बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना संक्रमण के मामले में तब्लीगी जमात में विदेश से आये जमातियों को बलि का बकरा बनाया गया। मीडिया ने सोची समझी साज़िश के तहत इन जमात वालों को बदनाम किया। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए जमातियों के खिलाफ दर्ज सारी एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने कहा, महामारी या आपदा के दौरान सियासी सरकार किसी को बलि का बकरा बनाये जाने को ढूंढने की कोशिश करती है, इसके लिए इन विदेशियों को चुना गया। कोर्ट ने कहा, देश में संक्रमण के नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। विदेशियों के खिलाफ की गई इस कार्रवाई के बारे में पश्चाताप करने और सुधार के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने का अब भी उचित समय है।
कोर्ट ने कहा, वीजा शर्तों के अनुसार, धार्मिक स्थलों पर जाने और धार्मिक जलसों में हिस्सा लेने जैसी सामान्य धार्मिक गतिविधियों के लिए विदेशियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अदालत ने कहा कि किसी भी तरह से यह मुमकिन नहीं है कि वे इस्लाम धर्म का प्रसार कर रहे थे और उनका इरादा धर्मांतरण का था।
हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमातियों के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर रद्द करते हुए कहा, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ा प्रचार करके ऐसी तस्वीर बनाई गई कि जो मर्कज दिल्ली में विदेशी आए थे, भारत में कोरोना वायरस फैलाने के लिए मानो वही ज़िम्मेदार थे। हाईकोर्ट का यह फैसला शुक्रवार को ही आ गया था, लेकिन मुख्य धारा का मीडिया इस अहम खबर को दबा गया। शनिवार को यह आदेश सामने आया है।