कोरोना वायरस जैसी बीमारी के दौर में कोरोना रोगियों के ईलाज कर रहे डाक्टरों के साथ, देश में हो रही डाक्टरों की पिटाई ओर उनके साथ हो रहे अत्याचार के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के तत्वावधान में देश भर में 22 अप्रैल को कैण्डल मार्च ओर 23 अप्रैल को काला दिवस मनाया जाना था। ऐसे में डाक्टरों की नाराजगी ओर दुनिया में देश की किरकिरी को देखते हुये डाक्टरों की नाराजगी को दूर करने के लिये केऩ्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आईएमए के डाक्टरों के साथ बात कर उन्हें भरोसा दिलाया है। कि डाक्टरों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा को बर्दास्त नहीं किया जायेगा।ओर कोरोना वायरस जैसी आपदा ,महामारी के दौरान जो भी हिंसा में शामिल पाया गया, तो कानूनी कारवाई की जायेगी। ओर दोषी पाये जाने पर जेल भी हो सकती है।आईएमए के डाक्टरों में आज इस बात की खुशी देखने को मिली कि सरकार ने डाक्टरों की समस्या को जाना ओर हिंसा करने वालों पर कारवाई करने ओर अध्यादेश कानून लाने की बात कहीं है । आईएमए के अध्यक्ष डाँ राजन के नेतृव्व में देश व्यापी आंदोलन ओर प्रदर्शन का आयोजन किया जाना था ।
इस बारे में आईएमए के पूर्व सचिव डाँ अनिल बंसल का कहना है कि वे अमित शाह के फैसले का स्वागत करते है। पर डाक्टरों की मांगें तो सालों साल से यही रही है कि ईलाज कर रहे डाक्टरों के साथ मरीजों ओर तमीरदारों के साथ जो भी लोग आते है, वे डाक्टरों के साथ मारपीट कर चले जाते है। कोरोना वायरस के ईलाज के दौरान जो भी हिंसा डाक्टरों के साथ हो रही है। वो पूरी तरह से आपराधिक है। ऐसे हालात में दोषियों को सीधे जेल में डाला जाना चाहियें।पर ऐसा कम ही हो रहा है।
डाँ बंसल ने कहा कि सरकार ने जो बात आज कानून बनाने की है, कि आपदा या महामारी के दौरान जो भी डाक्टरों पर हमला या मारपीट करेगा उसके खिलाफ कानूनी कारवाई की जायेगी।उनकी मांग है कि कभी भी किसी समय डाक्टरों के साथ कोई भी मारधाड या हिंसा करते पाया गया तो उसके खिलाफ दण्य या सजा निचिश्त होनी चाहिये ।ताकि डाक्टरों को सम्मान के साथ रोगियों का ईलाज करने का अवसर मिल सकें। उन्होंने कहा कि सरकार को डाक्टरों की मांगों पर गौर करना चाहिये। क्योंकि कोरोना वायरस ईलाज के दौरान डाक्टर अपनी जान पर खेल कर रोगियों का ईलाज कर रहे है ओर लहुलुहान भी हो रहे है।इसलिये एक ऐसे सख्त कानून की जरूरत है जो डाक्टरों को रक्षा प्रदान कर सकें।