बहुचर्चित इंदोर हनी ट्रेप कांड की पहेली अभी तक सुलझती नज़र नहीं आ रही है। अब तक इस कांड के िकरदारों को लेकर जनमानस में न जाने कितने मिथक और िकस्से प्रचलित हो चुके हैं। पिछली सितंबर का एक पखवाड़ा तो पूरी तरह ‘हनी ट्रेप’ की बुरी खबरों से भरा रहा। सर्वाधिक चर्चा में जयपुर सोलर प्लांट व्यवसायी से 6 कोड निचोडऩे वाली अनुराधा रही। पुलिस जब इस गिरह को खोलने में जुटी, तो बैनाड रोड ठेकेदार को ब्लेकमेल की कहानी भी पर्दे उठाकर बाहर आ गयी। इन कहानियों के पेंच कहीं-न-कहीं बीते बरस फन्देबाज़ कथित वकीलों और पत्रकारों से जुड़े पाये गये, तो रहस्य की नयी परतें खुलने लगीं। एसओजी द्वारा की जा रही जाँच के दौरान ‘तहलका’ के अंक में ‘जिस्म जलवा…।’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट ने मामले को और गरमा दिया। नतीजतन एसओजी की जाँच का दायरा बढ़ा, तो इसके सूत्र इंदोर के ‘हनी ट्रेप’ कांड से जुड़ते नज़र आये। राष्ट्रीय स्तर के एक अखबार के क्षेत्रीय संस्करण ने अपनी खबरों में इस बात की तस्दीक करते हुए ज्यादा खुलासा करने से परहेज़ बरता। लेकिन संलिप्तता के मामले में उँगलिया अनुराधा, उसकी माँ, मौसी तथा सहयोगी की तरफ उठती नज़र आती हैं। घटनाओं के इन नये-नये खुलासों ने अनेक नयी उलझनें और कई नये सवाल पैदा कर दिये हैं। किन्तु सूत्रों का कहना है कि एसओजी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है। सूत्रों का कहना है कि इंदोर हनी ट्रेप कांड में राजस्थान का जुड़ाव किन युवतियों को लेकर है? िफलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। पुलिस कहकर कन्नी काट रही है कि ‘जो भी होगा, सब सामने आ जाएगा।’ इंदोर हनी ट्रेप मामले में मध्य प्रदेश पुलिस ने श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता, बरखा, आरती और मोनिका के गिर्द शिकंजा कसा था। इस पूरे मामले में आरती ने ही मीडिया के सामने अपने आपको बेगुनाह बताते हुए कहा कि मेरे से खाली कागज़ों पर दस्तखत कराये जा रहे हैं; जबकि पुलिस सूत्रों का कहना था कि आरती दलाल ने अपनी गिरफ्तारी के 10वें दिन ही अपना गुनाह कुबूल कर लिया था।
बताते चले कि इंदोर हनी ट्रेप कंाड की परतें खुलने की शुरुआत बड़ी ठगी के शिकार हो चुके इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत और कानूनी मदद के लिए लम्बी भागदौड़ के साथ हुई। सूत्रों का कहना है कि आरती उसका आपत्तिजनक वीडियो बनाकर तीन करोड़ वसूल चुकी थी। सूत्रों का कहना है कि आरती ने न सिर्फ अपने राज़ खोले, बल्कि श्वेता और बरखा से जुड़ी बातें भी उजागर कर दीं। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे खेल में परदे की आड़ में कई सत्ताधारी चेहरे, सफेदपोश हैं, तो दूसरी ओर पुलिस और प्रशासन के आला अफसर भी हैं, बाकी कई मोहरे भी हैं, जो इस काम को दुबे-छिपे अंजाम देते हैं। माना जा रहा है कि अगर इस मामले पर से परदे हटाये जाएँ तो हनी ट्रेप में संलिप्त बालाओं के साथ-साथ कई कद्दावर चेहरे कानून के शिकंजे में फँस जाएँगे। लेकिन पुलिस के साथ-साथ सरकार भी इस मामले पर ठीक से जाँच करने से कतराती नज़र आ रही है। ऐसा क्यों किया जा रहा है? यह समझना कोई मुश्किल काम नहीं है, क्योंकि सरकार खुद इसमें दिलचस्पी नहीं ले रही है। देखना यह है कि इस मामले को तहलका के उठाने के बाद सरकार की सक्रियता में क्या इज़ाफा होता है? अगर सरकार इस मामले की ठीक से जाँच कराती है, तो इस बात का खुलासा हो जाएगा कि राजस्थान में इस कालिख में कौन-कौन सी बालाएँ और कौन-कौन रसूखदार शामिल हैं। अफसोस इस बात का है कि हर ज़ुबान पर ताले लगे हुए हैं। फिर भेद कैसे खुलेगा?