क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सचमुच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से कश्मीर मसले के हल के लिए मध्यस्थता करने को कहा था ? बड़ा सवाल है। ट्रम्प ने खुद अपनी कही बात का खंडन नहीं किया और न खुद पीएम मोदी ने ट्रम्प को झूठा बताया। पीएम मोदी ट्रम्प को दोस्त कहते रहे हैं और यहाँ तक दावा करते हैं कि उनका ट्रम्प से रिश्ता ”तू-तड़ाक” बाला रहा है। ऐसे में ट्रम्प ने क्यों अपने ”दोस्त” को फ़ज़ीहत बाली स्थिति में डाल दिया, यह बड़ा सवाल है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक ने सरकार का पक्ष रखा कि पीएम मोदी ने ऐसा नहीं कहा और मोदी सरकार शिमला समझौते और लाहौर घोषणा पर कायम है। सरकार इसे द्विपक्षीय (भारत और पाकिस्तान के बीच) का मसला मानती है।
ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने प्रेस कांफ्रेंस में मोदी के मध्यस्थता के आग्रह वाला दावा किया। जाहिर है भारत, खासकर खुद पीएम मोदी के लिए, यह बड़ी फ़ज़ीहत वाली बात बन गयी। ट्रम्प के ब्यान के सामने आते ही भारत में मोदी के खिलाफ बयानों का सिलसिला शुरू हो गया। विपक्ष, खासकर कांग्रेस इस मसले पर सरकार के खिलाफ हमलावर है। हो भी क्यों न। लोकसभा चुनाव में भाजपा का सारा फोकस ही कश्मीर/पाकिस्तान पर रहा था।
सरकार के सामने बड़ी पेचीदगी वाली स्थिति बन गयी। तुरंत विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश ने ट्वीट कर ट्रम्प के दावे को गलत बताया। अगले दिन संसद में विदेश मंत्री विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी भारत के रुख को साफ़ करते हुए कहा मोदी ने ऐसा कुछ ट्रम्प से नहीं कहा। मोदी के मित्र ट्रम्प ने ऐसा कहा क्यों, इस खुलासे से अभी तक पर्दा नहीं उठ पाया है।
हो सकता है मोदी अपने वर्तमान पांच साल के इस दूसरे कार्यकाल में भारत-पाक के बीच मसले के हल की कल्पना करते हों। हो सकता है ”बैक डोर चैनल्स” के जरिये ऐसी कोइ कोशिश शुरू भी हुई हो। पुलवामा के बाद बालाकोट के वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव के वक्त उबाल को ठंडा करने में ट्रम्प की ”भूमिका” की चर्चा राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में होती रही है।
भारत में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो ट्रम्प को ”कुछ भी कह देने वाला नेता” बताते हैं। वे प्रमाण सहित पिछले कुछ उदहारण देते हैं और दावा करते हैं कि ट्रम्प कई बार ऐसे ”बेतुके ब्यान” और मसलों के सन्दर्भ में दे चुके हैं। वैसे यह सोचकर हैरानी ही होती है कि अमेरिका जैसे राष्ट्र (महाशक्ति) का राष्ट्रपति इतने संवेदनशील बिंदु के प्रति अनभिज्ञ हो और एक देश के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत का झूठा हवाला देकर कोइ दावा कर दे !
चूँकि देश के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने संसद में ट्रम्प के दावे को गलत बताते हुए साफ़ किया कि पीएम मोदी ने ट्रम्प से ऐसा कुछ कहा ही नहीं तो हमारे पास उसपर भी अविश्वास करने का कोइ कारण नहीं। लेकिन एक सवाल अनुतरित ही रह गया कि न प्रेजिडेंट ट्रम्प ने अपने दावे का खंडन किया न पीएम मोदी ने ट्रम्प को झूठा कहा।
कुछ जानकारों को यह भी लगता है कि चूंकि मोदी खुद को ट्रम्प के ”दोस्त” की तरह पेश करते हैं, हो सकता है निजी बातचीत में उन्होंने कश्मीर के सन्दर्भ में कोइ बात की हो और ट्रम्प ने उसे ”मिस अंडरस्टुड” किया हो। या हो सकता है मोदी ने कश्मीर के हल को लेकर पाकिस्तान पर दवाब बनाने के लिए ट्रम्प को मदद का इशारा किया हो। या हो सकता हो मोदी कहना चाहते हों कि वे (मोदी) इस मसले के हल के इच्छुक हैं, क्या ट्रम्प इसमें कोइ रोल अदा कर सकते हैं।
जो भी हो ट्रम्प के दावे से देश में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। विपक्ष, खासकर कांग्रेस, इस मसले पर सरकार को घेर रही है। दरअसल यह मसला काफी गंभीर है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि ट्रम्प ने ऐसा दावा किया ही क्यों जिसमें भारत की फ़ज़ीहत होती हो। इस ब्यान से खुद व्यक्तिगत रूप से पीएम मोदी को भी फ़ज़ीहत झेलनी पड़ी है, भले उनके मंत्रियों ने ट्रम्प के ब्यान का लाख खंडन किया हो।
ट्रम्प के ब्यान का डिप्लोमैटिक स्तर पर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को लाभ मिला। गौर करिये, इस प्रेस कांफ्रेंस में इमरान ने ट्रम्प की जमकर बड़ाई की। इस प्रेस कांफ्रेंस से ऐन पहले ट्रम्प-इमरान की मुलाकात हुई थी लिहाजा ट्रम्प के ब्यान को शंका की नजर से भी देखा जा सकता है।
पाकिस्तान कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का समर्थन करता रहा है, जबकि भारत सख्त विरोध। ऐसे में ट्रम्प ने जब पीएम मोदी का नाम लेकर कश्मीर में मध्यस्थता के आग्रह का दावा कर दिया तो जाहिरा तौर पर यह भारत के लिए फजीहत वाली स्थिति बन गयी है। यह भी सवाल है कि क्या भारत डिप्लोमेटिक स्तर पर पाकिस्तान से कमजोर साबित हुआ है ?
कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय कभी अमेरिका भारत को लेकर ऐसा कोइ झूठा दावा करने की हिम्मत नहीं कर पाया था। इसलिए पीएम मोदी के लिए ट्रम्प का ब्यान कोइ छोटा मामला नहीं है।
पांच सवाल अब उठ रहे हैं। एक – क्या ट्रम्प से दोस्ती वाले रिश्ते का मोदी का दावा झूठा है ! दो – मोदी क्यों ऐसा कद नहीं बना पाए कि किसी देश का राष्ट्रपति उनका नाम लेकर उन्हें झूठ ”कोट” करने की हिम्मत न कर पाए ! तीन – क्या ट्रम्प पाकिस्तान को भारत की कीमत पर खुश रखने की कोशिश कर रहे हैं ! चार – क्या पाकिस्तान के मुकाबले यह भारत की डिप्लोमेटिक हार है ! पांच – क्या सचमुच मोदी ने ट्रम्प से निजी बातचीत में ऐसी बात कही और उन्हें भरोसा था कि दोस्त ट्रम्प इसे अपने तक सीमित रखेंगे !
कुल मिलाकर ट्रम्प ने ऐसा तीर छोड़ दिया है जो कभी म्यान में वापस नहीं लौटेगा। मोदी ने सचमुच ट्रम्प से ऐसा कुछ नहीं कहा था तो इससे ट्रम्प और मोदी के ”दोस्ती” वाले रिश्ते पर भी आंच आ सकती है। देश में विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया है और मोदी सोच रहे होंगे कि ”दोस्त ट्रम्प” ने आखिर उनके साथ ऐसा भद्दा मजाक क्यों किया !
विपक्षी कांग्रेस की मांग
राज्य सभा में कांग्रेस दल के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा – डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर वाले बयान पर पीएम मोदी को सदन में सफाई देनी चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी का नाम लेकर कहा है कि पीएम ने उनसे अनुरोध किया है कि वह कश्मीर के मसले को सुलझाने के लिए भारत-पाक के बीच में मध्यस्था करें। अगर पीएम ने उनसे ऐसा नहीं कहा है तो उन्हें सदन में आकर बोलना चाहिए कि अमेरिका के राष्ट्रपति झूठ बोल रहे हैं।
क्या बोले विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मसले पर लोक सभा में कहा – प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है। पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा। हम सदन को पूरी तरह आश्वस्त करना चाहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है। हम अपना रूख फिर से दोहराते हैं कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा। पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत सीमा पार से जारी आतंकवाद बंद होने के बाद, लाहौर घोषणापत्र और शिमला समझौते के अंतर्गत ही होगी।रक्षा मंत्री की सफाई
कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का प्रश्न ही नहीं उठता है। कश्मीर मुद्दा हमारे लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान का सवाल है। हम सब चीजों से समझौता कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकते।
जानें, कहा क्या था ट्रम्प ने
इमरान के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा – ”मैं दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी। और उन्होंने (मोदी) वास्तव में कहा कि क्या आप (ट्रम्प) मध्यस्थता करना या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?’ मैंने कहा, ‘कहाँ?’ (मोदी ने कहा) ‘कश्मीर।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि यह कई वर्ष से चल रहा है। मुझे आश्चर्य है कि यह कितने लंबे समय से चल रहा है।’’ बीच में हस्तक्षेप करते हुए इमरान ने कहा – ७० साल से चल रहा है। फिर ट्रम्प ने कहा – ”मुझे लगता है कि वे (भारतीय) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे। मुझे लगता है कि आप (खान) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे। और यदि मैं सहायता कर सकता हूं, तो मैं मध्यस्थ बनना पसंद करूंगा। यह होना चाहिए…. हमारे पास दो अद्भुत देश हैं जो बहुत होशियार हैं और जिनका नेतृत्व बहुत होशियार हैं, (और वे) इस तरह की समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं, तो मैं ऐसा करने को तैयार हूं।’ ट्रम्प ने कहा, ‘इसलिए इन सभी मुद्दों का हल होना चाहिए। इसलिए, उन्होंने (मोदी) यही करने को कहा। इसलिए हो सकता है हम उनसे बात करें। या मैं उनसे बात करुंगा और हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।’’