डिस्कॉम के बोर्ड सदस्यों को हटाने के बाद एलजी से नाराज मनीष सिसोदिया ने कहा- “एलजी न संविधान को मान रहे है और न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी (आप) समर्थित दो नेताओं को बिजली वितरण कंपनियों के बोर्ड से हटा दिया है। इस पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया एलजी पर हलवार हुए है।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस वार्ता कर कहा कि, “उपराज्यपाल न संविधान को मान रहे हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को। उपराज्यपाल सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे है। आज उपराज्यपाल ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की कैबिनेट द्वारा पास चार साल पुराने प्रस्ताव को पलटा है।”

सिसोदिया ने कहा कि, “एलजी अफसरों से फाइल मंगवा कर डिफरेंस ऑफ ओपिनियन कहकर फैसले बदल रहे हैं। जो गैरकानूनी और असंवैधानिक है। और वे किसी भी मुद्दे पर मंत्री और मुख्यमंत्री से चर्चा के बिना अफसरों को धमका कर कार्रवाई कर रहे है। दिल्ली में बिजली मुफ्त मिल रही है कोई घोटाला नहीं हुआ लेकिन एलजी सिर्फ हवा में आरोप लगाते है।”

मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि, “एलजी ने कैबिनेट के प्रस्ताव को पलट दिया है बिजली में कंपनी में चार प्रोफेशनल डायरेक्टर की नियुक्ति को एलजी ने पलट दिया जबकि ये फैसला दिल्ली की चुनी हुई सरकार ने लिया था।”

सिसोदिया ने सवाल पूछते हुए कहा कि, यह अधिकार एलजी साहब को किसने दिया? एलजी साहब को केवल तीन विषयों पर फैसला लेने का अधिकार है- पुलिस, जमीन और पब्लिक आर्डर। इसके अलावा एलजी साहब केवल ओपिनियन दे सकते हैं, फैसला नहीं ले सकते। यदि घोटाला है तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच करवा लें। एलजी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करें। बिजली बोर्ड में प्रोफेशनल को लाना गलत नहीं है।