लोक सभा में सरकार की तरफ से तीन तलाक बिल पेश होने के बाद मुख्या विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बिल को संयुक्त प्रवर समिति (ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी) को भेजने की मांग की है।
बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि तीन तलाक से जुड़ा बिल महत्वपूर्ण है। इसका गहन अध्ययन करने की जरूरत है। यह संवैधानिक मसला है। ”मैं अनुरोध करता हूं कि इस बिल को ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। इस समिति में लोकसभा/राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। यदि कोई सदस्य किसी बिल में संशोधन का प्रस्ताव पेश करता है तो उसे ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाता है।”
विपक्ष के और कई दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। इनमें एक आरएसपी के सदस्य एनके प्रेमचंद्रन ने बिल के कई प्रावधानों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई । उन्होंने कहा कि बिल पहले ही सदन से पारित हो चुका है इसमें मामलू बदलाव कर फिर से पेश नहीं किया जा सकता। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी भी ट्रिपल तलाक बिल को संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के हक़ में हैं। ”समूचा विपक्ष यही चाहता है।”
कांग्रेस सदस्य सुष्मिता देव बोलीं कि अगर महिला का सवाल है तो हमें कोई ऐतराज नहीं है। लेकिन मुंह में राम बगल में छुरी से हमें ऐतराज है। अत: हमारी मांग है कि इस बिल को क्लोज स्क्रूटनी के लिए ज्वाइंट स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए।
भाजपा सरकार ने बिल में कुछ संशोधन किये हैं। नए बिल के आधार पर पुलिस आरोपी को जमानत नहीं दे सकेगी। मजिस्ट्रेट पीड़ित पत्नी का पक्ष सुनने के बाद वाजिब वजहों के आधार पर जमानत दे सकते हैं। उन्हें पति-पत्नी के बीच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा। बिल के मुताबिक, मुकदमे का फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में ही रहेगा। आरोपी को उसका भी गुजारा देना होगा। तीन तलाक का अपराध सिर्फ तभी संज्ञेय होगा जब पीड़ित पत्नी या उसके परिवार (मायके या ससुराल) के सदस्य एफआईआर दर्ज कराएं। हलांकि विपक्ष के लोग इसके कई प्रावधानों से असहमत हैं।