महाराष्ट्र में ३० साल पुरानी साथी शिव सेना से बड़ा झटका खाने के बाद अब झारखंड में भी भाजपा को बड़ा झटका लगा है। वहां केंद्र में उसकी साथी रामविलास पासवान की एलजेपी ने भाजपा को विधानसभा चुनाव में झटका देते हुए उससे अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। एलजेपी का ही नहीं भाजपा को एक और साथी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन ने भी अंगूठा दिखाते हुए अपने अलग उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।
इन झटकों से झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा का दोबारा सत्ता में आना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। एलजेपी के झटके के बाद भाजपा को सबसे बड़ा झटका उसकी सहयोगी आजसू ने दिया है जो इस समय भाजपा सरकार में सहयोगी है।
भाजपा से गठबंधन तोड़ते हुए आजसू ने १२ सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। इनमें से तीन सीटों पर भाजपा पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।
आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने सिल्ली से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। झारखंड में फिलहाल भाजपा और आजसू गठबंधन की ही सरकार है। रांची में आजसू प्रवक्ता देवशरण भगत ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। गौरतलब है कि भाजपा ने रविवार को ५२ प्रत्याशियों की सूची जारी की थी।
पिछले विधानसभा (२०१४) में भाजपा ने ३७ सीटें जीती थीं जबकि उसके सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन ने पांच सीटें जीती थीं। इस तरह दोनों पार्टियों के गठबंधन वाली सरकार झारखंड में बनी जो अभी चल रही है। आजसू का कहना है कि बात सीट बंटवारे की नहीं, सीट जीतने की है। इसी तरह एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान कह चुके हैं कि भाजपा से बात नहीं बनी तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। झारखंड की ८१ सीटों के लिए पांच चरण में ३० नवंबर से २० दिसंबर के बीच होंगे और वोटों की गिनती २३ दिसंबर को होनी है।