चार साल के बाद आखिर युग के परिजनों को न्याय मिला है। चार साल के युग का अपहरण कर उसकी बर्बर तरीके से हत्या कर दी थी। शिमला के जिला एवं सत्र न्यायालय ने युग की हत्या के तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई है।
कोर्ट के फैसले के बाद युग के पिता विनोद कुमार ने कहा – ”हमने दरिंदों के लिए फांसी मांगी थी, हमें इंसाफ मिला। ईश्वर भी इन दरिंदों को नहीं बख्शेगा”। युग के पिता विनोद कुमार और मां पिंकी गुप्ता ने कोर्ट में पहली सुनवाई के दौरान ही दोषियों के लिए फांसी की सजा मांगी थी। विनोद कुमार ने कहा की उनका बच्चा भले अब दुनिया में नहीं है लेकिन कानून ने इंसाफ के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है।
बुधवार को कोर्ट का यह फैसला आया। चार साल के मासूम की हत्या के तीनों दोषियों को डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई । डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज वीरेंद्र सिंह ने बुधवार को इस जघन्य हत्याकांड के तीनों दोषियों चंद्र शर्मा, विक्रांत, तेजेंद्र को फांसी की सजा सुनाई। इससे पहले कोर्ट ने 7 अगस्त को मामले के तीनों आरोपियों को दोषी पाया था लेकिन सजा उस दिन नहीं सुनाई थी। तीनों दोषियों को एक महीने के भीतर हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने का अधिकार होगा।
गौरतलब है कि चार जून, 2014 को शिमला के राम बाजार के कारोबारी विनोद कुमार के चार वर्षीय बेटे युग का अपहरण हो गया था। दोषियों ने युग के परिजनों से फिरौती की मांग की थी। पकड़े जाने के डर से उन्होंने युग की हत्या कर दी थी। अगस्त 2016 में सीआइडी ने युग हत्याकांड को सुलझाते हुए तीनों दोषियों को गिरफ्तार किया था। हिमाचल में यह फांसी देने का चौथा मामला है। इससे पहले तीन केस में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।
युग हत्याकांड को लेकर जिला अदालत में लगभग 15 महीनों तक ट्रायल चला और इस दौरान 100 से अधिक गवाह पेश हुए। इस हत्याकांड ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया था। संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखने वाले तीन आरोपियों ने चार साल के मासूम बालक युग का अपहरण किया और फिर बर्बरता से उसकी हत्या कर दी।
आरोपियों तेजेंद्र सिंह, चंद्र शर्मा और विक्रांत बक्शी ने युग को शहर में ही एक पेयजल टैंक में डाल दिया था। युग शिमला के राम बाजार के एक कारोबारी का बेटा था और तीनों अपराधी युग के परिजनों के जान-पहचान वाले थे। जून 2014 को आरोपियों ने युग का अपहरण कर परिजनों से फिरौती की मांग की थी। लेकिन, पकड़े जाने के डर से उन्होंने युग को मौत के घाट उतार दिया। चार साल के लम्बे इन्तजार के बाद आखिर युग के परिजनों को न्याय मिला है।