तमिलनाडु विमान दुर्घटना हादसा या साज़िश!

विमान हादसे में जनरल रावत, उनकी पत्नी समेत 13 अफ़सरों की मौत पर उठे सवाल

यह 13 नवंबर, 2021 की ही बात है, देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत के लिए पाकिस्तान नहीं, बल्कि चीन सबसे बड़ा खतरा है। यह जनरल रावत ही थे, जो सीमा पर चीन की तरफ़ से तनाव बनाये जाने पर उसका नाम लेकर हुंकार भरते थे। यह माना जाता है कि रावत के चीन को लेकर बयान दरअसल मोदी सरकार की आवाज़ होते थे। केंद्र सरकार ने दोनों देशों के बीच वर्तमान तनाव पर कभी सीधे-सीधे चीन का नाम लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। इसके पीछे कूटनीतिक सम्बन्धों में कोई बाधा नहीं आने देने की रणनीति हो सकती है। लेकिन जनरल रावत ने नवंबर में चीन का सीधे-सीधे नाम लेकर टिप्पणी की। अब साल के आख़िरी महीने की 8 तारीख़ को तमिलनाडु में एक विमान हादसे में जनरल बिपिन रावत सहित 13 प्रमुख लोगों की मौत हो गयी। इस विमान हादसे पर सवाल उठ रहे हैं। देश की ख़ुफ़िया संस्थाएँ इस खोज में जुट गयी हैं कि क्या यह हादसा एक साधारण हादसा ही था या इसके पीछे देश को नुक़सान पहुँचाने का कोई गहरा षड्यंत्र है।

प्रारम्भिक जाँच के सुबूत संकेत करते हैं कि इस हादसे को साधारण हादसा मानकर ख़ारिज नहीं किया जा सकता। भारतीय वायु सेना पहले ही दुर्घटना की जाँच के आदेश दे चुकी है। फ़िलहाल इस हादसे की जाँच जारी है, ताकि दुर्घटना का सच सामने लाया जा सके।

जनरल बिपिन रावत हमेशा चीन के ख़िलाफ़ मुखर रहने वाले सेनाधिकारी रहे। भारत और चीन के बीच वृहद सीमा पर तनाव के मामले में रणनीति के सूत्रधारों में जनरल रावत प्रमुख चेहरा थे। ऐसे में संदिग्ध तरीक़े के इस हवाई हादसे में उनकी जान जाने के बाद कई प्रमुख जानकारों ने सवाल उठाये हैं और यह माँग की है कि इस हादसे की व्यापक जाँच होनी चाहिए। क्योंकि इस हादसे के बाद चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स की टिप्पणी गौर करने लायक है, जिसने हादसे के बाद अपने एक लेख में चीनी विशेषज्ञों का हवाला देते हुए लिखा- ‘विमान हादसे में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की मौत भारत की सैन्य अनुशासनहीनता और युद्ध की तैयारियों की पोल ही नहीं खोलती, अपितु भारत के सैन्य आधुनिकीकरण की सच्चाई को भी सामने लाती है।’

अख़बार ने दावा किया है कि भारत में सैन्य आधुनिकीकरण आज भी ठहरा हुआ है और यह काफी समय लेगा। ख़ास बात यह है कि ग्लोबल टाइम्स ने इस लेख को अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से भी शेयर किया है। ग्लोबल टाइम्स के इस लेख पर भारत में कड़ी प्रतिक्रिया दखने को मिली है और कई बड़ी हस्तियों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए जवाबी हमला भी किया है। एक ट्वीट में भारत के सेना प्रमुख रहे जनरल वेद मलिक ने कहा- ‘सामाजिक मूल्यों और नैतिकता की घोर कमी के चलते चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी से और क्या उम्मीद की जा सकती है?’

हादसे में जनरल रावत और अन्य लोगों की मौत ने देश को निश्चित की बड़ा झटका दिया है और लोग इससे सदमे में हैं। इसके कारण भी हैं। देश के किसी भी महत्त्वपूर्व मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए पहचाने जाने वाले भारत के बुद्धिजीवी नेता माने जाने वाले राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने इस हादसे के बाद इस घटना के पीछे बड़ी विदेशी साज़िश की आशंका जताकर देश में नयी बहस छेड़ दी है। स्वामी  ने कहा- ‘सब जानते हैं कि जनरल रावत चीन को लेकर स्पष्टता से अपनी बात कहते थे। मुझे लगता है कि शायद भारत अभी तक चीन को बहुत हल्के में ले रहा है। इस  आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता कि विमान हादसे का शिकार न हुआ हो और उसे निशाना बनाया गया हो। इस घटना में साइबर वारफेयर की आशंका से इन्कार नहीं जा सकता।’

ज़ाहिर है उनके बयान के बाद देश में इस मसले पर लोगों की उत्सुकता है कि घटना के पीछे का सच क्या है? दर्ज़नों आशंकाओं के इन काले बादलों के बीच यह जानना भी ज़रूरी है कि जिस एमआई-17वी -5 विमान हादसे में जनरल रावत सहित 13 लोगों की जान चली गयी, उसे सुरक्षा की दृष्टि से वायु सेना का सबसे भरोसेमंद वर्कहॉर्स माना जाता है। एमआई-17वी -5 विमान बेहतर एवियोनिक्स के साथ रूसी निर्मित एमआई-17 विमानों के बेड़े का नवीनतम संस्करण है। भारत के पास इनका एक बड़ा बेड़ा है, जिसे यूपीए के समय सन् 2008 और एनडीए के समय सन् 2018 के बीच ख़रीदकर सेना के बेड़े में शामिल किया गया। हादसे के बाद बहुत-से रक्षा विशेषज्ञों और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने एमआई-17वी-5 विमान को उत्कृष्ट और बेहद सुरक्षित बताते हुए हादसे पर सवाल उठाये हैं।

इन पूर्व सैन्य अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि एमआई-17वी-5 विमान सियाचिन ग्लेशियर जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लम्बे समय तक इस्तेमाल किया जा रहा है। यहाँ तक कि इसकी विश्वसनीयता और सुरक्षा गारंटी के कारण इस हेलीकॉप्टर को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे वीवीआईपी के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। हादसे के बाद इस विमान के वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के अलावा ब्लैक बॉक्स मिलने पर इससे जानकारियाँ जुटाने की कोशिशें की जा रही हैं।

हादसे की जाँच

भारतीय वायु सेना का कहना है कि हादसे की जाँच जारी है, कृपया अटकलें न लगाएँ। बता दें कुछ बड़े रक्षा विशेषज्ञों ने भी हादसे पर शक ज़ाहिर किया है। जाने-माने रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने तो इस विमान हादसे की तुलना ताइवान के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ जनरल शेन यी मिंग के विमान हादसे से की है। इस हादसे को लेकर उन्होंने चीन पर शक ज़ाहिर किया है। हादसे के तुरन्त बाद जैसे ही जाँच दल का गठन किया गया, भारतीय वायु सेना और स्थानीय पुलिस दल विमान हादसे की जाँच के लिए तमिलनाडु में कुन्नूर के नांजपा छत्रम गाँव पहुँच गया।

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक, अभी तक की जाँच में कुछ ज़्यादा साफ़ नहीं हुआ है। हालाँकि जानकर्ता इस हादसे में किसी साज़िश की आशंका को ख़ारिज नहीं कर रहे हैं और जाँच में इस पहलू पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। हादसे की जाँच को लेकर जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में दी, जहाँ सभी सदस्यों ने एकमत से इस हादसे पर गहरा दु:ख जताया और रावत व उनकी पत्नी सहित सभी 13 सैन्य अफ़सरों को श्रद्धांजलि दी। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने रावत की देश को दी सेवाओं को याद करते हुए उन्हें महान् योद्धा बताया।

रक्षा विश्लेषक ब्रह्म चेलानी ने रावत की मौत को देश के लिए बड़ा नुक़सान बताते हुए कहा कि सीडीएस की मौत ऐसे मुश्किल समय में हुई है, जब सीमा पर कई महीनों से चीन के आक्रामक रवैये के चलते तनाव वाले हालात हैं और हिमालय के मोर्चे पर युद्ध जैसी स्थिति हमेशा बनी हुई है। चेलानी ने कहा कि स्पष्टवादी और साफ़ नज़रिये वाले जनरल रावत चीन की आक्रामकता के ख़िलाफ़ भारत का चेहरा थे। जहाँ राजनीतिक नेतृत्व की ज़ुबान से चीन शब्द नहीं निकल रहा था, तब जनरल रावत साफ़-साफ़ नाम ले रहे थे।

इसमें कोई दो-राय नहीं कि जनरल रावत चीन के इस आक्रामक रूख़ के तोड़ की रणनीति का नेतृत्व कर रहे थे। कुछ जानकार मानते हैं कि रावत के जाने से चीन को लेकर भारत की रणनीति पर विपरीत असर पड़ सकता है। हालाँकि कुछ अन्य कहते हैं कि ऐसी रणनीति एक सतत प्रक्रिया है और इसमें समय के अनुसार चीज़ें जुड़तीं और बदलती जाती हैं। इन जानकारों का कहना है कि हादसा इस प्रक्रिया में अस्थायी अवरोधक है और कुछ समय में ही इसकी पूर्ति हो जाएगी।

रक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर का भी कहना है कि जनरल रावत की हादसे में मौत से भारत की चीन नीति पर कोई विशेष असर पड़ेगा; क्योंकि एक अधिकारी की मौत से रणनीति पर तो कम-से-कम अन्तर नहीं पड़ेगा। भारत अपने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बदलाव के दौर में है और यह किसी भी संस्था के साथ होता है कि बदलाव का दौर उनके लिए अस्थायी अवरोधक लाता ही है।

हालाँकि इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कंफ्लिक्ट स्टडीज के रिसर्च स्कॉलर कमल मदीशेट्टी मानते हैं कि जनरल रावत के सेना प्रमुख और सीडीएस बनने के बाद यह बड़ा बदलाव आया कि चीन को लेकर भारतीय रणनीति साफ़ हुई है। रावत अब हमारे बीच नहीं हैं; लेकिन जो विरासत वह छोड़ गये हैं। अब आने वाले सीडीएस शायद ही उससे अलग जा सकेंगे। फ़िलहाल तो यही दिख रहा है।

रावत बतौर सीडीएस और बतौर सेना अधिकारी क्यों बहुत महत्त्वपूर्ण थे, यह इस तथ्य से ज़ाहिर हो जाता है कि उनका चयन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पद के लिए किया था। इससे पहले मोदी सरकार ने ही उन्हें दो अधिकारियों पर तरजीह देकर सन् 2016 में देश का सेना प्रमुख बनाया था। जनरल रावत ने चीन की आक्रामक नीति के ख़िलाफ़ भारत की प्रतिक्रिया का नेतृत्व किया और सन् 2017 में डोकलाम में और सन् 2020 में गलवान में चीनी आक्रामकता का मुक़ाबला किया।

आँखों देखी

तमिलनाडु के कन्नूर में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के विमान हादसे के कुछ चश्मदीद भी सामने आये हैं। एक वीडियो भी हादसे के वक़्त का सामने आया है। एक चश्मदीद के दावे के मुताबिक, हादसा होने के तुरन्त बाद जब एक ग्रामीण घटनास्थल पर पहुँचा था, तब रावत सहित तीन लोग वहाँ पड़े थे, जिनमें दो (रावत भी) जिन्दा थे। सुकुमार नाम के इस चश्मदीद के मुताबिक, यह हादसा उसके घर के साथ लगती ढलान में हुआ था, जहाँ विमान दो पेड़ों के बीच अटका था और धूँ-धूँ करके जल रहा था।

सुकुमार और अन्य गाँव वालों ने ही इस हादसे की जानकारी पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी थी। ये लोग पूरे इलाक़े में अपने स्तर पर तलाशी कर रहे थे; ताकि विमान से गिरकर बचे किसी व्यक्ति को बचाने की कोशिश की जा सके। सुकुमार ने ही सबसे पहले यह बताया था कि विमान हादसे में तीन दिखने वाले तीन में से दो ज़िन्दा लोगों को बचाने के लिए उनके पास ऐसा कोई साधन नहीं था, जिससे वे इन घायलों को सडक़ तक पहुँचा पाते। इन लोगों ने बस्ती में वापस जाकर चादरें, रस्सी आदि चीज़ें जुटायीं, ताकि पुलिस के आने तक उन्हें सडक़ की तरफ़ ले जाया जा सके।

पुलिस भी तब तक घटनास्थल पर पहुँच गयी और इंतज़ाम करने लगी। सुकुमार के मुताबिक, इनमें से एक व्यक्ति ने पानी भी माँगा था। वहाँ अधिकारियों ने इन लोगों को बताया कि यह जनरल रावत थे। ज़िन्दा लोगों को यह लोग और पुलिस चादर पर रखकर दो बार में ढलान पर ले गये। इन लोगों ने वहाँ से गुज़र रही पानी की लाइन को तोडक़र जलते हुए विमान की आग बुझाने की कोशिश की। इन चश्मदीदों के मुताबिक, तीन लोगों को छोडक़र बाक़ी सब बुरी तरह जल चुके थे और उन्हें पहचान पाना भी बहुत मुश्किल था।

एक और चश्मदीद के मुताबिक, हादसे से पहले विमान बहुत नीचे उड़ रहा था। इससे पहले आसमान पर कई विमान उड़ते दिखे हैं; लेकिन इतने नीचे उड़ता कोई विमान कभी नहीं देखा था। अचानक यह विमान बादलों के समूह के बीच लुप्त हो गया और शायद किसी पेड़ से टकराकर हादसे का शिकार हुआ।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घटना के अगले दिन संसद में एक बयान दिया कि एमआई-17 विमान हादसे के हर पहलू को जाँच समिति देखेगी, जिसका नेतृत्व एयर मार्शल मानवेन्द्र सिंह कर रहे हैं। जनरल रावत ने अपनी पत्नी और 12 अन्य लोगों के साथ सुलुर से वायुसेना के -17वी5 विमान से सुबह 11:48 बजे वेलिंग्टन के लिए उड़ान भरी थी, जिसे दोपहर 12:15 बजे वेलिंग्टन में उतरना था। लेकिन 12:08 बजे विमान का एटीसी से सम्पर्क कट गया था। बाद में लोगों ने सैन्य विमान का मलबा देखा। उस मलबे से जितने लोगों को निकाला जा सका, उन सबको वेलिंग्टन पहुँचाया गया। जिन लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हुई, उनमें सीडीएस बिपिन रावत उनकी पत्नी समेत कुल 13 लोग हैं। हादसे में गम्भीर घायल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह सेना अस्पताल में लाइफ सपोर्ट पर हैं और उनको बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है।

राजनाथ सिंह के मुताबिक, हादसे के बाद में कन्नूर के पास जंगल में स्थानीय लोगों ने आग लगी देखी। मौक़े पर जाकर उन्होंने विमान को आग की लपटों से घिरा देखा, जिसके बाद सूचना पर स्थानीय प्रशासन का एक बचाव दल वहाँ पहुँचा। विमान में सवार कुल 14 लोगों में से 13 की मृत्यु हो गयी, जिनमें सीडीएस जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी शामिल हैं। सिंह ने बताया कि अन्य मृतकों में सीडीएस के रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिड्डर, सीडीएस के सैन्य सलाहकार और स्टाफ अफ़सर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, विंग कमांडर प्रतीक सिंह चौहान, स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह, जूनियर वारंट अधिकारी राणा प्रताप दास, जूनियर अधिकारी अरक्कल प्रदीप, हवलदार सतपाल, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेन्द्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार और लांस नायक वीर साई तेजा शामिल थे।

 

जनरल रावत का सफ़र

जनरल रावत का जन्म 16 मार्च, 1958 को उत्तराखण्ड के पौड़ी ज़िले में एक सैन्य परिवार में हुआ। उनके पिता सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे। जनरल रावत सन् 1978 में सेना में शामिल हुए। शिमला के सेंट एडवड्र्स स्कूल से पढ़ाई के बाद उन्होंने खडक़वासला की नेशनल डिफेंस एकेडमी में सैन्य प्रशिक्षण लिया था।

देहरादून की इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ट्रेनिंग के बाद वह 11वीं गोरखा राइफल्स टुकड़ी की पाँचवीं बटालियन में सेकेंड लेफ्टिनेंट बनाये गये। गोरखा ब्रिगेड से सेना के सर्वोच्च पद पर पहुँचने वाले वह चौथे अफ़सर थे।

जनरल बिपिन रावत को 31 दिसंबर, 2019 को भारत का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1 जनवरी, 2020 को यह कार्यभार सँभाला। बतौर सीडीएस जनरल रावत की ज़िम्मेदारियों में भारतीय सेना के विभन्न अंगों में तालमेल और सैन्य आधुनिकीकरण जैसी महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ शामिल थीं।

जनरल रावत इससे पहले भारतीय सेना के प्रमुख रह चुके थे। वह 31 दिसंबर, 2016 से 1 जनवरी, 2017 तक भारत के 26वें थल सेना प्रमुख रहे। 1 सितंबर, 2016 को उप सेना प्रमुख की ज़िम्मेदारी सँभाली थी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद बनाये जाने की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने लाल क़िले पर दिये 15 अगस्त के भाषण के दौरान की थी। चार दशक तक चले सैन्य जीवन में जनरल रावत को सेना में बहादुरी और योगदान के लिए परम् विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक के अलावा और कई प्रशस्तियों से सम्मानित किया गया।

बिपिन रावत यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम के साथ वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें दो मौ$कों पर सीओएएस कमेंडेशन और आर्मी कमेंडेशन भी दिया जा चुका है।

उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने 29 सितंबर, 2016 को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक करके कई आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया था। बड़ी बात यह है कि जनरल बिपिन रावत के उप सेना प्रमुख बनने के एक महीने के अन्दर ही सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था। हमले में कई आतंकी भी मारे गये थे। उरी में सेना के कैम्प और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवानों के शहीद हो जाने के बाद सेना ने यह कार्रवाई की थी। जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश की सीमा के पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था। मणिपुर में जून, 2015 में आतंकी हमले में कुल 18 जवान शहीद हो गये थे; जिसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था। तब 21 पैरा थर्ड कॉप्र्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे।

जनरल रावत की ज़िन्दगी में कई बड़ी उपलब्धियाँ रहीं।  उनमें से कुछ की बात करें, तो उन्हें सन् 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पाँचवीं बटालियन में कमीशन मिला। भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर मिला। सन् 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इन्फैंट्री बटालियन के वह प्रमुख रहे। जनरल रावत ने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुआई भी की थी। बिपिन रावत ने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शान्ति मिशन का नेतृत्व भी किया।

 

“मैं तमिलनाडु में हुई विमान दुर्घटना से बहुत दु:खी हूँ, जिसमें हमने जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के अन्यकर्मियों को खो दिया है। उन्होंने पूरी लगन से भारत की सेवा की। मेरी संवेदनाएँ शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। जनरल बिपिन रावत एक उत्कृष्ट सैनिक और एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने हमारे सशस्त्र बलों और सुरक्षा तंत्र के आधुनिकीकरण में बहुत योगदान दिया। सामरिक मामलों पर उनकी अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण असाधारण थे। उनके निधन से मुझे गहरा दु:ख पहुँचा है। ओ३म् शान्ति।’’

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

 

“विश्लेषकों का मानना है कि चीन विरोधी भारत के शीर्ष सेना अधिकारी की मौत के बाद भी चीन को लेकर भारत की आक्रामक छवि में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। भारतीय मीडिया में विमान ध्वस्त होने की वजह ख़राब मौसम,  ग़लत ऊँचाई और तकनीकी गड़बड़ी बतायी जा रही है। इन सब कारणों को मान भी लिया जाए, तो इससे यह पता चलता है कि यह गड़बड़ी मानवीय है, न कि रूस में बने विमान में कमी होने के कारण। एमआई-17 सीरीज के विमान का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में होता है।’’

चीनी अख़बार ग्लोबल टाइम्स में एक लेख

 

 

 

“सीडीएस जनरल बिपिन रावत सेना के उन चुनिंदा टॉप लेवल के अधिकारियों में शामिल थे, जो सरकार से नहीं डरते थे और कहते रहे थे कि चीन दुश्मन है… चीन एक ख़तरा है… चीन हमारे इलाक़े में दाख़िल हुआ… तमिलनाडु में एक विमान में टेकऑफ के बाद आग लग जाती है या इसी तरह का कुछ… मुझे उतनी समझ तो नहीं है; लेकिन यह साइबर वारफेयर (हमले) की ओर ध्यान ले जाता है… साइबर वारफेयर में एक लेजर से ऑब्जेक्ट को जलाया जाता है।’’

सुब्रमण्यम स्वामी, राज्यसभा सदस्य

 

“मैं जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ। यह एक अभूतपूर्व त्रासदी है और इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएँ उनके परिवार के साथ हैं। अपनी जान गँवाने वाले अन्य सभी लोगों के प्रति भी हार्दिक संवेदना। इस दु:ख की घड़ी में भारत एक साथ खड़ा है।’’

राहुल गाँधी, कांग्रेस नेता

 

 

“इस दु:खद विमान हादसे के कारणों की जाँच के लिए एक ट्राई सर्विस इंक्वायरी का गठन किया गया है। इस मामले की पूरी जाँच तेज़ी से की जाएगी और तथ्य सबके सामने रखे जाएँगे। जाँच पूरी होने तक मृतकों की गरिमा का सम्मान करते हुए बेबुनियाद अटकलों से बचा जाना चाहिए।’’

भारतीय वायुसेना