हर साल की भाँति इस साल भी विश्व क्षयरोग दिवस के अवसर पर दिल्ली में तमाम स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। डॉक्टरों ने कहा कि कोरोना अभी थमा हुआ है लेकिन गया नहीं है। ऐसे में क्षय रोग(टीबी) रोगियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिये। उन्होंने बताया कि टीबी बीमारी एक ऐसी बीमारी है जिसका समय रहते उपचार हो तो टीबी जैसी बीमारी को काबू पाया जा सकता है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल बंसल का कहना है कि टीबी रोगियों को बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिये। अगर किसी को 2 सप्ताह तक खांसी आ रही हो और बलगम के साथ खून आ रहा हो तो उसे नजर अंदाज न करें। क्योंकि ये टीबी के रोग के लक्षण हो सकते है।सफदरजंग अस्पताल के डाॅ जुगल कुमार का कहना है कि टीबी उन्मूलन के तहत देशव्यापी कार्यक्रम चल रहे है। जिससे काफी हद तक टीबी रोग पर काबू जा सका है। लोगों में जागरूकता बढ़ी है। लेकिन आज भी कुछ लोग टीबी रोग को छिपाते है जिससे उसका रोग और बढ़ता जाता है। जिससे टीबी रोग गंभीर बीमारी का रूप धारण कर लेती है।
टीबी उन्मूलन से जुड़े डॉ दिव्यांग देव गोस्वामी का कहना है कि शहरों की तुलना में आज भी गांवों में टीबी रोगियों की संख्या अधिक है। वजह इलाज में देरी और तम्बाकू उत्पादों का अत्याधिक सेवन का होना जो टीबी रोग का कारण बनता है। उनका कहना है कि तमाम आंकड़े ये बताते है कि आज भी पुरुषों की तरह महिलाएं भी तम्बाकू सेवन का सेवन करती है। जिससे पुरुषों की तरह महिलाएं भी क्षय रोग की चपेट में आ रही है। उनका कहना है कि टीबी रोग की एक विशेषता ये है कि अगर टीबी रोग का इलाज शुरू हो जाये तो तब तक चलता है जब तक डॉक्टर कहें। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को जरा सा इलाज में आराम मिल जाता है। तो वह लोग इलाज को बीच में ही छोड़ देते है। जिससे उनका पिछला सारा इलाज बेकार जाता है। और साथ नये सिरे से इलाज होता है। इसलिये टीबी रोग पर काबू पाना है तो इलाज को बीच में छोड़े।