एक दौर वो था जब किसान देश की पहचान हुआ करता था। लेकिन आज सियासत की अनदेखी और पूंजीपतियों की बढ़ती दखल के चलते देश का किसान आज दो राहें पर खड़ा है। देश में लगभग एक साल से किसान अपने कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे है। पर सरकार उनकी मांगों को मान नहीं रही है। किसान नेता व एडवोकेट चौ . बीरेन्द्र सिंह ने बताया कि देश का किसान आज कई स्तर पर अपनी परेशानी से जूझ रहा है। जैसे पेट्रोल और डीजल के दामों में हो रही बढ़ोत्तरी के चलते उसे अपने खेतों में बुवाई के लिये महंगे डीजल को खरीदने को मजबूर हो रहा है। सरकार को अलग से किसानों के लिये डीजल के दाम निर्धारित करने चाहिये। मौजूदा समय में 70 प्रतिशत किसान की माली हालत ठीक नहीं है। ये किसान सिर्फ खेती पर आधारित अपनी जीविका चला रहे है।
किसानों ने तहलका संवाददाता को बताया कि देश –दुनिया में हर क्षेत्र में तरक्की हुई है। लेकिन किसानों की उपेक्षा सदैव हुई है।किसानों पर आरोप लगाये जाते है। किसान चन्द्रपाल सिंह का कहना है कि अगर डीजल –पेट्रोल के दामों यूं ही इजाफा होता रहा तो, आने वाले दिनों में कमजोर किसान अपने खेती की बुवाई कर्ज लेकर ही कर पायेगा।उन्होंने बताया कि डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी के चलते सबसे असर किसानों पर पड़ा है।इस समय देश के पिछड़े इलाकों में जहां पर किसानों की माली हालत ठीक नहीं है वहां पर किसानों को गेंहू-चना की बुवाई में करने में दिक्कत आ रही है।खेती की सिचाईं करने में डीजल खरीदने के लिये वे साहूकारों की शरण में है। ताकि वे कर्ज लेकर अपने खेती की बुवाई कर सकें।