विपक्षी कांग्रेस और विपक्ष के कुछ अन्य सदस्यों के वाकआउट के बीच गुरूवार शाम तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) बिल लोकसभा ने पास कर दिया। इससे पहले कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बिल लोक सभा में पेश किया था। कांग्रेस ने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने पर जोर दिया लेकिन इसे सत्ता पक्ष ने स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद विभिन्न संशोधनों को लेकर डिवीज़न आफ वोट हुआ। अंत में बिल को पास कर दिया गया।
इसे अब राज्य सभा में लाया जाएगा। राज्य सभा में भाजपा का बहुमत न होने से देखना होगा कि इस पर क्या रुख रहता है।
इससे पहले लोक सभा बिकक पेश करते हुए प्रसाद ने कहा कि यह बिल कल्याण के लिए है। उन्होंने सदन में तीन तलाक के कुछ उदाहरण भी दिए और कहा कि इस तरह के बहाने बनाकर तलाक महिलाओं पर अत्याचार है। उन्होंने कहा मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ इस दमनकारी तरीके को ख़त्म करना चाहती है।
ट्रिप्पल तलाक की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए ट्रिपल तलाक विधेयक को लोकसभा में पेश करते वाक्य विपक्ष शोर करता रहा और इस बिल का सख्त विरोध किया। प्रसाद ने कहा कि सरकार चाहती है कि नारी गरिमा के हक में सभी पार्टियां साथ आएं।
लोक सभा में सरकार की तरफ से तीन तलाक बिल पेश होने के बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बिल को संयुक्त प्रवर समिति (ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी) को भेजने की मांग की। बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि तीन तलाक से जुड़ा बिल महत्वपूर्ण है। इसका गहन अध्ययन करने की जरूरत है। यह संवैधानिक मसला है। ”मैं अनुरोध करता हूं कि इस बिल को ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। इस समिति में लोकसभा/राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। यदि कोई सदस्य किसी बिल में संशोधन का प्रस्ताव पेश करता है तो उसे ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाता है।”
विपक्ष के और कई दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। इनमें एक आरएसपी के सदस्य एनके प्रेमचंद्रन ने बिल के कई प्रावधानों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई । उन्होंने कहा कि बिल पहले ही सदन से पारित हो चुका है इसमें मामलू बदलाव कर फिर से पेश नहीं किया जा सकता। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी भी ट्रिपल तलाक बिल को संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के हक़ में हैं। ”समूचा विपक्ष यही चाहता है।”