एक बड़े राजनीतिक दांव में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक़ को अध्यादेश के जरिये क़ानून बनाने का रास्ता साफ़ कर दिया है। केंद्रीय केबिनेट की बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में तीन तलाक पर अध्यादेश लाने का फैसला किया गया। इसका स्वरुप नहीं बदला गया है और इसे जल्दी ही राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अध्यादेश के जरिये यह क़ानून छह महीने तक अस्तित्व में रह सकता है हालाँकि उसके बाद सरकार को इसे पास करने के लिए संसद में लाना होगा।
दिल्ली में आज पीएम मोदी के नेतृत्व में केबिनेट ने अध्यादेश का फैसला किया। गौरतलब है कि तीन तलाक (ट्रिप्पल तलाक) का बिल राज्य सभा में पिछले दो सत्र से अटका हुआ है क्योंकि वहां भाजपा का बहुमत नहीं था। चार राज्यों में छह महीने से पहले ही विधानसभा चुनाव होने हैं और लोक सभा के चुनाव को भी लगभग ६-७ महीने ही बचे हैं लिहाजा भाजपा सर्कार के इस दांव को चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है।
भाजपा आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस और विपक्ष के अन्य दल मुस्लिम महिलाओं का कल्याण नहीं चाहते इसलिए वे इस बिल का विरोध करते रहे हैं जबकि कांग्रेस और कुछ अन्य दल इस बिल में कुछ फेरबदल की मांग करते रहे हैं।
तीन तलाक को लेकर सबसे पहले कोर्ट में जाने वाली सायरा बाणों ने सर्कार के अध्यादेश वाले फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे उन महिलाओं को नयाये मिल सकेगा जो पुरुषो की तलाक के मामले में जयादती का शिकार होती रही हैं।