पंजाब के स्वास्थ्य विभाग में जोनल लाइसेंसिंग अथॉरिटी के पद पर तैनात डॉ. नेहा शौरी की हत्या क्या पंजाब में बडे स्तर पर फैल रहे ड्रग माफिय़ा द्वारा करवाई गई है? क्या डॉ. नेहा शौरी की हत्या कर खुद को भी गोली मारने वाला बलविंदर सिंह मात्र मोहरा था? क्या कोई व्यक्ति दस साल पहले दवाईयों की दुकान पर मारे गए छापे का बदला लेने के लिए इतने वर्षों तक इंतज़ार करता है? क्या इतना लंबा इंतज़ार करने के बाद भी हत्यारा सरेआम दिन दिहाडे सरकारी कार्यालय में सरकारी अधिकारी को गोली मारने की जुर्रत कर सकता है? क्या हत्यारा अपने बचाव हेतु कोई भी योजना नहीं बनाएगा? यहाँ देसी कट्टा 20-25 हज़ार में आसानी से उपलब्ध है, वहाँ क्या हत्यारा पहले अपने असली नाम और पत्ते पर आर्म लाइसेंस बनवाता है और फिर प्वाइंट 32 बोर का रिवाल्वर खऱीद कर बक़ायदा अपने आर्म लाइसेंस में रिवाल्वर की एंट्री करवाता है? आर्म लाइसेंस, हथियार की खऱीद और फिर आर्म लाइसेंस में हथियार की एंट्री उस समय होती है, जब देश में चुनाव आचार संहिता लग चुकी हो? क्या कोई हत्यारा रिवाल्वर की पेमेंट अपने बैंक आकाउंट से आरटीजीएस करके करता है? आत्महत्या के लिए क्या कोई व्यक्ति पहले अपनी छाती पर गोली मारने के बाद फिर उसी समय अपने माथे के बीचोबीच रिवाल्वर रखकर गोली मार सकता है? क्या स्वास्थ्य विभाग में चल रहे व्यापक भष्ट्राचार में फि़ट नहीं बैठ रही थी डॉ. नेहा शौरी? क्यों कोई डॉ. शौरी का खरड से किसी दूर दराज़ के क्षेत्र में तबादला करवाना चाहता था? क्यों कोई अधिकारी चंडीगढ जैसे सुंदर शहर को छोड़कर खरड में डॉ. शौरी की जगह लगना चाहता था? पिछले कुछ दिनों से डॉ. नेहा शौरी परेशान क्यों चल रही थी और परेशानी का कारण क्या था?
ऐसे बहुत से प्रश्न हैं, जोकि इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं, कि डॉ. शौरी की हत्या मात्र दस वर्ष पहले मारे गए एक छापे और उसके बाद दवाईयों की दुकान का लाइसेंस ख़त्म करने तक संबंधित नहीं हैं, बल्कि वह किसी बड़ी साजि़श का शिकार हुई हैं। इन सभी प्रश्नों के उत्तर तभी मिल पाएँगे, जब कोई जाँच एजेंसी इस मामले की गहराई में जाएगी।
29 मार्च, 2019 , दिन शुक्रवार को दिन के लगभग 11:40 बजे डॉ. शौरी की बलविंदर सिंह ने उस समय गोलियां मार कर हत्या कर दी, जब वह अपने खरड स्थित कार्यालय में अपनी चार वर्षीय भांजी को फल काटकर खिला रही थी। हत्यारे ने पहले डॉ. शौरी को होली की मुबारकें दी और फिर अपने बैग से रिवाल्वर निकालकर एक के बाद एक कई फ़ायर कर दिए। जिस कारण डॉ. शौरी की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। हालाँकि बलविंदर ने डॉ. शौरी की चार वर्ष की भांजी को कुछ नहीं कहा। वारदात को अंजाम देने के बाद बलविंदर ने वहाँ से भागने का प्रयास किया, परन्तु मौक़े पर गोलियों की आवाज़ सुनकर उक्त कार्यालय में काम करने वाले अन्य कर्मियों और वहाँ किसी न किसी काम से आए लोगों ने हत्यारे को कार्यालय की पार्किंग में घेर लिया। अपने आपको घिरा देखकर बलविंदर सिंह ने अपने बचाव में किसी अन्य व्यक्ति पर कोई फ़ायर न कर स्वंय को ही दो गोलियाँ मार कर आत्महत्या कर ली। हत्यारे ने पहली गोली अपनी छाती में मारी, फिर उसी समय दूसरी गोली अपने मथ्थे के बिलकुल बीचोंबीच मारी। हत्यारे ने भी घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया।
डॉ शौरी और बलविंदर सिंह का शव पीजीआई चंडीगढ़ से खरड़ सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाया गया। बलविंदर के शव का पोस्टमार्टम कर रहे डॉ. धर्मिंदर सिंह ने बताया कि उसके शरीर से दो गोलियां बरामद हुईं हैं। पहली गोली जो माथे में लगी थी, वह उसकी गर्दन के पिछले हिस्से में से बरामद हुई। दूसरी गोली जो उसने सीने पर रखकर चलाई थी, वह उसकी पीठ में से बरामद हुई है।
पुलिस ने कहा कि डॉ. शौरी खरड़ में दवा-खाद्य रासायनिक प्रयोगशाला में तैनात थीं और वह मोहाली-रोपड़ जिलों के लाइसेंस का काम संभालती थी। मोरिंडा के रहने वाले हत्यारे बलविंदर सिंह मोरिंडा में ही दवाईयों की दुकान चलाता था और वर्ष 2009 में डॉ. शौरी ने उसकी दुकान पर छापा मारा था और वहां से कथित रूप से नशीली दवाएं बरामद की थीं। इसके बाद डॉ. शौरी ने उसकी दुकान का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इस वारदात में मज़ेदार बात यह है कि 29 मार्च को बलविंदर ने डॉ. शौरी की हत्या की थी, जबकि वारदात से ठीक एक दिन पहले 28 मार्च को उसे कुराली स्थित चौधरी अस्पताल से गंभीर लापरवाही के चलते नौकरी से निकाल दिया था। बलविंदर ने पिछले साल अक्तूबर में यह अस्पताल ज्वाइन किया था और उसकी लापरवाही के कारण एक 50 वर्षीय महिला की पीजीआई में मौत हो गई थी। अस्पताल के मालिक डॉ. रजिंद्र सिंह ने बताया कि जांच के बाद बलविंदर सिंह को 27 मार्च को अस्पताल में पूछताछ के लिए बुलाया था परंतु वह नहीं आया, जिस कारण उसे 28 मार्च को उसे नौकरी से निकाल दिया था। डॉ. राजिंदर सिंह का यह भी कहना है कि बलविंदर को अंडर परफॉर्मेंस के चलते हटाया गया था। बलविंदर सिंह की बीएएमएस की डिग्री की वैधता को लेकर उठ रहे सवाल पर डॉ. राजिंदर सिंह का कहना था कि उसकी डिग्री पंजाब आयुर्वेद विभाग के पास रजिस्टर्ड थी।
बलविंदर सिंह के साले हरजीत सिंह ने बताया कि घर में परिवार के किसी भी सदस्य को इस बारे में भनक तक नहीं थी। बलविंदर सिंह के रिवाल्वर का लाइसेंस लेने व रिवाल्वर खरीदने के बारे में परिवार के सदस्य पूरी तरह अनजान हैं। हरजीत ने बताया कि 2009 में बलविंदर सिंह की दवाइयों की दुकान बंद होने के बाद उसने कुछ समय मोहाली में एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी की। फिर अपना काम शुरु किया, परन्तु वह चला नहीं। हरजीत के मुताबिक, बलविंदर आजकल कुराली के एक प्राइवेट अस्पताल में रात की शिट की नौकरी कर रहा था। दिन में आकर वह घर में सो जाता था और घर के सदस्यों से भी ज्य़ादा बातचीत नहीं करता था। बलविंदर की दो बेटियाँ हैं, एक बेटी विदेश में डाक्टरी की शिक्षा ग्रहण कर रही है, जबकि दूसरी बेटी बलविंदर के साथ ही रहती थी।
इस हत्याकांड की जांच सबसे पहले एसपी सिटी हरविंदर सिंह विर्क की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय विशेष जाँच दल को दी गई। इस टीम ने जाँच अभी शुरु ही की थी कि आईजी रोड वी नीरजा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय नए जाँच दल का गठन कर दिया गया। नए जाँच दल ने डॉ. शौरी के पति वरुण मोंगा सहित लगभग 100 व्यक्तियों से पूछताछ की है, परन्तु अब वरुण मोंगा और अन्य परिवारजनों इस मामले में सीबीआई जाँच की माँग शुरु कर दी है। डॉ. शौरी हत्याकांड की अब तक की जांच से परिवार निराश है। डॉ. नेहा के पिता कैप्टन केके शौरी ने जांच पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाए हैं। वे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए पीएमओ के संपर्क में हैं। उन्होंने मामले में हाईपावर कमेटी और सीबीआई जांच की मांग की है। कैप्टन शौरी का आरोप है कि जांच करते हुए तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। वह पीएमओ से संपर्क बनाए हुए हैं। सेना के पूर्व अधिकारी व कैप्टन केके शौरी प्रधानमंत्री से मिलकर पंजाब सरकार की उस लापरवाही का मुद्दा उठाना चाहते हैं, जिसके चलते नेहा की हत्या हुई है। उन्होंने बताया कि इसमें सेना के कई पूर्व अधिकारी उनका सहयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री की चुनावी व्यस्तता के कारण फिलहाल उन्हें समय नहीं मिल सका है। लेकिन मामले में लापरवाही कहां हुई यह तभी सामने आ सकता है, जब हाईपावर कमेटी और सीबीआई समानांतर जांच करें। दूसरी ओर डॉ. शौरी हत्याकांड का संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने पंजाब के राज्यपाल को मामले में अगली कार्रवाई के लिए कहा है। ड्यूटी के दौरान हुई सरकारी अधिकारी की हत्या को पीएमओ ने गंभीरता से लिया है। अगले कुछ दिन में डॉ. नेहा का परिवार गवर्नर से मिलकर अपना पक्ष रखेगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (नाइपर) के अधिकारियों ने बताया कि डॉ. शौरी ने एलुमनी बैच 2004 में नाइपर काउंसलिंग के माध्यम से एडमीशन लिया था। काउंसलिंग के दौरान वह 8 वें स्थान पर थी और पूरे भारत में उसका रैंक 472 था। दिसंबर 2015 में डॉ. शौरी का विवाह पंचकूला सेक्टर 6 निवासी वरुण मोंगा के साथ हुआ था। वरुण प्राईवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। डॉ. शौरी की एक दो वर्ष की बेटी भी है।
पंजाब के खरड़ में ऑफिस में घुसकर महिला ड्रग्स लाइसेसिंग अधिकारी की गोली मारकर हत्या के बाद से लोगों में काफी गुस्सा है। अपराध के बढ़ते स्तर को देखते हुए इससे जुड़े दूसरे अधिकारी भी डरे हुए हैं। ऐसे में ‘ऑल इंडिया ड्रग कंट्रोल ऑफिसर कॉन्फडरेशन’ (एआईसीओसी) ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तत्काल उनकी सुरक्षा बढ़ाने को कहा है। कॉन्फडरेशन के डायरेक्टर जनरल एस. डब्लू देशपांडे ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब किसीअधिकारी इस तरह हत्या की गई है। इसके पहले दिल्ली और उसके पहले उत्तर प्रदेश में भी अधिकारियों की हत्या की जा चुकी है। अपराधियों के इस तरह बढ़ते मनोबल से काम करना मुश्किल हो रहा है। मुंबई में तो सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होने के कारण हमें उतना डर नहीं महसूस होता है, लेकिन देश के दूसरे हिस्सों में स्थिति चिंताजनक है। नकली दवाओं की बढ़ते बाजार के कारण इस तरह की समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके खिलाफ काम करने वालों में डर बढ़ता जा रहा है और लोग अपनी सुरक्षा को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं।
एआईसीओसी के अध्यक्ष जयंता चौधरी ने कहा कि वर्तमान स्थिति को देख हर अधिकारी डर के साए में काम कर रहा है। ऐसे में हमने राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तत्काल रूप से ड्रग्स अधिकारियों की सुरक्षा बढऩे की मांग की है। बता दें कि देशभर में इस संस्था से तकरीबन 3 हजार लोग जुड़े हैं।
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्मा मोहिदरा डॉ. शौरी के निवास पर पहुंचे और उन्होंने परिवार से दुख व्यक्त किया। ब्रह्मा मोहिदरा ने कहा कि मामले में जांच जारी है। साथ ही परिवार जिस भी एंगल पर जांच के लिए कहेगा, की जाएगी। नेहा के पति वरुण मोंगा ने कहा कि भले ही हत्यारे बलविदर ने सुसाइड कर लिया हो, परंतु इस पूरे प्रकरण में ड्रग माफिया का हाथ लगता है। साथ ही उन्होंने पुलिस पर भी सवाल खड़े किए कि जब चुनाव आचार संहिता लग चुकी थी, तो हत्यारे के रिवॉल्वर का लाइसेंस कैसे बनाया गया? उन्होंने कहा कि 10 साल बाद रंजिश निकालना समझ से परे है ! स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और पंजाब सरकार ने एक होनहार अधिकारी खो दिया है। हम मामले में उच्च स्तरीय जांच करवा रहे हैं और यदि कोई और भी इस मामले में दोषी है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता को महिला अधिकारी नेहा शौरी की हत्या के मामले की जांच शीघ्र संपन्न करने का निर्देश दिया है.
पंजाब के मुय चुनाव अधिकारी डॉ. करुणा राजु ने हत्यारे को चुनाव आचार संहिता लागु होने के बाद लाइसेंस और हथियार जारी होने के मामले में जाँच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब में लोकसभा चुनाव-2019 निष्पक्ष और शांतिपूर्ण कराने की तैयारियां चल रही हैं। आचार संहिता लागू होने के बाद उन्होंने सभी जिला उपायुक्तों और एसएसपी को लाइसेंसी हथियार जमा कराने को निर्देश जारी करने के बाद करीब 2.8 लाख हथियार जमा हो चुके हैं। इसमें से 2.04 लाख हथियार दिसंबर में हुए पंचायती चुनाव में ही जमा हो गए थे। सरकार और नेशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस (एनडीएएल) के आंकड़ों के मुताबिक 3.61 लाख लाइसेंसी हथियार हैं। यानी सूबे के हर 10वें घर में एक हथियार है। चूंकि पंजाब हर दिन शूटिंग (गोलीबारी) की 7 मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में हथियार जमा कराने के बाद लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा सभी हथियार लाइसेंसधारकों (नए या पुराने दोनों) के लिए एक हथियार लाइसेंस प्रणाली बनाई गई है इसके अंतर्गत राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस बनाया गया है। इस प्रणाली में हथियार धारक को एक यूनिक पहचान संया (यूआईएन) भी जारी की जाएगी। इस पहल के पीछे सरकार का मकसद यह है कि सरकार जानना चाहती है कि देश में किस-किस व्यक्ति के पास किस-किस प्रकार के हथियार हैं। शस्त्र नियम में संशोधन होने से ऐसे व्यक्तियों को हथियार लाइसेंस मिलने की संभावना खत्म हो जाएगी जिनके पूर्वजों का ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं है।