डीजल के थोक के रेट में प्रति लीटर 25 रुपये बढ़ाये जाने से अब बाजारों में हर वस्तु पर महंगाई की मार निश्चित है। तहलका संवाददाता को ट्रांसपोर्टरों और व्यापारियों ने बताया कि, प्रति लीटर अचानक 25 रूपये के बढ़ाये जाने से बाजार में हाहाकार का माहौल बनने लगा है। वहीं कुछ लोग अभी से डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी को लेकर काला बाजारी करने में लगे है। जिससे गरीबों को काफी महंगाई की मार सहने को मजबूर होना पड़ेगा।
सरोजिनी नगर मार्किट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा का कहना है कि सरकार सत्ता के नशे में चूर है। वो ये नहीं देख रही है कि पहले कोरोना के कारण लोगों के काम-धंधे प्रभावित हुये थे। जिससे मध्यम वर्ग को काफी रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हुआ है। जैसे-तैसे काम धंधा चला ही है। कि अब यूक्रेन और रूस की जंग के कारण डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी हो रही है। ऐसे में सरकार को देश के आम लोगों की माली हालत को देखते हुये।
डीजल के दामों में कम से कम बढ़ोत्तरी करनी चाहिये अन्यथा महगांई की मार गरीबों को झेलना मुश्किल होगी। वहीं ट्रांसपोर्टर लक्खा सिंह का कहना है कि आज भले ही थोक में डीजल के दाम 25 रूपये बढाये गये है। मतलब आने वाले दिनों में किराया-भाड़ा का बढ़ना बहुत जरूरी होगा। अब ट्रांसपोर्टरों के द्वारा किराया भाड़ा बढ़ाये जाने की मांग बढ़ेगी। अगर ट्रांसपोर्टरों की मांग नहीं मानी गयी तो वो देश भर में ट्रकों की हड़ताल कर देगें। जिससे जरूरतों के सामान का आना-जाना रूकेगा।
उन्होंने आगे बताया कि सियासत अपना फायदा को देखते हुये चुनाव के दौरान डीजल-पैट्रोल के दामों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है। अब चुनाव हो गये है। सरकार बन गई है। फिलहाल देश में 6 महीने कहीं कोई चुनाव नहीं है। सो सरकार ने महंगाई का रास्ता थोक के दाम बढ़ाकर आसानी ने निकालने का काम किया है। ऐसे में महंगाई की मार से जनता टूट जायेगी।