झारखण्ड तक दिख रही उत्तर प्रदेश चुनाव की तपिश

देश में पाँच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव की हलचल है। तारीख़ों का ऐलान हो चुका है और जैसे-जैसे मतदान नज़दीक आते जा रहे हैं, चुनावी तपिश बढ़ती जा रही है। देश के 28 राज्य और नौ केंद्र शासित प्रदेशों में उत्तर प्रदेश सियासी तौर पर सबसे महत्त्वपूर्ण रहा है; क्योंकि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है। उत्तर प्रदेश चुनाव पर सभी की नज़रें टिकी हैं। इससे झारखण्ड में राजनीति करने वाले और राजनीति में रुचि रखने वाले लोग भी अछूते नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की सीमाएँ झारखण्ड से सटी हुई हैं।

ज़ाहिर है कि जब उत्तर प्रदेश की चुनावी तपिश बढ़ती है, तो उसकी तपिश झारखण्ड तक पहुँचने लगती है। वैसे भी उत्तर प्रदेश और झारखण्ड का आपस में कई मायनों में गहरा रिश्ता है। लिहाज़ा अन्य चार चुनावी राज्यों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश को राज्य स्तर से ज़िला और प्रखण्ड स्तर तक के मीडिया में ज़्यादा तवज्जो मिलता है। चौक-चौराहों पर चुनावी चर्चा और राजनीतिक दल, ख़ासकर भाजपा और कांग्रेस की सियासी गतिविधियाँ तेज़ हो गयी हैं।

झारखण्ड का गढ़वा ज़िला ख़ास महत्त्व रखता है। राज्य का यह एक मात्र ज़िला है, जिसकी सीमाएँ पड़ोस के तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से लगती हैं। गढ़वा के उत्तर में बिहार का रोहतास व कैमूर ज़िला, दक्षिण में छत्तीसगढ़ का सरगुजा ज़िला और पश्चिम में उत्तर प्रदेश का सोनभद्र ज़िला है; जबकि पूर्व में ख़ुद झारखण्ड के पलामू और लातेहार ज़िले मौज़ूद हैं। यानी उत्तर प्रदेश की कई गतिविधियाँ झारखण्ड में गढ़वा ज़िले के रास्ते से प्रवेश करती हैं। फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी बढ़ गयी है, तो झारखण्ड में गढ़वा ज़िले के रास्ते यह सरगर्मी पूरे प्रदेश तक पहुँचने लगी है।

दोनों प्रदेशों का सियासी नाता

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में चार विधानसभा सीट घोरावल, राबट्र्सगंज, ओबरा और दुद्धी हैं। इन सीटों पर तो झारखण्ड का सीधा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा पूर्वांचल की कई सीटों पर बिहार और झारखण्ड का असर रहता है। क्योंकि पूर्वोत्तर के राज्यों की राजनीति जाति, धर्म, सम्प्रदाय, आरक्षण आदि के इर्द-गिर्द घूमती है। ख़ासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड जैसे राज्यों की राजनीति की पृष्ठभूमि में तो यही है। इसलिए भी इन राज्यों में चुनाव होने पर सीमा से सटे राज्यों में गतिविधियाँ तेज़ हो जाती हैं। कांग्रेस और भाजपा के कई नेता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हैं। भाजपा के सांसद संजय सेठ, भाजपा के संगठन महामंत्री धर्मपाल, राजेश शुक्ला, गणेश मिश्रा समेत कई नेता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हैं। वहीं कांग्रेस के पूर्व विधायक स्व. राजेंद्र सिंह का परिवार, धनबाद के सिंह मेंशन का परिवार समेत कई अन्य नेताओं का उत्तर प्रदेश से गहरा नाता है। प्रदेश के कई आईएएस, आईपीएस समेत अन्य अधिकारी, कर्मचारी और आम लोगों का उत्तर प्रदेश के मूलनिवासी होने के कारण उनका नाता है। उत्तर प्रदेश और झारखण्ड में एक और समानता है। झारखण्ड की तरह उत्तर प्रदेश के कुछ विधानसभा सीटें आदिवासी (एसटी) बाहुल  हैं। जैसे इलाहाबाद के करछना से अलग होकर 2012 में बनी कोरांव विधानसभा सीट या सोनभद्र ज़िलाया फिर जौनपुर, ललितपुर, बलिया आदि इलाकों एसटी वोट किसी भी उम्मीदवार कीजीत-हार में बहुत मायने रखता है। इसलिए इन ज़िलों में झारखण्ड के नेताओं और कार्यकर्ताओं का महत्त्व बढ़ जाता है।

झारखण्ड के मन्दिरों में आस्था

चुनाव से पहले और जीत के बाद कई नेता अपने-अपने धर्म स्थली पर मत्था टेकने ज़रूर जाते हैं। झारखण्ड के चार धर्म स्थल उत्तर प्रदेश के नेताओं, विशेषकर पूर्वांचली नेताओं के लिए ख़ास मायने रखते हैं। देवघर का बाबा बैद्यनाथ मन्दिर, बासुकीनाथ मन्दिर, रामगढ़ स्थित रजरप्पा की माँ छिन्मस्तिका मन्दिर और नगर उंटारी स्थित श्री वंशीधर महाप्रभु का मन्दिर इनमें ख़ास हैं। यहाँ उत्तर प्रदेश के कई नेता चुनाव से पहले और चुनाव जीतने के बाद दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। चुनाव की घोषणा के साथ ही नेताओं का धीरे-धीरे आना-जाना भी शुरू हो गया है। इन जगहों के पुजारियों और पण्डों का कहना है कि अभी कोरोना संक्रमण की वजह से राज्य में कई तरह की पाबंदियाँ हैं। मन्दिर में प्रवेश और पूजा-अर्चना को लेकर कई तरह के नियम बनाये गये हैं। इस वजह से अभी आवाजाही कम है। अभी कम संख्या में उत्तर प्रदेश के नेताओं का आना शुरू हुआ है। पर उम्मीद है कि संक्रमण कम होने के बाद हर बार की तरह इस बार फिर उत्तर प्रदेश के कई सांसद, विधायक और चुनाव के प्रत्याशी पूजा-अर्चना और आशीर्वाद लेने पहुँचने लगेंगे।

नेताओं का प्रवास शुरू

उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगरमी धीरे-धीरे बढ़ रही है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव आयोग ने प्रचार को लेकर दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। सभाओं, रैलियों और अन्य कई तरह गतिबिधियों में ज़्यादा भीड़ जुटाने पर पाबंदियाँ लगी हुई हैं। अभी कम संख्या में दर-दर (डोर-टू-डोर) जाने की अनुमति मिली है। चुनाव आयोग ने कहा है कि समय-समय पर कोरोना स्थिति के आकलन के बाद पाबंदियों को घटाया जा सकेगा। यानी ज्यों-ज्यों पाबंदियाँ हटेंगी, चुनावी सरगरमी तेज़ होती जाएगी। इन सभी बातों को देखते हुए उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की भूमिका तय करनी शुरू कर दी है। दोनों दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं का उत्तर प्रदेश में प्रवास शुरू हो गया है। भाजपा की पहली टीम में संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह, प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा, सांसद सुनील सिंह, विधायक भानु प्रताप शाही, सत्येंद्र तिवारी समेत क़रीब 70 लोग शामिल हैं। काफ़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश चले गये हैं।

ये नेता काशी के चंदौली, सोनभद्र व मिर्जापुर में चुनावी प्रबन्धन में सहायता कर रहे हैं। वहीं भाजपा की दूसरी टीम भी तैयार है, जिनका दौरा जल्द शुरू होगा। इनमें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, सांसद व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और अन्यनेताओं की जवाबदेही तय की जाएगी।

दूसरी ओर कांग्रेस की पहली टीम में विधायक प्रदीप यादव, अंबा प्रसाद, नमन विक्सल कोंगाड़ी, पूर्व विधायक जे.पी. गुप्ता, केशव महतो कमलेश, काली चरण मुंडा आदि शामिल हैं। जबकि दूसरी टीम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मंत्री आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख और अन्य विधायकों को रखा गया है।

उत्तर प्रदेश में होगा झारखण्ड के कामकाज का प्रचार

झारखण्ड में गठबन्धन की सरकार है, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है। वहीं भाजपा मुख्य विपक्षी दल है। ज़ाहिर है यहाँ के नेता उत्तर प्रदेश के चुनावी प्रचार के दौरान अपने राज्य की बात रखने से नहीं चूकेंगे। प्रचार के लिए जाने वाले नेताओं ने बातचीत में कहा कि पार्टी द्वारा जो ज़िम्मेदारी मिलेगी, उसके साथ झारखण्ड की बातों से भी उत्तर प्रदेश की जनता को अवगत कराएँगे, जिससे लोग हमारी पार्टी के पक्ष में मतदान करें। भाजपा के नेता उत्तर प्रदेश चुनाव में सिंगल इंजन और डबल इंजन की महत्ता को जनता को बताएँगे। राज्य में पूर्व की भाजपा सरकार में हुए विकास कार्यों को गिनाएँगे। वर्तमान सरकार की ख़ामियों की भी चर्चा करेंगे। साथ ही बिगड़ती विधि व्यवस्था, उग्रवादी घटनाओं, महिला अत्याचार और अवरुद्ध विकास जैसे मुद्दों को गिनाएँगे।

वहीं कांग्रेस नेताओं की टीम झारखण्ड में मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ़ बने क़ानून, किसानों के हितों में उठाये गये क़दमों, किसान क़र्ज़ माफ़ी योजना और हाल ही में पेट्रोल पर ग़रीब तबक़े को दी जाने वाली 25 रुपये की राहत जैसे कार्यों को जनता को बताएगी।

 

“पार्टी के कई नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का उत्तर प्रदेश प्रवास शुरू हो गया है। झारखण्ड के नेता व कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रत्याशियों कार्यकर्ताओं के सहयोगी बन रहे हैं। ख़ासकर झारखण्ड सीमा से लगी विधानसभा सीटों में यहाँ के कार्यकर्ताओं का विशेष सहयोग लिया जाता है। ज्यों-ज्यों चुनाव कार्य आगे बढ़ेगा, प्रदेश के वरिष्ठ नेता, सांसद, विधायक सभी उत्तर प्रदेश की ओर रूख़ करेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर से एक कार्य-योजना तैयार की जा चुकी है।”

दीपक प्रकाश

सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष

 

“दिसंबर में प्रियंका गाँधी ने उत्तर प्रदेश को लेकर एक बैठक की थी। इस बैठक में प्रदेश से कई नेता शामिल हुए थे। इसमें उत्तर प्रदेश की चुनाव में सहयोग को लेकर भी बात हुई थी। पहले चरण में कई विधायकों को उत्तर प्रदेश बुलाया गया है। यहाँ से पार्टी के विधायकों, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का उत्तर प्रदेश जाना शुरू हो गया है। दूसरे चरण में सरकार के मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेता उत्तर प्रदेश जाएँगे। मेरा ख़ुद का भी कार्यक्रम है। सभी नेता उत्तर प्रदेश में पार्टी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करेंगे।”

राजेश ठाकुर

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष