक्षण कानून २०१९ बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है इसलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है, एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है और मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलना शामिल हैं।
इसके अलावा मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे, तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा, तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली मां के पास रहेगी, समझौते का विकल्प जो पत्नी की पहल और मजिस्ट्रेट की ओर से उचित शर्तों के साथ ही हो सकता है जैसे अन्य प्रावधान भी इसमें हैं।