केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगी संगठनों पर हाल के छापों और गिरफ्तारियों और टेरर लिंक के आरोपों के बाद इसे गैर कानूनी घोषित करते हुए पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है। पीएफआई सरकार के रडार पर पहली बार तब आया था जब 2012 में उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएफआई को सिमी का ही दूसरा रूप बताया था और इसके खिलाफ सख्ती के संकेत दिए थे।
हाल में पीएफआई के छापों के दौरान इसके 240 से अधिक नेता और पदाधिकारी ग्रिफ्तार किये गए हैं। केंद्र ने मंगलवार देर शाम संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध की घोषणा की। पीएफआई पर टेरर लिंक के आरोप लगते रहे हैं। सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों या मोर्चों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया गया है।
पीएफआई पर स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी), जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के साथ संबंधों का हवाला देते हुए सरकार ने पीएफआई पर यह प्रतिबंध लगाया है। यह माना जाता है कि पीएफआई का देश के 23 राज्यों में प्रभाव है।
सरकार ने पीएफआई के सहयोगी संगठनों ऑल इंडिया इमाम काउंसिल समेत आठ अन्य संगठनों पर भी कार्रवाई की है। अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं। उनके पास सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की क्षमता है।
सरकार की अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी खुले तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक संगठन के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक गुप्त एजेंडा का पीछा कर रहे हैं।