सीबीआई के घमासान मामले में मंगलवार को एक और मोड़ आया है। विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ आरोपों के जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी एके बस्सी भी अपने तबादले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए हैं। अपनी याचिका में बसे ने कहा है कि जांच में अस्थाना के खिलाफ पर्याप्त सबूत सामने आये हैं।
पिछले हफ्ते मोदी सरकार की तरफ इसे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को आधी रात को छुट्टी पर भेजे जाने पर खूब बवाल मच चुका है। अब बसे भी अपने तबादले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चल गए हैं।
मंगलवार को उन्होंने अपने तबादले को चुनौती देने वाली याचिका दायर की है और इसमें कहा है कि सबूतों के आधार पर वो अस्थाना को दोषी ठहराने वाले थे। उन्होंने कोर्ट में कहा कि उनके पास इस बात के सबूत थे कि एफआईआर में जिन लोगों का नाम शामिल था, उन लोगों ने ३.३ करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। इस तरह यह मामला और गरमा गया है और सरकार की मुसीबतें इससे और बढ़ सकती हैं।
गौरतलब है कि विशेष निदेशक अस्थाना ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) में बस्सी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि बस्सी आलोक वर्मा के निर्देशों पर काम कर रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि अस्थाना के खिलाफ एक नवंबर तक यथास्थिति बना के रखा जाए।
कांग्रेस अध्यक्ष सीबीआई के मामले को चुनाव अभियान में जोर-शोर से भुना रहे हैं और मोदी सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही हैं। सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को मोदी सरकार की तरफ से आधी रात को जबरदस्ती छुट्टी पर भेजे जाने को राहुल राफेल खरीद में भ्रष्टाचार से जोड़ रहे हैं।
उनका आरोप है कि जब मोदी सरकार को यह जानकारी मिली कि आलोक राफेल खरीद में भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं और सरकार से दस्ताबेज मांग रहे हैं तो घबराई मोदी सरकार ने रातों-रात कार्रवाई कर यह सबूत छिपाने की कोशिश की। इसके बाद सरकार ने अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारीयों को देश के दूसरे हिस्सों में तब्दील कर दिया। इनमें से एक बस्सी भी तबादले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।