एक समय पूरी दुनिया में धर्मनिरपेक्ष गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए पहचान बनाने वाले शहर लखनऊ से आज धर्मांधता और धार्मिक असहिष्णुता की खबरें अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं। इन बातों ने शहर के आपसी भाई-चारे को शर्मिंदा कर दिया है। पिछले दिनों एक के बाद एक घटी घटनाओं ने पूरी दुनियां को हिला कर रख दिया है। दुनिया को यहां से तंगदिली, असहिष्णुता और पक्षपात की बदबू आने लगी है। सबसे ताज़ी घटना नोयडा के एक विवाहित जोड़े की है। दो अलग-अलग मज़हब के लोगों की शादी होने के कारण पासपोर्ट अधिकारी ने उन्हें पूरी तरह ज़लील किया। कारण सिर्फ इतना था कि लड़की अपना हिंदू नाम बदलना नहीं चाहती थी। इससे कुछ दिन पहले लखनऊ की ही एक लड़की ने मुस्लिम मकैनिक से अपना एयरटेल डिजीटल टीवी नेटवर्क में आई खराबी को ठीक करवाने से साफ इंकार कर दिया था। इसकी भारी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यकर्ता ने उस ‘ओला कैबÓ में सफर करने से इंकार कर दिया था जिसका ड्राईवर एक मुसलमान था।
पासपोर्ट वाले मामले में अधिकारी एकदम हरकत में आए और उन्होंने उस अफ सर का तबादला कर दिया। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता की भी जमकर आलोचना हुई। ‘ओलाÓ ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। एयरटेल ने तो उस महिला की बात मान कर उसे एक सिख टेकनीसियन दे दिया।
पर बात है पासपोर्ट के दफ्तर की। मोहम्मद अनास सिद्धीकी और तानवी सेठ की शादी को 12 साल हो गए हैं। उनकी छह साल की एक बेटी भी है। दोनों लखनऊ के रहने वाले हैं और दोनों ने पढ़ाई भी वहीं की है। यह जोड़ा अनास के परिवार के साथ ईद मनाने लखनऊ आया। ये दोनों छुट्टियां मनाने के मूड में थे। इस कारण तानवी अपना पासपोर्ट बनाने गई थी और अनास को अपने पासपोर्ट का नवीनीकरण करवाना था। दोनों ने रत्न एक्वेयर स्थित पासपोर्ट कार्यलय से ‘ऑनलाइनÓ समय ले लिया था। पर जब 20 जून 2018 को वे पासपोर्ट के दफ्तर पहुंचे तो उन्हें जीवन का सबसे बड़ा झड़का लगा। वहां मौजूद विकास मिश्रा नामक अधिकारी ने तानवी के साथ दुव्र्यवहार किया। उसे अपमानित किया। उसकी शादी के लिए उसे शर्मिदा किया गया और उससे पूछा गया कि शादी के बाद उसने अपना नाम मुसलमानों वाला क्यों नहीं रखा? फिर अधिकारी ने उसके पति से कहा कि वह हिंदू बन जाए और ‘फेरेÓ ले कर विवाह करे।
जब दोनों ने कहा कि धर्म उनका व्यक्तिगत मामला है और उन्हें अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार है तो अफसर उनके कागज़ एक तरफ फेंक दिए। उसका लहजा सख्त हो गया, उसकी आवाज़ ऊंची हो गई और वह इस जोड़े को डराने-धमकाने लगा। तानवी ने बताया कि वह हमें हर तरफ से शर्मिदा कर रहा था।
उसके इस तरह के व्यवहार से ये लोग डरे सही पर इन्होंने साहस नहीं छोड़ा। उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और सारी कहानी उस पर डाल दी। तावनी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी ट्वीट किया। यह बात पूरे मीडिया में आग की तरह फैल गई। एक जोड़े को परेशान करने का मामला देखते ही देखते ‘बे्रकिंग न्यूज़Ó बन गया।
विकास मिश्रा ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि वह अपना ‘निकाहनामÓ वाला नाम ‘सादिया अनासÓ पासपोर्ट पर लिया ले। जिसे उसने इंकार कर दिया। पर, कुछ ही घंटों में उस अफसर का तबादला कर दिया गया और एक जांच समिति भी गठित कर दी गई। इस बीच गोमती नगर क्षेत्रीय पासपोर्स दफ्तर में इस जोड़े को बुलाया गया और पत्रकारों के कैमरों की चमक के बीच उन दोनों को पासपोर्ट सौंप दिए गए। इससे उनके चेहरे पर एक मुस्कान फैल गई।
लेकिन एयरटेल कंपनी के पीडि़त के साथ ऐसा नहीं हुआ। शोयब को बिना किसी कसूर के एक ग्राहक के हाथों धार्मिक असहिष्णुता का शिकार होना पड़ा। केवल इसलिए कि उसका नाम शोयब था और वह मुस्लिम था। यह मामला तथ्यों की सारी मान्यनाओं के पार है और लोगों की कट्टपंथी सोच को दर्शाता है।
कुछ महीने पहनले नवाबों की नगरी में धार्मिक असहिष्णुता का एक और मामला सामने आया। हुआ यह कि प्रबंधकीय पद पर काम कर रही पूजा सिंह नामक महिला को अपने एयरटेल डीजीटल का नेटवर्क ठीक करवाना था। उसने कंपनी में फोन किया। वहां शोयब नामक टेकनीश्यिन से बात हुई जो एक मुसलमान था। पर पूजा ने यह कह कर उससे काम करने से इंकार कर दिया कि वह एक मुस्लिम है और उसे मुसलमानों पर विश्वास नहीं है। उसने कंपनी से किसी हिंदू को भेजने को कहा। निजी कंपनी के उसकी मांग को मानते हुए गगनजोत सिंह, जो कि एक सिख है को काम करने भेज दिया।
पूजा ने कृत्य की लोगों ने जम कर निंदा की। उसके ट्वीट से सोशल मीडिया में भारी हलचल मच गई। उसकी सोच की लोगों ने खूब आलोचना की। लोगों ने कहा कि यदि वह हिंदुत्व की ठेकेदार भाजपा जैसी पार्टी की सदस्य या समर्थक है या आरएसएस की नीतियों पर चलने वाली है, तो भी उसे किसी को धार्मिक आधार पर किसी का अपमान करने का हक नहीं है।
शाहरूख खान जैसे अंदाज में किसी ने ट्वीट किया – ‘मैं भी हिंदू हूं। कृपया शोयब को भविष्य में मेरे हर काम के लिए भेजें। और, पूजा को किसी अच्छे मनोचिकित्सक को दिखाया जाए। उसे अलग टैक्नीशियन की नहीं अपितु अलग दिमाग की ज़रूरत है।Ó
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंंत्री उमर अब्बदुला ने कहा कि वे एयरटेल की जगह कोई और ब्रॉडबैंड लेंगे। अब धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है। बहुत से युवा आज कट्टर बाद की भाषा बोलने लगे है। कम से कम पहले लखनऊ में ऐसा नहीं होता था।