पिछले चार दिन पहले गुजरात एसओजी और पीसीबी ने सूरत के हजीरा और रांदेर इलाक़ों से तीन ड्रग्स तस्करों को गिरफ़्तार किया। इन ड्रग्स तस्करों के पास से क़रीब 8.319 किलोग्राम हाई क्वालिटी वाली अफ़ग़ानी चरस बरामद हुई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के हिसाब से क़रीब 4.15 करोड़ रुपये क़ीमत आँकी गयी। पुलिस के हाथ आने तक तस्कर क़रीब एक किलोग्राम चरस बेच चुके थे। तस्कर समुद्री रास्ते से ड्रग्स तस्करी का धन्धा करते हैं।
इसके अलावा एसओजी ने रांदेर के पालनपुर पाटिया से एक ड्रग्स तस्कर को गिरफ़्ता किया। पुलिस को इस तस्कर के पास से भी क़रीब 2.173 किलोग्राम हाई क्वालिटी की अफ़ग़ानी चरस बरामद मिली। जग्गू से पूछताछ के आधार पर एसओजी ने दो तस्करों को 6.146 किलोग्राम हाई क्वालिटी अफ़ग़ानी चरस के साथ गिरफ़्ता किया।
गुजरात में ड्रग्स तस्करी, शराब तस्करी कोई नयी बात नहीं है। यहाँ की पुलिस हर साल करोड़ों की ड्रग्स और शराब बरामद करती है। मुंद्रा बंदरगाह पर क़रीब 3,000 किलो ड्रग्स बरामद होने के क़िस्से तो अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बनने के बाद दुनिया ने जाना कि गुजरात में ड्रग्स के धंधे में कथित रूप से बड़े-बड़े लोग शामिल हैं। लेकिन इसके अलावा गुजरात एसओजी और पीसीबी की पुलिस टीमें हर साल करोड़ों रुपये के नशीले पदार्थ बरामद करती हैं।
एक पुलिसकर्मी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि मैडम गुजरात में नशे का कारोबार बहुत बड़ा है। गुजरात के रास्ते ड्रग्स की तस्करी महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली तक होती है। इस धंधे में बड़े-बड़े लोग लिप्त हैं। मगर उनके ख़िलाफ़ सुबूत नहीं मिलते। जो ज़्यादातर वही तस्कर पुलिस के हाथ लग पाते हैं, जो लोगों को सप्लाई देते हैं। कभी कोई थोड़ा बड़ा तस्कर पकड़ा जाता है; लेकिन बहुत बड़े तस्करों के भेद वो भी नहीं खोलते। ड्रग्स तस्करी का अगर रिकॉर्ड देखें, तो सूरत प्रिवेंशन ऑफ क्राइम ब्रांच तथा स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने इसी साल 23 जुलाई को सुवाली बीच के पास से क़रीब 9.590 किलोग्राम हाई क्वालिटी अफ़ग़ानी चरस बरामद की थी। यह चरस समुद्री रास्ते से गुजरात लायी गयी थी। इस अफ़ग़ानी चरस की क़ीमत क़रीब 4.79 करोड़ रुपये आँकी गयी थी। पुलिस ने तस्कर के पास से एक तमंचा भी बरामद किया।
इसी 22 सितंबर को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पुलिस ऑपरेशन ने राजस्थान से कच्चे माल की तस्करी करने और सूरत के बाहरी इलाक़े में नशीली दवाओं के लिए एक विनिर्माण कारख़ाना स्थापित करने की कुछ तस्करों की विस्तृत योजना को विफल कर उन्हें गिरफ़्ता कर लिया है।
इस मामले में गिरफ़्ता आरोपी एमडी के नाम से विख्यात मेथमफेटामाइन और अन्य सिंथेटिक दवाओं का अवैध उत्पादन करते थे। इस कार्रवाई में राजस्थान से एमडी ड्रग्स बनाने वाला क़रीब 10.500 किलोग्राम कच्चा माल पुलिस ने ज़ब्त किया है। अवैध बाज़ार में इस कच्चे माल की अनुमानित क़ीमत क़रीब 8 से 9 करोड़ रुपये आँकी गयी। तस्करों ने यह बात क़ुबूल की कि इससे पहले वे बहुत बड़ी मात्रा में एमडी बनाते रहे हैं और इससे पहले उन्होंने 12 किलोग्राम कच्चा माल ख़रीदा था। इनमें से एक आरोपी को इस गिरफ़्तारी से काफ़ी पहले मुम्बई की क्राइम ब्रांच ने गिरफ़्तार किया था।
पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र सानंद के केरला जीआईडीसी में स्थित एक फार्मास्यूटिकल कम्पनी में क़रीब 500 किलो ड्ग्स एनसीबी टीम ने पकड़ी। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के हिसाब से इस ड्रग्स की क़ीमत क़रीब 10,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा आँकी गयी। इस प्रतिबंधित ड्रग्स की भारत में क़रीब एक करोड़ रुपये प्रति किलोग्राम और विदेशों में क़रीब 15 से 20 करोड़ रुपये प्रति किलोग्राम आँकी गयी।
गुजरात में ड्रग्स तस्करी को लेकर विपक्ष विधानसभा में भी सवाल उठाता रहा है। अमित शाह के संसदीय क्षेत्र में ड्रग्स की इतनी बड़ी खेप पकड़े जाने पर कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि ‘केंद्रीय गृह मंत्री के लोकसभा क्षेत्र में इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स पकडऩे वाले अधिकारियों का तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया गया। तबादले से शक पैदा होता है कि ड्रग्स के इस बड़े कारोबार का मालिक कोई प्रभावशाली सफेदपोश है, जिसे सरकार बचाना चाहती है।’ कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि ‘सानंद के केरल जीआईडीसी से ड्रग्स ज़ब्त होने के बावजूद सरकार, पुलिस और प्रशासन चुप हैं। ये चुप्पी चिन्ताजनक है। पूरे देश में और ख़ासकर गुजरात में बड़े-बड़े ड्रग कार्टेल चल रहे हैं। गुजरात ड्रग्स के लिए लैंडिंग हब के साथ-साथ प्रोसेसिंग हब भी बनता जा रहा है। साफ़ है कि फार्मास्युटिकल कम्पनियों की आड़ में ड्रग्स का एक पूरा नेटवर्क चल रहा है। हाल ही में सावली में बड़ी मात्रा में ड्रग्स की ज़ब्ती की गयी थी और इसके पहले भी वापी में करोड़ों रुपये की ड्रग्स की ज़ब्ती से यह स्पष्ट है कि गुजरात अब ड्रग लैंडिंग, प्रोसेसिंग और निर्यात का केंद्र बन रहा है।’
देश की संसद में ड्रग्स मुद्दे पर पिछले दिनों पूछे गये एक सवाल के जवाब में केंद्र की मोदी सरकार ने बताया कि सन् 2006 से सन् 2013 तक देश भर में 22,45,000 रुपये की ड्रग्स ज़ब्त की गयी थी। जबकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सन् 2014 से सन् 2022 तक देश में 62,60,000 रुपये की ड्रग्स पकड़ी गयी। यानी क़रीब एक बराबर समय में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार के मु$काबले भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार में 180 प्रतिशत ज़्यादा ड्रग्स तस्करी हुई।
13 मार्च, 2023 को गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति निखिल केरियल ने राज्य सरकार और डीजीपी को नोटिस जारी किया था। गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति केरियल ने पूछा था कि एक अंग्रेजी अख़बार के मुताबिक ड्रग्स पेडलिंग में बच्चों का उपयोग हो रहा है। क्या यह ख़बर सही है? अगर सही है, तो इसमें कितनी सच्चाई है? एफिडेविट के ज़रिये सरकार जवाब दे कि वह इस मामले में क्या कर रही है?
गुजरात हाईकोर्ट के इस नोटिस के अगले ही दिन इस मामले को न्यायमूर्ति निखिल केरियल की बेंच से ट्रांसफर करके कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति ए.जे. देसाई को सौंप दिया गया। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति ए.जे. देसाई ने सरकार के एफिडेविट के जवाब के बाद इस मामले को ही डिस्पोज कर दिया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सन् 2016 से मार्च, 2023 तक के सात साल के समय में गुजरात में क़रीब 40,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की ड्रग्स पकड़ी गयी है। इसके अलावा 4 मई 2023 को गुजरात के कच्छ से क़रीब 1.700 किलोग्राम मेथमफेटामाइन ड्रग्स पकड़ी गयी। राष्ट्रीय बाज़ार में इसकी क़ीमत क़रीब 1.7 करोड़ रुपये से दो करोड़ रुपये तक आँकी गयी। इसके बाद 13 मई, 2023 राजकोट के खंडेरी स्टेडियम से 214 करोड़ रुपये की क़ीमत की क़रीब 30 किलोग्राम ड्रग्स पुलिस ने बरामद की। इसके अगले ही दिन यानी 14 मई 2023 को जामनगर नेवी इंटेलिजेंस और एनसीबी ने क़रीब 2,500 किलो ड्रग्स बरामद की, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इस ड्रग्स की क़ीमत 12,000 करोड़ रुपये आँकी गयी थी।
गुजरात में ड्रग्स तस्करी के ये आँकड़े बताते हैं कि गुजरात ड्रग्स तस्करों का हब बन रहा है, जिस पर समय रहते काबू पाया जाना चाहिए। युवाओं और बच्चों का भविष्य बर्बाद करने वाले ड्रग्स तस्करों से आज निपट पाना आसान नहीं रह गया है। इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। एक अनुमान के मुताबिक, देश में हर साल 5,00,000 से ज़्यादा बच्चे ड्रग्स की लत पकड़ रहे हैं। इन बच्चों को बचाना सरकारों और पुलिस प्रशासन की ज़िम्मेदारी तो है ही, लोगों की ज़िम्मेदारी भी है।